सुप्रीम कोर्ट में शिक्षकों की बड़ी जीत, छत्तीसगढ़ सरकार की याचिका खारिज, क्रमोन्नत वेतनमान का बकाया भुगतान जारी रखने का आदेश

बिलासपुर। छत्तीसगढ़ के शिक्षकों को एक बड़ी कानूनी जीत मिली है। सुप्रीम कोर्ट ने राज्य सरकार की विशेष अनुमति याचिका को खारिज कर दिया, जो छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय के फैसले के खिलाफ दायर की गई थी। इस फैसले में छत्तीसगढ़ सरकार को आदेश दिया गया था कि वह सोना साहू को उनका बकाया क्रमोन्नत वेतनमान भुगतान करे, जो सहायक शिक्षक के रूप में 10 वर्षों तक बिना पदोन्नति के सेवा दे चुकी थीं।
सुप्रीम कोर्ट ने राज्य सरकार के इस तर्क को स्वीकार करने से मना कर दिया कि सोना साहू को क्रमोन्नति वेतनमान का लाभ नहीं मिल सकता, क्योंकि उन्होंने 7 साल की सेवा के बाद समय वेतनमान लिया था। कोर्ट ने यह भी माना कि 2013 में वेतनमान के संशोधन के चलते राज्य सरकार ने उनका लाभ वापस ले लिया था, जिसके कारण उन्हें 10 वर्षों तक कोई वेतन वृद्धि नहीं मिली।
इसके अलावा, कोर्ट ने यह भी कहा कि सामान्य प्रशासन विभाग के 2017 के आदेश के अनुसार, 10 साल की सेवा पूरी करने वाले सभी शिक्षकों को क्रमोन्नति वेतनमान का लाभ दिया जाना चाहिए, चाहे वे पंचायत विभाग से स्कूल शिक्षा विभाग में समाहित किए गए हों।
सुप्रीम कोर्ट ने दोनों पक्षों के तर्कों पर विचार करने के बाद छत्तीसगढ़ सरकार की याचिका खारिज कर दी और उच्च न्यायालय के फैसले को बरकरार रखा।
बकाया राशि के लिए हाईकोर्ट में याचिका
सोना साहू ने पहले पंचायत विभाग से अपनी बकाया राशि प्राप्त कर ली थी, लेकिन स्कूल शिक्षा विभाग से उनका बकाया अभी भी लंबित है। इसके लिए उन्होंने छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय में अवमानना याचिका दायर की है। न्यायालय ने स्कूल शिक्षा विभाग के सचिव को 19 मार्च 2025 को कोर्ट में व्यक्तिगत रूप से उपस्थित होने का निर्देश दिया है।
इस फैसले ने शिक्षकों को उम्मीद दी है कि अब उनका लंबित बकाया जल्द ही जारी किया जाएगा।
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