CG Chitrakoot Case: चित्रकोट नाका सील पर गरमाई सियासत: सरपंच द्वारा VIP पर्यटक के खाने पीने की व्यवस्था ना करने पर नाका बंद करने का प्रशासन पर लगा आरोप, कांग्रेस ने शराब, बकरा और मुर्गा लेकर किया प्रदर्शन

रायपुर, 23 मई 2025: CG Chitrakoot Case: छत्तीसगढ़ के मशहूर पर्यटन स्थल चित्रकोट को लेकर इन दिनों सियासत गरमा गई है। मामला उस वक्त तूल पकड़ गया जब लोहंडीगुड़ा के SDM द्वारा चित्रकोट का पार्किंग नाका सील कर दिया गया। प्रशासन की इस कार्रवाई के विरोध में कांग्रेस ने अनोखा प्रदर्शन करते हुए शराब, बकरा और मुर्गा लेकर एसडीएम कार्यालय का घेराव किया।
विरोध से पहले हुई सभा, कांग्रेस नेताओं ने जमकर सुनाई खरी-खोटी
Chitrakoot Sarpanch – SDM Controversy इस विरोध प्रदर्शन से पहले उसरीबेड़ा बाजार में कांग्रेस की एक सभा आयोजित की गई थी, जिसमें प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष दीपक बैज और अन्य नेताओं ने हिस्सा लिया। इस दौरान उन्होंने शासन-प्रशासन पर तीखे शब्दों में हमला बोला और कहा कि आम जनता की समस्याओं को नजरअंदाज किया जा रहा है।

Sarpanch vs SDM Controversy सभा खत्म होते ही कांग्रेस कार्यकर्ता बकरे, मुर्गे और शराब की बोतलें लेकर सड़कों पर उतर पड़े और जमकर नारेबाजी की। इसके बाद प्रदर्शनकारी लोहंडीगुड़ा एसडीएम कार्यालय पहुंच गए, जहां पुलिस से उनकी हल्की धक्का-मुक्की भी हुई और कुछ देर के लिए माहौल तनावपूर्ण हो गया।
पार्किंग नाका सील होने से भड़के ग्रामीण, पहले भी कर चुके हैं प्रदर्शन
इस पूरे विवाद की शुरुआत तब हुई जब चित्रकोट पहुंचे मुख्यमंत्री के करीबी कुछ पर्यटकों ने खाने-पीने की व्यवस्थाओं को लेकर नाराजगी जताई। इसके बाद एसडीएम ने पार्किंग नाका सील कर दिया, जिससे स्थानीय ग्रामीणों का गुस्सा फूट पड़ा। सरपंच के नेतृत्व में ग्रामीणों ने सड़क जाम कर विरोध दर्ज कराया, जिस पर पुलिस ने मामला दर्ज कर लिया।
सात सूत्रीय मांगों को लेकर राज्यपाल के नाम सौंपा ज्ञापन
CG Congress Protest: घेराव के दौरान कांग्रेस अध्यक्ष दीपक बैज ने सात मांगों को लेकर राज्यपाल के नाम ज्ञापन सौंपा। इनमें सील नाके को खोलने, दर्ज FIR को वापस लेने और एसडीएम पर कार्रवाई जैसे प्रमुख मुद्दे शामिल हैं। उन्होंने कहा कि जब तक समस्याओं का समाधान नहीं होगा, कांग्रेस का आंदोलन जारी रहेगा।

पर्यटन विकास या स्थानीय उपेक्षा? उठ रहे हैं बड़े सवाल
चित्रकोट जैसे प्रमुख पर्यटन केंद्र पर खाने-पीने जैसी बुनियादी सुविधाओं की कमी, प्रशासनिक फैसलों और ग्रामीणों की नाराजगी ने यह सवाल खड़ा कर दिया है कि पर्यटन विकास के नाम पर किसकी कीमत पर काम हो रहा है? क्या स्थानीयों की अनदेखी हो रही है या प्रशासनिक रवैया जरूरत से ज्यादा सख्त हो गया है?
अब देखना यह है कि सरकार इस मसले पर क्या रुख अपनाती है और चित्रकोट में पर्यटन के नाम पर उपजा विवाद कैसे सुलझता है।