छत्तीसगढ़

Sushasan Tihar: सुशासन तिहार में युवक ने मांगी दुल्हन, बोले- तलाकशुदा, विधवा या अनाथ हो तो भी चलेगी!

Sushasan Tihar: छत्तीसगढ़ के गरियाबंद ज़िले में इन दिनों सुशासन तिहार चल रहा है। यहां लोग अपनी दिक्कतें, योजनाओं से जुड़ी परेशानियां या जरूरी मदद की फरियाद लेकर प्रशासन के सामने पहुंचते हैं। सुशासन तिहार में लोग केवल शासन-प्रशासन से जुड़ी समस्या ही लेकर नहीं आ रहे हैं, बल्कि निहायत व्यक्तिगत समस्या लेकर भी पहुंच जा रहे हैं. जिले के युवा सुशासन तिहार में अपने लिए शासन-प्रशासन से दुल्हन मांग रहे हैं. एक युवा ने तो यहां तक लिख डाला कि मुझे विधवा, तलाकशुदा, या नहीं तो अनाथ गरीब कन्या ही दिला दो.

ब्रह्मचर्य वार्ड के चंदन साहनी की ‘मन की बात’

राजिम नगर पंचायत के ब्रह्मचर्य वार्ड में रहने वाले 36 साल के चंदन साहनी ने सरकार से गुहार लगाई है कि उन्हें जीवन साथी दिलाया जाए। चंदन साहनी का कहना है कि वो काफी समय से अकेले जीवन बिता रहे हैं। अब थक चुके हैं। उन्होंने लिखा है कि अगर विधवा, तलाकशुदा या अनाथ गरीब लड़की भी हो, तो वो बिना किसी शर्त के उससे शादी को तैयार हैं।

यानि साफ है — चंदन जी को अब जीवन में संगिनी चाहिए, चाहे वो किसी भी परिस्थिति में क्यों न हो। ज़िंदगी के मोड़ पर वो अब सरकार से सहारा मांगने पहुंच गए हैं।

अकेले चंदन नहीं, और भी हैं ‘दूल्हन खोज अभियान’ में शामिल

चंदन साहनी अकेले नहीं हैं जो इस तरह की मांग लेकर पहुंचे। फिंगेश्वर ब्लॉक के चैत्रा पंचायत से भी एक युवक ने ऐसा ही आवेदन दिया है। कुछ युवकों ने तो शादी के लिए आर्थिक मदद की भी मांग की है — यानी न सिर्फ दुल्हन चाहिए, बल्कि शादी का खर्च भी सरकार उठाए।

महिला एवं बाल विकास विभाग ने दिया जवाब

महिला एवं बाल विकास विभाग के जिला कार्यक्रम अधिकारी अशोक पाण्डेय ने बताया कि अब तक ऐसे कुल 8 आवेदन मिले हैं, जिनमें शादी के लिए साथी की मांग या आर्थिक सहयोग मांगा गया है। उन्होंने बताया कि ऐसे आवेदनों को संवेदनशीलता से लिया गया है और उन्हें बताया गया है कि उचित समय पर योजनाओं से जोड़ने की कोशिश की जाएगी

दुल्हन मांगने वाले आवेदकों को भी समझाया गया है कि फिलहाल इस संबंध में कोई सीधी योजना नहीं है, लेकिन जो भी संभव होगा, वो किया जाएगा।

युवक की दिल की बात है

देखा जाए तो ये मामला जितना अजीब लग सकता है, उतना ही व्यक्तिगत और सामाजिक पहलू भी दिखाता है। अकेलेपन से जूझ रहे लोग अगर सरकार के दरवाज़े पर जीवन साथी की मांग लेकर पहुंच रहे हैं, तो ये उनके भावनात्मक संघर्ष को भी बयां करता है।

सुशासन तिहार सिर्फ फाइलों, राशन कार्ड या शौचालय की अर्जियों तक सीमित नहीं है, यहां लोग दिल की बातें भी लेकर आ रहे हैं।

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