Sushasan Tihar: “मालिक, अब तो दया करो…”: मंच पर SDM के सामने साष्टांग दंडवत हुआ किसान,कहा- साहब बंटवारा करा दो

Sushasan Tihar: छत्तीसगढ़ के गरियाबंद ज़िले में उस वक्त अफरा-तफरी मच गई जब प्रदेश सरकार द्वारा जनता की समस्याओं को सुनकर उनका समाधान करने के लिए चलाए जा रहे ‘सुशासन तिहार’ के मंच पर एक किसान बोला “मालिक, अब तो दया करो…” कहते हुए SDM के सामने साष्टांग दंडवत हो गया। अफसर सकते में आ गए, और वहां मौजूद लोग हैरान। ये दृश्य मंगलवार को देवभोग विकासखंड के निष्ठीगुड़ा गांव में आयोजित “अंतिम समाधान शिविर” में देखने को मिला।

एक साल से भटक रहा किसान, अब की गुहार कुछ अलग थी

Gariaband News: लाटापारा गांव के किसान अशोक कुमार कश्यप पिछले एक साल से अपनी 4.28 एकड़ पुश्तैनी जमीन के बंटवारे की मांग कर रहे हैं। कागज़ात पूरे हैं, जमीन भी उनके नाम पर है, लेकिन कब्जा बड़े भाई का है।

जब सुशासन तिहार में “अंतिम समाधान” शिविर की बात आई, तो अशोक को उम्मीद जगी। पर जब देखा कि फिर से वही पुरानी कहानी दोहराई जा रही है — आवेदन लो, आश्वासन दो — तो अशोक ने तय किया कि इस बार कुछ अलग करना पड़ेगा।

सीधे मंच पर चढ़े, साष्टांग हुए, बोले – अब तो दया करो

अशोक मंच पर चढ़े और SDM तुलसी दास के सामने लेट गए। हाथ जोड़कर बोले — “मालिक, अब तो दया करो…” यह दृश्य देखकर मंच पर बैठे अफसर भी असहज हो गए। तुरंत उन्हें उठाया गया, पानी पिलाया गया और वही पुराना जवाब सुनाया गया — “आपका मामला प्राथमिकता में है, जल्द निराकरण होगा।”

बाहर खड़े लोग इस पूरे वाकये को मोबाइल में कैद करते रहे, और अंदर बैठे अधिकारी फिर एक बार “समाधान” शब्द को फाइलों में लपेटकर बंद कर बैठे।

हकीकत: कागज़ों में 4 एकड़, रिकॉर्ड में 2 एकड़

तहसीलदार चितेश देवांगन ने बताया कि अशोक के रिकॉर्ड में सिर्फ 2 एकड़ जमीन दर्ज है। जबकि अशोक दावा कर रहे हैं कि जमीन 4.28 एकड़ है। पुराने 1991 के बंदोबस्त रिकॉर्ड में गड़बड़ी की वजह से देवभोग तहसील में ऐसे मामले बार-बार सामने आ रहे हैं।

13 बंदोबस्त त्रुटियों के मामले अभी पेंडिंग हैं और हर साल बोनी के समय 20 से ज्यादा जमीन विवाद के केस तहसील और थानों तक पहुंचते हैं।

आधे पटवारी, पूरा राजस्व तंत्र लाचार

देवभोग तहसील में 93 राजस्व गांव हैं, लेकिन यहां सिर्फ 14 पटवारी ही कार्यरत हैं, जबकि जरूरत 27 की है।

  • नायब तहसीलदार का पद रिक्त है।
  • 3 आरआई सर्कल के लिए सिर्फ 1 आरआई पदस्थ है।
  • राजस्व मामलों की रीढ़ माने जाने वाले पटवारियों की भारी कमी से केसों का निराकरण लगातार टलता जा रहा है।

अफसर बोले: अगली बार स्थायी समाधान

SDM तुलसी दास का कहना है कि एक बार अशोक को कब्जा दिलाया गया था, लेकिन फिर से कब्जा हटा लिया गया। अब स्थल निरीक्षण कर स्थायी समाधान का भरोसा दिया गया है।

जब गुहार नहीं चलती, तो साष्टांग असर करता है?

देवभोग के इस वाकये ने एक बार फिर दिखा दिया कि जनता अब सिर्फ समाधान नहीं चाहती, चमत्कार की उम्मीद करने लगी है।
मंच पर साष्टांग होना शायद अब एक नया तरीका बन गया है, क्योंकि अफसरों के लिए फाइलों में समाधान देना आसान है, लेकिन ज़मीन पर न्याय देना मुश्किल।

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Ravi Pratap Pandey

रवि पिछले 7 वर्षों से छत्तीसगढ़ में सक्रिय पत्रकार हैं। उन्होंने राज्य के सामाजिक, राजनीतिक और सांस्कृतिक पहलुओं पर गहराई से रिपोर्टिंग की है। जमीनी हकीकत को उजागर करने और आम जनता की आवाज़ को मंच देने के लिए वे लगातार लेखन और रिपोर्टिंग करते रहे हैं।

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