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जिला कांग्रेस अध्यक्ष ने दिया इस्तीफा, खुलकर सामने आया कांग्रेस में अंदरूनी घमासान

खैरागढ़ से एक बार फिर कांग्रेस की अंदरूनी कलह ने सिर उठाया है। जिला कांग्रेस अध्यक्ष गजेंद्र सिंह ठाकरे ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया है। हालांकि उन्होंने अपने पत्र में ‘व्यक्तिगत और पारिवारिक कारण’ बताकर खुद को अलग करने की बात कही है, लेकिन पार्टी से जुड़े सूत्रों की मानें तो यह महज एक औपचारिक कारण है। असल वजह है— संगठन के भीतर खींचतान और वर्चस्व की जंग।

संगठन में भीतर से लगी आग है

गजेंद्र ठाकरे जब से खैरागढ़-छुईखदान-गंडई जिला कांग्रेस के अध्यक्ष बने, तभी से संगठन में दरारें पड़नी शुरू हो गई थीं। उनके काम करने के तरीके, फैसलों और नियुक्तियों को लेकर कार्यकर्ताओं के एक धड़े में लगातार असंतोष रहा। कई मौकों पर यह नाराज़गी दबी रही, लेकिन अब जाकर इसका विस्फोट हुआ है।

एकता की कोशिशें, लेकिन ‘ईगो’ की दीवारें रही मज़बूत

ठाकरे ने अध्यक्ष रहते हुए संगठन को एकजुट करने की पूरी कोशिश की। वे चाहते थे कि तीनों क्षेत्रों के कार्यकर्ता एक मंच पर आएं, लेकिन आपसी टकराव और अहम की टकराहट ने उनकी मंशा को कमजोर कर दिया। “सबको साथ लेकर चलने” की उनकी नीति, अलग-अलग खेमों को रास नहीं आई।

विवाह समारोह में हुई हाथापाई बनी ट्रिगर

हाल ही में एक विवाह समारोह में कांग्रेस के दो गुटों के बीच हुई मारपीट ने संगठन की अंदरूनी फूट को सार्वजनिक कर दिया। इस घटना के बाद से ही ठाकरे के मन में इस्तीफे का विचार पक रहा था, जिसे अब उन्होंने अंजाम तक पहुंचा दिया।

कौन भरेगा यह सियासी खालीपन?

गजेंद्र ठाकरे का इस्तीफा केवल एक पद का खाली होना नहीं है, यह खैरागढ़ कांग्रेस के अंदर चल रहे असंतोष, अस्थिरता और रणनीतिक विफलता का संकेत है। अब सवाल यह है कि पार्टी नेतृत्व इस संकट को सुलझाने के लिए क्या ठोस कदम उठाएगा?
क्या कोई नया नेतृत्व संगठन को फिर से खड़ा कर पाएगा, या कांग्रेस की गाड़ी यूं ही लड़खड़ाती रहेगी?

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