छत्तीसगढ़

रायपुर में जंगल सफारी के बहिष्कार की क्यों उठ रही है मांग? जैन संगठन और पशु प्रेमियों की मांग के पीछे की जानिये क्या है वजह

Jungle Safari Raipur: नया रायपुर की जंगल सफारी एक बार फिर चर्चा में है, लेकिन इस बार वजह गर्व की नहीं, बल्कि गहरी चिंता और नाराज़गी की है। जैन समाज के प्रतिनिधि, पशु प्रेमी और जानवरों के हक में काम करने वाले संगठन जंगल सफारी के बहिष्कार की मांग कर रहे हैं। कारण है — मूक जानवरों पर सालों से हो रहा अमानवीय व्यवहार।

जानवरों को 10×10 के कमरे में कैद किया, न धूप मिली न मिट्टी

पीपल फॉर एनिमल्स, रायपुर की संचालिका कस्तूरी बल्लाल ने बताया कि पुराने नंदन वन जू, अटारी में चार तेंदुए और एक लकड़बग्घा पिछले आठ साल से कैद हैं। न सूरज की रौशनी देखी, न मिट्टी की महक महसूस की। ये जानवर 10×10 फीट के सीमेंट के कमरे में बंद रहे, जहां न चलने की जगह थी, न कूदने की।

बल्लाल कहती हैं — “ये कोई कैद नहीं, ये तो ‘कालापानी’ है। देश में वन्यजीवों के खिलाफ ऐसा अमानवीय मामला शायद ही पहले कभी सामने आया हो।”

जानवर बीमार और अपंग, इलाज तक नहीं मिला

इन जानवरों की हालत बेहद चिंताजनक बताई गई है। एक तेंदुए को ग्लूकोमा है, एक अंधा है और दो को पैरों की गंभीर समस्या है। लकड़बग्घे के तो सिर्फ तीन ही पैर हैं। लेकिन फिर भी न इलाज दिया गया, न ध्यान रखा गया।

क्यों नहीं लाए गए जंगल सफारी में?

जैन श्रीसंघ शंकर नगर के संरक्षक प्रेमचंद लूनावत के अनुसार, 2016 में जब पुराने नंदन वन से मांसाहारी जानवरों को नया रायपुर के जंगल सफारी में शिफ्ट किया गया, तब इन पांचों को छोड़ दिया गया। वजह? ये बीमार और अपंग थे। इसलिए सफारी प्रबंधन इन्हें वहाँ की “ग्लोबल इमेज” के लिए फिट नहीं मानता था।

लूनावत का आरोप है — “इन जानवरों को जानबूझकर मरने के लिए छोड़ दिया गया। यह न सिर्फ क्रूरता है बल्कि वन्यजीव संरक्षण कानून का भी सीधा उल्लंघन है।”

आठ साल में बना कई बाड़े, पर इन जानवरों के लिए नहीं

कस्तूरी बल्लाल सवाल उठाती हैं — “आठ सालों में जंगल सफारी में करोड़ों रुपये खर्च हुए, कई नए बाड़े बनाए गए, लेकिन इन पांच जीवों के लिए नहीं। अब जब मामला खुला है, तो अधिकारी कह रहे हैं कि इनका बाड़ा बन रहा है। अब सवाल है कि इतने साल तक इनकी सुध क्यों नहीं ली गई?”

दोषियों पर हो कार्रवाई, वन्यजीव कानून के तहत केस दर्ज हो

पशु प्रेमियों और संगठनों की मांग है कि इस अमानवीयता के लिए जिम्मेदार अधिकारियों को तत्काल निलंबित किया जाए। साथ ही, वन्य जीव संरक्षण अधिनियम के तहत प्रारंभिक अपराध रिपोर्ट (पीओआर) दर्ज कर सख्त कार्रवाई हो।

जनता से अपील: ऐसे जंगल सफारी का बहिष्कार करें

पशुप्रेमी संकल्प गायधानी और अन्य संगठनों ने आम जनता से भावुक अपील की है — “जहां जानवरों पर जुल्म हो, वहां मत जाइए। जंगल सफारी नया रायपुर में जीवदया नहीं है, वहां मनोरंजन नहीं, अत्याचार दिखेगा।”

अब देखना होगा कि इस बहिष्कार की अपील और खुलासे के बाद वन विभाग क्या कदम उठाता है। पर एक बात तो साफ है — जो जानवर सालों से इंसानों की उदासीनता और अमानवीयता झेल रहे हैं, उनकी आवाज अब दबने वाली नहीं है

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