Sushasan Tihar: सुशासन तिहार में गांव वालों ने मांगी शराब दुकान, MLA बोले – 22 साल में पहली बार सुनी ऐसी डिमांड, पर मांग जायज़ है

Sushasan Tihar: छत्तीसगढ़ के बिलासपुर जिले से एक अजीब लेकिन दिलचस्प खबर सामने आई है। ‘सुशासन तिहार’ अभियान के तहत जब अफसर और नेता गांव-गांव जाकर लोगों की समस्याएं सुन रहे हैं, तब तखतपुर विधानसभा के कोड़ापुरी गांव में कुछ ऐसा सुनने को मिला, जिसने सबको चौंका दिया।

सड़क, पानी, बिजली नहीं… गांव वालों ने मांगी शराब दुकान!

कोड़ापुरी गांव में जब समाधान शिविर लगा तो लोग अपनी शिकायतें लेकर आए। लेकिन इस बार मांग थी कुछ हटके। गांव वालों ने सीधे मंच से कहा कि हमारे यहां सरकारी शराब दुकान खोल दीजिए। जी हां, न सड़क मांगी, न पानी, न बिजली… डिमांड थी सीधी-सरकारी दारू की।

वजह भी रखी एकदम तगड़ी

गांव वालों ने बताया कि उनके इलाके में शासकीय शराब दुकान नहीं है, जिसकी वजह से गांव में अवैध शराब (महुआ से बनी देसी दारू) का धंधा जोरों पर है। इससे सिर्फ सेहत ही नहीं बिगड़ रही, बल्कि गांव का माहौल भी खराब हो रहा है। महिलाएं और बच्चे सबसे ज्यादा परेशान हैं।

ग्रामीणों का कहना है कि अगर सरकारी दुकान होगी, तो अवैध धंधे पर लगाम लगेगी और पीने वालों को कम से कम सही क्वालिटी की शराब मिलेगी।

विधायक धर्मजीत सिंह भी रह गए दंग

इस मांग को सुनकर तखतपुर विधायक धर्मजीत सिंह मंच पर ही हैरान रह गए। उन्होंने साफ-साफ कहा,
“मेरे 22 साल के राजनीतिक जीवन में ये पहली बार है, जब किसी गांव ने खुद शराब दुकान खोलने की मांग की है!”

लेकिन उन्होंने इसे नकारने की बजाय गंभीरता से लिया। मंच से ही आबकारी विभाग के अधिकारियों को निर्देश दे दिए कि कोड़ापुरी गांव में सरकारी शराब दुकान खोलने की प्रक्रिया शुरू की जाए

वायरल हुआ वीडियो, MLA का बयान बना चर्चा

इस पूरी बातचीत का वीडियो अब सोशल मीडिया पर वायरल हो गया है। वीडियो में विधायक जनता की मांग को जायज ठहराते हुए कहते दिख रहे हैं कि
“महुआ से बन रही अवैध शराब पर छापेमारी कराएंगे और गांव वालों की मांग को भी मानेंगे।”

अब सवाल – क्या सरकारी दुकान से सुधरेगा हाल?

कोड़ापुरी गांव की यह मांग अब चर्चा का विषय बन गई है। जहां कुछ लोग इसे व्यंग्य में ले रहे हैं, वहीं कुछ इसे व्यवस्था की सच्चाई से टकराने वाला कदम मान रहे हैं।

गांव वालों का मानना है कि जब मांग दबाकर रखने से हाल नहीं सुधरता, तो क्यों न खुलकर बोला जाए? उनकी नज़र में सरकारी शराब दुकान खोलवाना कोई बुराई नहीं, बल्कि एक ज़िम्मेदार विकल्प है, जो अनदेखी समस्या का सीधा समाधान दे सकता है।

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