Water Crisis in CG: छत्तीसगढ़ में जल संकट गहराया, पांच बड़े बांध पूरी तरह सूखे – हालात बेकाबू होने लगे

रायपुर, 19 मई 2025: Water Crisis in CG: छत्तीसगढ़ इस वक्त एक बड़े जल संकट से दो-चार हो रहा है। भीषण गर्मी के बीच राज्य के पांच सबसे अहम बांध – मुरूमसिल्ली, मोगरा बैराज, पेंड्रावन, मयाना और घुमरिया – पूरी तरह सूख चुके हैं। वहीं, बाकी आठ बांधों की हालत भी कुछ खास नहीं है, जहां जल स्तर 10% से भी नीचे जा चुका है। लगातार तीसरे साल बांधों में पानी की मात्रा में गिरावट दर्ज की गई है, जो चिंता का गंभीर विषय बन गया है।

सूख गए बड़े बांध, प्यास से तरस रहे गांव

Current Water Crisis in CG: गर्मियों की तपिश के साथ ही पानी की किल्लत ने पूरे राज्य में हाहाकार मचा दिया है। राजधानी रायपुर हो या बस्तर का सुदूर गांव – हर तरफ पानी के लिए त्राहि-त्राहि मची है। सबसे चिंताजनक बात यह है कि प्रदेश के पांच बड़े बांध अब शून्य प्रतिशत जल स्तर पर पहुंच चुके हैं। इससे न सिर्फ खेती-बाड़ी ठप हो रही है, बल्कि लोगों के पीने के पानी तक के लाले पड़ने लगे हैं।

बांधों के सूखने की कहानी, आंकड़ों की जुबानी

राज्य जल संसाधन विभाग ने जो ताजा आंकड़े जारी किए हैं, वो डराने वाले हैं। लगातार तीन साल से जल स्तर घट रहा है। एक नजर डालिए इन प्रमुख बांधों के तीन सालों के आंकड़ों पर:

बांध का नाम202520242023
मुरूमसिल्ली0.01%0.00%31.5%
मोगरा बैराज0.00%20%14%
पेंड्रावन0.00%5.3%16.8%
मयाना0.00%2.8%20.3%
घुमरिया0.00%1.1%14.3%

इन आंकड़ों से साफ है कि जल संकट अचानक नहीं आया, ये तो लगातार बढ़ती अनदेखी और लापरवाही का नतीजा है।

सूखे और खराब मानसून ने बिगाड़ी हालत

Water Crisis in Chhattisgarh: विशेषज्ञ मानते हैं कि लगातार कमजोर मानसून, बेमौसम बारिश, और भूजल दोहन ने इस संकट को जन्म दिया है। ऊपर से रही-सही कसर पूरी कर दी जल संरक्षण की कमी, वर्षा जल संचयन में लापरवाही, और अनियंत्रित जल उपयोग ने।

गांव की खेती ठप, शहरों में पानी के लिए मारा-मारी

बांधों के सूखने का सीधा असर गांव की खेती पर पड़ा है। धान के कटोरे कहे जाने वाले छत्तीसगढ़ में इस बार खेती के लायक पानी नहीं बचा है। वहीं शहरी इलाकों में टैंकरों के सहारे पानी पहुंच रहा है। कई जगहों पर रोजाना जलापूर्ति प्रभावित हो चुकी है।

अब क्या करे सरकार?

राज्य सरकार और जल संसाधन विभाग के सामने ये वक्त नींद से जागने का है। संकट टालने के लिए सिर्फ घोषणाएं नहीं, जमीनी स्तर पर ठोस एक्शन की जरूरत है।

समाधान क्या है?

जल विशेषज्ञों के मुताबिक, इस संकट से निपटने के लिए जरूरी है कि:

  • वर्षा जल संग्रहण को गांव-शहर में अनिवार्य बनाया जाए
  • छोटे-छोटे तालाब और चेक डैम फिर से खोदे जाएं
  • पुराने जल स्रोतों की सफाई और पुनर्जीवन किया जाए
  • और सबसे जरूरी – जल साक्षरता अभियान चलाया जाए, जिससे आम लोग भी जल बचाने के प्रति जागरूक हों

अगर अभी भी इस संकट को हल्के में लिया गया, तो आने वाले वर्षों में छत्तीसगढ़ को पानी की एक-एक बूंद के लिए लड़ना पड़ेगा। और तब शायद सिर्फ अफसरशाही और योजनाओं की फाइलें इस प्यास को नहीं बुझा पाएंगी।

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