प्रसूता की मौत का मामला : कांग्रेस ने 5 सदस्यीय जांच समिति का किया गठन, डॉ. राकेश गुप्ता को बनाया संयोजक

रायपुर: राजधानी रायपुर के बिरगांव स्थित सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में इलाज में लापरवाही के चलते 22 वर्षीय प्रसूता साक्षी निषाद की मौत हो गई। इस दर्दनाक घटना ने स्वास्थ्य व्यवस्था पर फिर से सवाल खड़े कर दिए हैं। वहीं कांग्रेस ने मामले को गंभीरता से लेते हुए जांच समिति गठित कर दी है।
12 घंटे बाद इंजेक्शन और दर्द, फिर मौन हो गई साक्षी
पूरा मामला बिरगांव के सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र का है, जहां साक्षी निषाद ने सफल डिलीवरी के बाद भी लगातार दर्द की शिकायत की। परिजनों के अनुसार, साक्षी ने बार-बार दर्द की बात कही, लेकिन किसी डॉक्टर ने उसे गंभीरता से नहीं लिया।
रात करीब दो बजे, एक वार्ड ब्वॉय ने साक्षी को इंजेक्शन लगाया और पानी पिलाया। इसके कुछ देर बाद ही उसकी हालत बिगड़ गई और उसने दम तोड़ दिया। सबसे हैरान करने वाली बात यह है कि उस वक्त अस्पताल में कोई डॉक्टर मौजूद नहीं था।
कांग्रेस का एक्शन, 5 सदस्यीय जांच समिति बनी
इस मामले में सियासत भी गरमा गई है। कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष दीपक बैज ने फौरन कार्रवाई करते हुए एक पांच सदस्यीय जांच समिति का गठन किया है।
इस जांच समिति में कांग्रेस चिकित्सा प्रकोष्ठ के अध्यक्ष डॉ. राकेश गुप्ता को संयोजक बनाया गया है। उनके साथ पूर्व विधायक अनीता वर्मा, छाया विधायक पंकज शर्मा (रायपुर ग्रामीण), ग्रामीण जिला अध्यक्ष उधो वर्मा और नंदलाल देवांगन को भी समिति में शामिल किया गया है।

सिस्टम से ज्यादा संवेदनहीनता का मामला
साक्षी निषाद की मौत ने यह सवाल उठाया है कि क्या अस्पतालों में सिर्फ बिल्डिंग और मशीनें हैं, इंसानियत नहीं? जब डिलीवरी जैसी नाजुक स्थिति में डॉक्टर अस्पताल में मौजूद नहीं होता, तो क्या ऐसे अस्पतालों को इलाज का हक है?
परिजनों का दर्द साफ झलकता है — “हमने बार-बार डॉक्टर को बुलाने की गुहार लगाई, लेकिन किसी ने नहीं सुनी।”
- जब डिलीवरी हो चुकी थी, तब भी डॉक्टर क्यों नहीं थे?
- क्या वार्ड ब्वॉय को इंजेक्शन लगाने का अधिकार था?
- अस्पताल प्रशासन की जिम्मेदारी कहां गई?
फिलहाल एक परिवार की बहू चली गई, एक मासूम बच्चा अनाथ हो गया। सिस्टम पर भरोसा अब सवालों के घेरे में है।