छत्तीसगढ़

सूखे की मार झेल रहा गंगरेल बांध: 87 दिन का ही पानी बचा, इसलिए पहली बार बीएसपी को भी सप्लाई बंद

धमतरी: छत्तीसगढ़ की जीवनरेखा महानदी पर बने प्रदेश के दूसरे बड़े गंगरेल बांध पहली बार सूखे की मार झेल रहा है। 1978 में बांध निर्माण के बाद 46 साल में ऐसा पहला मौका है, जब प्रदेश की राजधानी रायपुर, बिरगांव और धमतरी जिले की करीब 18 से 20 लाख की आबादी की भीषण गर्मी में प्यास बुझाने मात्र 89 दिन का पेयजल ही बचा है।

बांध में 28.31 अरब लीटर पानी है, जो कुल क्षमता का 8% ही है। जल संसाधन विभाग के ईई आशुतोष सारस्वत ने बताया कि बांध में केवल 89 दिन का पेयजल पानी उपलब्ध है, इसलिए बीएसपी को पानी देना बंद किया गया है। वर्तमान में तांदुला जलाशय से पानी प्लांट में पहुंच रहा है।

गंगरेल बांध धमतरी सहित रायपुर, महासमुंद, बालोद, दुर्ग-भिलाई जिले की लाइफ लाइन है। इस साल गर्मी में सूखे की मार झेल रहे करीब 900 तालाबों को भी गंगरेल के पानी से भरा गया था। गंगरेल को खाली देखकर जिला प्रशासन ने पहली बार जल जगार उत्सव मना रहा है।

इस स्थिति से निपटने के लिए क्या उपाय किए जा रहे हैं?

  • बीएसपी को पानी की आपूर्ति बंद कर दी गई है।
  • तांदुला जलाशय से पानी रायपुर शहर में भेजा जा रहा है।
  • जल संरक्षण के लिए लोगों को जागरूक किया जा रहा है।
  • सूखे से प्रभावित क्षेत्रों में राहत कार्य चलाए जा रहे हैं।

इस स्थिति से क्या सबक मिलता है?

  • हमें जल संरक्षण के लिए गंभीर कदम उठाने होंगे।
  • हमें भविष्य में होने वाली जल संकट की आशंका के लिए तैयार रहना होगा।
  • हमें जल संसाधनों का दुरुपयोग नहीं करना चाहिए।

यह खबर उन लोगों के लिए चिंता का विषय है जो गंगरेल बांध पर निर्भर हैं। हमें उम्मीद है कि जल्द ही बारिश होगी और बांध का जलस्तर बढ़ेगा।

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