पांच साल बाद वन विभाग को होश आया-असम के वनभैंसों का क्या करें? असम से लाए गए वनभैंसों का भविष्य तय करने के लिए बनी योजना

रायपुर, 13 फरवरी 2025: छत्तीसगढ़ के वन विभाग ने पांच साल बाद असम से लाए गए वनभैंसों और राज्य के अन्य वनभैंसों के संरक्षण के लिए एक अहम कदम उठाया है। 31 जनवरी को वन विभाग ने देशभर से आए विशेषज्ञों की एक उच्च स्तरीय बैठक आयोजित की, जिसमें राज्य में वनभैंसों के संरक्षण के उपायों पर गहन चर्चा की गई।

क्या है पूरा मामला?

2020 में छत्तीसगढ़ में वनभैंसों की संख्या बढ़ाने के लिए असम से एक नर और एक मादा वनभैंसा लाया गया था। इसके बाद, 2023 में चार मादा वनभैंसा और भेजे गए थे, जिन्हें बारनवापारा अभ्यारण के बाड़े में रखा गया है। इन वनभैंसों के दो बच्चे भी हो गए हैं, लेकिन इन्हें देखने की अनुमति केवल वी.आई.पी. को दी जाती है। वहीं, उदंती सीतानदी टाइगर रिजर्व में सिर्फ एक 26 साल का वनभैंसा बचा है, जो अब अपनी उम्र के अंतिम पड़ाव पर है।

वन्यजीव संरक्षण से जुड़ी कई परेशानियों का सामना करते हुए, वन विभाग ने इस मुद्दे पर गंभीर विचार किया और 31 जनवरी को विशेषज्ञों की एक बैठक बुलाई, जिसमें राज्य के वनभैंसों के भविष्य के बारे में चर्चा की गई।

क्या कदम उठाए जाएंगे?

मीटिंग में विशेषज्ञों ने सुझाव दिया कि वनभैंसों का संरक्षण अब अधिक प्रभावी तरीके से किया जाए। एक सुझाव यह था कि बारनवापारा अभ्यारण से एक मादा वनभैंसा को उदंती स्थानांतरित किया जाए और उसे वहाँ के सबसे पुराने नर वनभैंसा छोटू के साथ रखा जाए। वाइल्डलाइफ इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया के पूर्व वैज्ञानिक ने कहा कि बारनवापारा से जितना जल्दी हो सके, वनभैंसों को उदंती भेज दिया जाए और असम से और वनभैंसों की लाने की प्रक्रिया शुरू की जाए।

जेनेटिक प्योरिटी पर उठे सवाल

मीटिंग के दौरान वनभैंसों की जेनेटिक प्योरिटी को बनाए रखने पर भी चर्चा हुई। वाइल्डलाइफ विशेषज्ञों ने बताया कि जेनेटिक प्योरिटी को बनाए रखना अब इतिहास बन चुका है और अब सिर्फ वनभैंसों की जनसंख्या का प्रबंधन करना जरूरी है। वन्यजीव प्रेमियों का कहना है कि इस पर सर्वोच्च न्यायालय के आदेश की अवमानना की गई है, जिसमें वनभैंसों की जेनेटिक प्योरिटी बनाए रखने का आदेश दिया गया था।

क्या होगा अगला कदम?

यह निर्णय लिया गया कि छत्तीसगढ़ वन विभाग, वाइल्डलाइफ इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया और अन्य विशेषज्ञों के साथ मिलकर एक समिति गठित की जाएगी। यह समिति एक्शन प्लान तैयार करेगी ताकि वनभैंसों के संरक्षण और प्रजनन को बढ़ावा दिया जा सके।

वन्यजीव प्रेमियों की चिंता

वन्यजीव प्रेमियों का कहना है कि पांच सालों तक वनभैंसों को बाड़े में बंद कर रखा जाना और अब जाकर इसे लेकर मीटिंग बुलाई जाना, यह वन विभाग की अदूरदर्शिता को दर्शाता है। उनका मानना है कि वनभैंसों का संरक्षण बहुत पहले गंभीरता से लिया जाना चाहिए था।

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Ravi Pratap Pandey

रवि पिछले 7 वर्षों से छत्तीसगढ़ में सक्रिय पत्रकार हैं। उन्होंने राज्य के सामाजिक, राजनीतिक और सांस्कृतिक पहलुओं पर गहराई से रिपोर्टिंग की है। जमीनी हकीकत को उजागर करने और आम जनता की आवाज़ को मंच देने के लिए वे लगातार लेखन और रिपोर्टिंग करते रहे हैं।

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