छत्तीसगढ़

Rojgar Guarantee Yojana: 1.2 करोड़ मनरेगा जॉब कार्ड क्यों किए गए रद्द? जानें क्यों हटाए गए करोड़ों कार्ड, छटनी प्रक्रिया की धीमी शुरुआत फिर पकड़ी रफ्तार 

दिल्ली: Rojgar Guarantee Yojana: भारत सरकार की महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना (MGNREGA) के तहत पिछले पांच वर्षों में करीब 1.23 करोड़ जॉब कार्ड रद्द किए गए हैं। यह कदम फर्जीवाड़ा, डुप्लिकेट कार्ड और ग्रामीण क्षेत्रों से पलायन जैसी समस्याओं को हल करने के लिए उठाया गया है। खासकर मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश, बिहार और ओडिशा जैसे राज्यों में इस प्रक्रिया का सबसे अधिक असर देखा गया है, जहां 61 प्रतिशत कार्ड रद्द किए गए हैं।

क्यों हटाए गए 1 करोड़ से अधिक मनरेगा कार्ड?

मनरेगा के तहत जॉब कार्ड हटाए जाने के कारणों में सबसे बड़ा कारण फर्जी और डुप्लिकेट कार्ड हैं। इसके अलावा, कई परिवारों का ग्राम पंचायतों से पलायन और कुछ ग्राम पंचायतों का शहरी क्षेत्रों के रूप में पुनर्वर्गीकरण भी प्रमुख कारणों में शामिल है। इस छटनी प्रक्रिया के दौरान यह भी सामने आया कि कुछ व्यक्ति मनरेगा के तहत काम नहीं करना चाहते थे, जिससे उनके कार्ड हटा दिए गए।

ग्रामीण विकास मंत्रालय ने राज्यसभा में जारी किए गए आंकड़ों में बताया कि 1,23,63,522 जॉब कार्ड रद्द किए गए हैं। इस प्रक्रिया में ग्राम पंचायतों से बाहर जाने वाले परिवारों और डुप्लिकेट प्रविष्टियों की संख्या भी शामिल रही।

कौन से राज्य में सबसे अधिक हटाए गए जॉब कार्ड?

इस छटनी प्रक्रिया में मध्य प्रदेश सबसे आगे रहा, जहां 23,83,704 कार्ड रद्द किए गए, जो देशभर में हटाए गए कुल कार्डों का 19 प्रतिशत है। इसके बाद उत्तर प्रदेश (19,16,636 कार्ड) और बिहार (18,35,735 कार्ड) का नंबर आता है। जबकि ओडिशा में 13,44,169 कार्ड हटाए गए। दूसरी ओर, उत्तराखंड, केरल, हिमाचल प्रदेश और हरियाणा जैसे राज्यों में हटाए गए कार्डों का प्रतिशत एक प्रतिशत से भी कम रहा।

मनरेगा के बेहतर संचालन के लिए उठाए गए कदम

मनरेगा योजना को अधिक पारदर्शी और प्रभावी बनाने के लिए ग्रामीण विकास मंत्रालय ने जनवरी 2025 में एक मानक संचालन प्रक्रिया (SOP) जारी की है। इस SOP में जॉब कार्डों को हटाने और बहाल करने के लिए स्पष्ट दिशा-निर्देश दिए गए हैं। इसके अंतर्गत जॉब कार्डों का प्रकाशन, ग्राम सभाओं द्वारा सत्यापन और प्रभावित श्रमिकों के लिए अपील करने की सुविधा अनिवार्य की गई है। इसके अलावा, धोखाधड़ी और डुप्लिकेशन को रोकने के लिए आधार कार्ड से जोड़ने की प्रक्रिया भी लागू की गई है।

छटनी प्रक्रिया में आई तेजी

मनरेगा के जॉब कार्डों की छटनी प्रक्रिया पहले के मुकाबले तेज़ हो गई है। 2019-20 में केवल 342 कार्ड हटाए गए थे, वहीं 2020-21 में यह संख्या बढ़कर 1,083 हो गई थी। 2021-22 में 19,09,029 कार्ड हटाए गए, और 2022-23 में यह संख्या बढ़कर 54,55,513 तक पहुंच गई। 2023-24 में 34,84,691 कार्ड हटाए गए, और 2024 तक यह आंकड़ा और बढ़ने की संभावना है।

फर्जी जॉब कार्ड पर कड़ी निगरानी की आवश्यकता

हालांकि सरकार ने फर्जी जॉब कार्डों पर लगाम लगाने के प्रयास किए हैं, फिर भी यह एक बड़ी चिंता का विषय बना हुआ है। लोकसभा की स्थायी समिति ने इस बात को सामने रखा कि जमीनी स्तर पर कुछ लोग मिलकर धोखाधड़ी की गतिविधियों को अंजाम देते रहते हैं। इस समस्या से निपटने के लिए तकनीकी समाधानों की आवश्यकता पर जोर दिया गया है। समिति ने स्मार्ट कार्ड, बायोमेट्रिक पहचान और अन्य मजबूत प्रणालियों के उपयोग की सिफारिश की है, ताकि जालसाजी को रोका जा सके और मनरेगा की प्रभावशीलता को बढ़ाया जा सके।

मनरेगा में जॉब कार्डों की छटनी एक महत्वपूर्ण कदम है, जो योजना की पारदर्शिता और प्रभावशीलता को बढ़ाने के लिए उठाया गया है। हालांकि इस प्रक्रिया में कई प्रशासनिक और संरचनात्मक चुनौतियां आई हैं, लेकिन सरकार की कोशिश है कि मनरेगा के तहत होने वाली धोखाधड़ी और फर्जीवाड़े पर काबू पाया जा सके। इस दिशा में उठाए गए कदमों से यह उम्मीद जताई जा रही है कि आने वाले समय में इस योजना का फायदा वास्तविक श्रमिकों तक पहुंचेगा।

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