छत्तीसगढ़

कुरुद के बसंत साहू को मिलेगा रामचंद्र देशमुख बहुमत सम्मान

कुरुद। ‘चंदैनी गोंदा’ और ‘कारी’ जैसे लोकनाट्यों के सर्जक दाऊ रामचंद्र देशमुख की स्मृति में कला , साहित्य और संस्कृति के क्षेत्र में महत्वपूर्ण योगदान देने वाले संस्कृति कर्मियों को प्रतिवर्ष दिया जाने वाला “रामचंद्र देशमुख बहुमत सम्मान” इस वर्ष बसन्त साहू को दिया जाएगा। 

फाइल फोटो

चयन समिति ने कुरूद निवासी असाधारण चित्रकार श्री साहू का चुनाव उनकी दिव्यांग्य परिस्थितियों के बावजूद श्रेष्ठ रचने की अद्वितीय जिजीविषा को ध्यान में रखते किया है। यह घोषणा इस वर्ष की निर्णायक समिति के अध्यक्ष – राजेश गनोदवाले , समिति सदस्यों सर्वश्री डॉ .प्रवीण शर्मा , डॉ. सुनीता वर्मा, विनोद मिश्र, अरुण श्रीवास्तव एवं मुमताज़ ने मिल कर की। बसन्त एक दिव्यांग चित्रकार हैं और टूटे हाथ मे लकड़ी के सहारे कूंची बांधकर वे ऐसे चित्र बना रहे हैं जो अकल्पनीय है।। वे पिछले 25 वर्षों से शारीरिक चुनौती को भूलकर ऑइल पद्धति से चित्र बना रहे हैं। 22 नवम्बर ,1972 को जन्मे इस चित्रकार का दुर्घटना के बाद जीवन बदल गया। वे 95 प्रतिशत दिव्यांग्य हैं।

सरोजनी चौक , कुरूद निवासी बसन्त के अधिकांश चित्रों में छत्तीसगढ़ और यहाँ का ग्रामीण सौंदर्य उभरकर आता है। किसान और उसका परिवेश भी प्रिय विषय हैं। ‘बेटी पढ़ाओ-बेटी बचाओ’ श्रृंखला के तहत भी बसन्त ने सिलसिलेवार काम किया है। क़रीब 200 से अधिक कैनवस इस समय उनके बनाए हुए हैं। देश और देश के बाहर भी वे सराहे जा रहे हैं।

इस चित्रकार ने छत्तीसगढ़ के ग्राम्य जीवन को प्रमुखता से चित्रित करते विशिष्ट पहचान दी है , वहीं प्रदेश और प्रदेश के बाहर भी एकाधिक एकल और समूह प्रदर्शनियां लग चुकी हैं। विधानसभा , मुख्यमंत्री निवास और राजभवन से लेकर राष्ट्रपति भवन में भी उनके चित्र संग्रहित हैं। राष्ट्रीय व्यापार मेला दिल्ली में छत्तीसगढ़ का प्रतिनिधित्व करने के अतिरिक्त का इंग्लैंड और लण्डन में भी बसन्त की बनाई पेंटिंग्स प्रदर्शित है।

“बहुमत सम्मान” के अंतर्गत चयनित कला साधक को सम्मान निधि के अलावा प्रशस्ति पत्र और शॉल-श्रीफल दिया जाता है। इस वर्ष कोरोना से उपजी परिस्थितियों को देखते हुए यह सम्मान14 जनवरी के आसपास एक संक्षिप्त किन्तुआत्मीय समारोह में बसन्त को प्रदान किया जाएगा|

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