CG Hospital Scandal: छत्तीसगढ़ के सरकारी अस्पताल में बड़ी लापरवाही, मरीज को चढ़ा दी एक्सपायरी दवाई

दुर्ग। CG Hospital Scandal: छत्तीसगढ़ के दुर्ग जिले स्थित लाल बहादुर शास्त्री अस्पताल, सुपेला से एक बार फिर सरकारी स्वास्थ्य व्यवस्था की बड़ी लापरवाही सामने आई है। यहां भर्ती एक मरीज को एक्सपायरी ग्लूकोज की डिप चढ़ा दी गई। मामला सामने तब आया जब मरीज के शरीर में जलन होने लगी और परिजनों ने डिप की बोतल की जांच की। इसमें पाया गया कि दवा की मियाद तीन महीने पहले ही खत्म हो चुकी थी। अब इस मामले ने स्वास्थ्य विभाग की कार्यप्रणाली पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं।
मरीज के शरीर में हुई जलन, परिजनों ने की पड़ताल
घटना रविवार रात की है। छावनी निवासी दीपक कुमार अपने रिश्तेदार से मिलने आया था। तभी अचानक उसकी तबीयत बिगड़ गई। चक्कर और हाथ-पैर में दर्द की शिकायत के बाद परिजन उसे सुपेला अस्पताल लेकर पहुंचे। उस वक्त अस्पताल में डॉ. मंजू राठौर की ड्यूटी थी। परिजनों ने बेहतर इलाज की मांग की, जिस पर डॉक्टर ने दीपक को जनरल वार्ड में भर्ती कर डेक्सट्रोज चढ़ाने की सलाह दी।
नाइट ड्यूटी पर तैनात नर्स ने दवा काउंटर से एक बोतल उठाई और बिना जांच के मरीज को चढ़ा दी। रातभर कुछ खास नहीं हुआ, लेकिन सुबह होते ही दीपक के शरीर में जलन शुरू हो गई।
बोतल की जांच में निकली हकीकत, नर्स ने पहले झूठ बोला फिर मानी गलती
जब दीपक ने अपने जीजा अनिल सिंह को तकलीफ के बारे में बताया, तो अनिल ने डिप की बोतल चेक की। उन्होंने देखा कि उस पर लिखी एक्सपायरी डेट फरवरी 2025 थी, लेकिन दवा मार्च 2022 में बनी थी और इसके हिसाब से इसकी वैधता फरवरी 2025 तक ही थी। मतलब, बोतल तीन महीने पहले ही एक्सपायर हो चुकी थी।
अनिल ने पहले नर्स से शिकायत की, लेकिन उसने गलती मानने से इनकार कर दिया। इसके बाद अनिल ने बोतल की फोटो और वीडियो बना लिए और उसे नर्स को दिखाया। तब जाकर नर्स ने चुपचाप गलती स्वीकार कर ली।
डॉक्टर ने कहा- “मरीज मरा तो नहीं ना”, सिस्टम पर उठे सवाल
इस पूरे मामले में सबसे चौंकाने वाला बयान डॉक्टर मंजू राठौर का रहा। जब अनिल ने उनसे इस लापरवाही की बात की, तो डॉक्टर ने कहा, “मरीज मरा तो नहीं ना, ऐसी गलतियां हो जाती हैं। इलाज चल रहा है।” इस बयान से साफ है कि सरकारी अस्पतालों में मानव जीवन की कीमत कितनी कम हो गई है।
अस्पताल प्रशासन ने जांच के दिए आदेश, स्टॉकिंग सिस्टम पर भी सवाल
जिस डेक्सट्रोज की डिप मरीज को चढ़ाई गई, उसका बैच नंबर 1221910 था। यह दवा छत्तीसगढ़ मेडिकल सर्विस कॉर्पोरेशन लिमिटेड (CGMSC) से दुर्ग जिले को सप्लाई हुई थी।
अस्पताल के चिकित्सा अधीक्षक डॉ. पीयाम सिंह ने इस मामले को गंभीर मानते हुए जांच के आदेश दिए हैं। उनका कहना है कि अस्पताल में दवा तीन स्तर की जांच के बाद स्टोर तक पहुंचती है। ऐसे में एक्सपायरी दवा मरीज तक कैसे पहुंच गई और नर्स ने बिना चेक किए उसे कैसे लगा दिया, यह जांच का विषय है। रिपोर्ट आने के बाद ही आगे की कार्रवाई की जाएगी।
सवाल ये है कि…
- अस्पताल में तीन-तीन स्तर की जांच के बावजूद एक्सपायरी दवा मरीज को कैसे दी गई?
- क्या स्टॉक रजिस्टर अपडेट नहीं होता या फिर जानबूझकर लापरवाही की जाती है?
- अगर मरीज की तबीयत ज्यादा बिगड़ जाती या जान चली जाती, तो कौन जिम्मेदार होता?
ये सवाल सिर्फ सुपेला अस्पताल से नहीं, पूरे सरकारी स्वास्थ्य सिस्टम से पूछे जाने चाहिए। क्योंकि एक एक्सपायरी दवा किसी की जिंदगी छीन सकती है — और ये कोई छोटी गलती नहीं।