छत्तीसगढ़

छत्तीसगढ़: ‘मंत्री’ निलंबित… सरकारी जमीन पर कब्ज़ा से खुली बड़ी साजिश की परत, कब्जा करना पड़ा भारी

रायपुर। छत्तीसगढ़ के धमतरी जिले में एक चौंकाने वाली घटना ने शिक्षा विभाग और स्थानीय प्रशासन को सकते में डाल दिया है। एक सरकारी शिक्षक, जो कभी बच्चों को शिक्षा देने का जिम्मा संभालते थे, अब खुद विवादों के घेरे में हैं। मामला सामने आया है, जब मंत्री गाडगे नामक शिक्षक पर सरकारी ज़मीन पर अवैध कब्ज़ा करने का आरोप लगा। क्या कभी इस शख्स ने सोचा था कि वह जो पाठशाला में शिक्षा देने का काम करता था, वही अब खुद एक ऐसे मामले में फंस जाएगा जो न सिर्फ उसके कैरियर को बल्कि पूरे शिक्षा विभाग की छवि को सवालों के घेरे में डाल देगा? शिक्षा जगत से जुड़े इस शिक्षक की कहानी अब एक सनसनीखेज विवाद बन चुकी है, और इस मामले ने पूरे जिले में तहलका मचा दिया है। अब देखने वाली बात यह होगी कि क्या मंत्री गाडगे इस विवाद से बाहर निकल पाते हैं या उनका भविष्य अब भी दांव पर रहेगा?

सरकारी ज़मीन पर कब्ज़ा और कानूनी कार्रवाई

मामले की जांच के दौरान यह पाया गया कि मंत्री गाडगे ने शासकीय घास भूमि, खसरा नंबर 1219 के एक हिस्से पर कब्ज़ा किया था। यह ज़मीन ग्राम मडेली पब्वारी में स्थित थी, और उस पर दो पक्की दुकानें और एक मकान भी बनवाया गया था। इस बारे में शिकायत मिलने के बाद तहसीलदार भखारा ने जांच शुरू की, और न्यायालय से निर्माण कार्य बंद करने का आदेश जारी किया।

जब यह मामला अदालत में गया, तो मंत्री गाडगे ने खुद न्यायालय में आकर अपने बयान दिए और स्वीकार किया कि उन्होंने ही उक्त भूमि पर निर्माण कार्य करवाया था। इसके बाद न्यायालय ने उन्हें आदेश दिया कि वह तीन दिन के भीतर उस ज़मीन को खाली कर दें।

निलंबन की कार्रवाई

मंत्री गाडगे द्वारा न्यायालय का आदेश न मानने और ज़मीन को खाली न करने के चलते, उन्हें तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया गया। छत्तीसगढ़ सिविल सेवा (आचरण) नियम 1965 के तहत उनका यह व्यवहार अनुशासनहीनता और कदाचार की श्रेणी में आता है।

अब मंत्री गाडगे को निलंबन अवधि के दौरान जीवन निर्वाह भत्ता मिलेगा, और उनका मुख्यालय शासकीय हाई स्कूल, बांझापाली, विकासखंड सरायपाली, जिला महासमुंद में नियुक्त किया गया है। यह पूरी कार्रवाई शिक्षा विभाग के संयुक्त संचालक राकेश कुमार पांडे द्वारा की गई है, जो कलेक्टर के आदेश पर कार्य कर रहे थे।

यह मामला यह दर्शाता है कि सरकारी ज़मीन पर अवैध कब्ज़ा करना न केवल कानून का उल्लंघन है, बल्कि यह सरकारी अधिकारियों और कर्मचारियों के लिए अनुशासनहीनता का कारण भी बन सकता है। छत्तीसगढ़ सरकार ने इस मामले में कड़ी कार्रवाई करते हुए यह साबित किया है कि वह इस तरह के मामलों को गंभीरता से लेती है।

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