CG DMF Scam Update: पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की उप सचिव सौम्या चौरसिया, रानू समेत छह आरोपी आज होंगे जेल से बाहर, रहेंगे छत्तीसगढ़ से बाहर, पासपोर्ट रहेगा जमा और हफ्तेभर के अंदर देना होगा नया पता

CG DMF Scam Update: छत्तीसगढ़ के चर्चित 570 करोड़ के कोयला घोटाले में बड़ी अपडेट आई है। निलंबित IAS अफसर रानू साहू, पूर्व मुख्यमंत्री की पूर्व उप सचिव सौम्या चौरसिया, समीर विश्नोई, रजनीकांत तिवारी, वीरेंद्र जायसवाल और संदीप नायक को सुप्रीम कोर्ट से जमानत मिल गई है। शुक्रवार सुबह इन्हें जेल से रिहा कर दिया गया।
लेकिन ध्यान रहे—यह पूरी तरह से खुली छूट नहीं है। अदालत ने इन पर कड़ी शर्तें लगाई हैं। सबसे अहम शर्त ये कि इन सभी को छत्तीसगढ़ से बाहर रहना होगा। मतलब ये कि अपने ही राज्य में पैर नहीं रख सकेंगे।
कोर्ट ने क्या कहा?
जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस दीपांकर दत्ता की डबल बेंच ने यह फैसला सुनाया। कोर्ट को शक है कि ये लोग गवाहों को प्रभावित कर सकते हैं। इसलिए कहा गया कि ये आरोपी न तो छत्तीसगढ़ में रहेंगे और न ही किसी जांच में टालमटोल करेंगे।
इन सभी को अपना पासपोर्ट कोर्ट में जमा कराना होगा और एक हफ्ते के भीतर अपने नए ठिकाने का पता संबंधित थाने में दर्ज कराना होगा। साथ ही जरूरत पड़ने पर जांच एजेंसी या ट्रायल कोर्ट के सामने पेश होना अनिवार्य होगा।
क्या है कोयला घोटाला?
इस घोटाले में ईडी का दावा है कि छत्तीसगढ़ में कोल ट्रांसपोर्ट और परमिट सिस्टम के जरिए 570 करोड़ रुपए की अवैध वसूली की गई। आरोप है कि कोल व्यापारी सूर्यकांत तिवारी इस पूरे खेल का मास्टरमाइंड है।
खनिज विभाग के अधिकारी, अफसर और राजनीतिक संपर्कों के दम पर एक सिंडिकेट खड़ा किया गया। नियमों को तोड़कर ऑनलाइन परमिट सिस्टम को ऑफलाइन किया गया। व्यापारी से 25 रुपये प्रति टन की दर से वसूली की जाती थी। जो रकम देता था, उसे ही पीट पास और ट्रांसपोर्ट परमिट मिलता था।
समीर विश्नोई का आदेश, घोटाले की शुरुआत
15 जुलाई 2020 को खनिज विभाग के तत्कालीन संचालक IAS समीर विश्नोई ने एक आदेश जारी किया, जिससे यह खेल शुरू हुआ। उसी आदेश के बाद ऑनलाइन परमिट की जगह ऑफलाइन परमिट की व्यवस्था लागू की गई और लेन-देन का खेल शुरू हुआ।
रानू साहू और सौम्या चौरसिया की भूमिका
रानू साहू को 2023 में गिरफ्तार किया गया था। उन पर आय से अधिक संपत्ति और कोल लेवी वसूली में शामिल होने का आरोप है। ईडी ने उनके सरकारी निवास और दफ्तर पर छापा मारकर कई दस्तावेज जब्त किए।
FIR के मुताबिक, 2015 से 2022 तक उनके और उनके परिवार के नाम पर करीब 4 करोड़ की संपत्ति मिली है।
वहीं, सौम्या चौरसिया—जो कि छत्तीसगढ़ के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की उप सचिव रह चुकी हैं—उन्हें दिसंबर 2022 में गिरफ्तार किया गया था। सौम्या के खिलाफ आरोप है कि उन्होंने सरकारी पद का दुरुपयोग करते हुए करोड़ों की संपत्ति बनाई। EOW की जांच में उनके और परिवार के नाम पर 9.20 करोड़ की संपत्ति की पुष्टि हुई है।
कुल कितने आरोपी?
इस पूरे घोटाले में अब तक कुल 36 लोगों के खिलाफ नामजद FIR दर्ज हो चुकी है। इनमें दो पूर्व मंत्री, कुछ विधायक, कई व्यापारी और अफसर शामिल हैं। रानू साहू, समीर विश्नोई, सौम्या चौरसिया, सूर्यकांत तिवारी, संदीप नायक, लक्ष्मीकांत, शिव शंकर नाग, मोइनुद्दीन कुरैशी, रोशन सिंह, निखिल चंद्राकर, परेश कुर्रे, राहुल कुमार, वीरेंद्र जायसवाल, हेमंत जायसवाल और चंद्रप्रकाश जायसवाल जैसे नाम प्रमुख हैं।
अब जब आरोपी जेल से बाहर हैं, तो जांच एजेंसियों की नजरें इन पर रहेंगी। ACB और EOW की जांच भी इस मामले में तेज हो चुकी है। केस का ट्रायल अभी लंबा चल सकता है, लेकिन मामला अब पूरी तरह सुप्रीम कोर्ट की निगरानी में है।