छत्तीसगढ़ में अब पैदा होगी 80 लीटर दूध देने वाली गाय!

छत्तीसगढ़ के दुर्ग जिले में देश का ऐसा पहला मामला सामने आया है, जहां ब्राजील से इम्पोर्टेड गिरलैंडो नस्ल के सांड का फ्रोजन सीमन लाया गया है। इसे दुर्ग स्थित वीर्य संग्रहालय में बेहद सावधानी से लिक्विड नाइट्रोजन में सुरक्षित रखा गया है। यह कोई मामूली सीमन नहीं, बल्कि अब तक का सबसे महंगा वीर्य है — एक डोज की कीमत ₹1384 तक!
गिरलैंडो कौन? और क्यों है इतना खास?
गिरलैंडो गाय दरअसल भारत की गीर नस्ल और ब्राजील की होलिस्टन नस्ल का मिलाजुला रूप है। ब्राजील के वैज्ञानिकों ने दशकों तक जेनेटिक रिसर्च करके इस हाईब्रिड नस्ल को तैयार किया। गिरलैंडो गाय इतनी ताकतवर है कि ठंड हो या गर्मी, बारिश हो या उमस — हर मौसम में ढल जाती है। और सबसे तगड़ी बात, एक दिन में 80 लीटर तक दूध देती है!

अब छत्तीसगढ़ में भी दिखेगा गिरलैंडो का असर
छत्तीसगढ़ को केंद्र सरकार की ओर से इस खास नस्ल का 500 डोज फ्रोजन सीमन भेजा गया है। इसका इस्तेमाल गिर प्रजाति की गायों में कृत्रिम गर्भाधान के जरिए किया जाएगा। इससे जो बछड़े पैदा होंगे, उनमें गिर और गिरलैंडो दोनों के गुण होंगे। आगे की पीढ़ियों में इस प्रक्रिया को दोहराकर पूरी गिरलैंडो नस्ल तैयार की जाएगी।

क्यों लाया गया सिर्फ सीमन, सांड क्यों नहीं?
वीर्य संग्रहालय के डायरेक्टर डॉ. संजीव सहस्त्रबुद्धे का कहना है कि सांड लाने से न सिर्फ खर्च बढ़ता है बल्कि देखभाल, परिवहन और सुरक्षा की चुनौती भी आती है। वहीं सीमन लाकर कृत्रिम गर्भाधान के जरिए बड़ी संख्या में गायों को गर्भवती किया जा सकता है। एक बार में सैकड़ों गायों में प्रक्रिया हो सकती है।
पूरी नस्ल तैयार करने में लगती हैं 7 पीढ़ियां
डॉ. सहस्त्रबुद्धे के मुताबिक, किसी नई प्रजाति को पूरी तरह विकसित करने के लिए करीब 7 पीढ़ियों तक क्रॉस ब्रीडिंग करनी पड़ती है। शुरुआती चरण में जो बछड़ा पैदा होगा उसमें गिर और गिरलैंडो दोनों नस्लों के 50-50% गुण होंगे। जैसे-जैसे ये प्रक्रिया आगे बढ़ेगी, आने वाली पीढ़ियों में गिरलैंडो की शुद्धता बढ़ेगी।

दूध के लिए भी अब एक्सपर्ट टच!
छत्तीसगढ़ जैसे राज्य में, जहां दूध की मांग तेजी से बढ़ रही है, वहां यह प्रोजेक्ट गेमचेंजर साबित हो सकता है। गिरलैंडो गायों से न सिर्फ दूध उत्पादन बढ़ेगा, बल्कि किसान की आमदनी और राज्य की दुग्ध नीति को भी नई दिशा मिलेगी।