छत्तीसगढ़

CG Weather Red Alert: छत्तीसगढ़ में तूफान ने मचाई तबाही : रेड अलर्ट आया लेकिन जनता तक देर से पहुंची चेतावनी, किसकी जिम्मेदारी… कौन दोषी?

रायपुर: CG Weather Red Alert: छत्तीसगढ़ में मौसम ने बीते 24 घंटे में कहर बरपा दिया। राजधानी रायपुर समेत कई जिलों में तेज आंधी और तूफान से सड़कें मलबे में तब्दील हो गईं। कहीं पेड़ धराशायी हुए तो कहीं बिजली के खंभे और टोल प्लाज़ा के शेड्स उड़ते दिखे। लेकिन इन तबाही की तस्वीरों से ज्यादा परेशान करने वाला सवाल ये है कि जब मौसम विभाग ने रेड अलर्ट जारी किया था, तो फिर जनता तक उसकी जानकारी क्यों नहीं पहुंची?

अलर्ट था लेकिन कोई सूचना नहीं, आखिर जिम्मेदार कौन?

छत्तीसगढ़ मौसम विभाग के अधिकारी सुनील गुप्ता ने बड़ा खुलासा करते हुए कहा कि विभाग ने समय-समय पर अलर्ट जारी किया, लेकिन उन्हें जनता तक पहुंचाना आपदा प्रबंधन विभाग की जिम्मेदारी होती है। सुनील गुप्ता के मुताबिक, अलर्ट तो चार बार भेजे गए—दोपहर 12:17, 2:15, 4:11 और 4:38 पर। अंतिम अलर्ट रेड अलर्ट था।

हैरानी की बात यह रही कि इनमें से एक भी चेतावनी SMS के ज़रिये आम लोगों के मोबाइल तक नहीं पहुंची। एकमात्र SMS अलर्ट शाम 5:58 बजे भेजा गया, जब तबाही अपने चरम पर पहुंच चुकी थी।

आपदा प्रबंधन बोला – हमारी नहीं जिम्मेदारी!

जब आपदा प्रबंधन के प्रमुख पुष्पराज सिंह से बात की गई, तो उन्होंने जिम्मेदारी लेने से इनकार कर दिया। उनका कहना था कि SDRF (राज्य आपदा मोचन बल) का काम सिर्फ राहत कार्य करना है, चेतावनी देना उनका काम नहीं। यानी की गेंद एक विभाग से दूसरे विभाग के पाले में फेंकी जा रही है, जबकि बीच में जनता फंसी हुई है।

मौसम विभाग अंधेरे में, तीन घंटे तक नहीं मिला कोई अपडेट

इस आपदा के दौरान एक और चौंकाने वाली बात सामने आई। रायपुर में जब तेज आंधी-तूफान से बिजली गुल हुई, तो मौसम विभाग का पूरा सिस्टम बंद हो गया। ऑफिस में जनरेटर की सुविधा होते हुए भी मॉनिटरिंग सिस्टम ठप रहे। लगभग तीन घंटे तक कोई अपडेट नहीं मिल पाया। यानी जिनके कंधों पर अलर्ट जारी करने और हालात पर नजर रखने की जिम्मेदारी है, वो खुद अंधेरे में थे।

जनता को कब मिलेगा वक्त रहते अलर्ट?

अब सवाल उठता है कि अगर मौसम विभाग अलर्ट जारी करता है और आपदा प्रबंधन विभाग उसे आगे नहीं बढ़ाता, तो ऐसी व्यवस्थाओं का फायदा क्या? क्या सरकार को ऐसी तकनीकी खामियों के लिए जवाबदेह नहीं ठहराया जाना चाहिए?

बड़ा सवाल यही है कि जब हर किसी के पास मोबाइल है, तो एक SMS अलर्ट भेजने में कितनी देर लगती है? अगर वक्त रहते अलर्ट मिल जाता, तो शायद कई नुकसान टाले जा सकते थे।

छत्तीसगढ़ में मौसम की मार से ज्यादा खतरनाक है सिस्टम की सुस्ती। अब देखना ये होगा कि सरकार इस ‘जवाबदेही के तूफान’ से कैसे निपटती है।

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