World Book of Record: धमतरी में रहने वाली डेढ़ साल की श्रीनिका ने किया कमाल, शरीर के 31 अंगों की पहचान कर बनाया वर्ल्ड रिकॉर्ड

धमतरी World Book of Record: छत्तीसगढ़: बच्चे आमतौर पर डेढ़ साल की उम्र में बोलना और चलना सीखते हैं। लेकिन छत्तीसगढ़ की नन्हीं श्रीनिका उंदिरवाड़े ने इस उम्र में जो किया है, वो हर किसी को हैरान कर सकता है। महज डेढ़ साल से भी कम उम्र में मानव शरीर के 31 अंगों की पहचान कर श्रीनिका ने वर्ल्ड रिकॉर्ड अपने नाम कर लिया है।
वर्ल्डवाइड बुक ऑफ रिकॉर्ड्स में दर्ज हुआ नाम
श्रीनिका का यह रिकॉर्ड 7 जनवरी 2025 को दर्ज किया गया। इस अद्भुत उपलब्धि के लिए उनका नाम “वर्ल्डवाइड बुक ऑफ रिकॉर्ड्स” में दर्ज किया गया है। यह रिकॉर्ड इस मायने में भी खास है क्योंकि आमतौर पर इस उम्र में बच्चे शब्द पहचानने और बोलने की शुरुआती कोशिश करते हैं, जबकि श्रीनिका ने सटीकता से 31 अंगों की पहचान कर दुनिया को चौंका दिया।
परिवार ने दिया ज्ञान और जिज्ञासा का माहौल
धमतरी में रहने वाले छत्तीसगढ़ राज्य ग्रामीण बैंक के कैशियर निखिल रामप्रसाद उंदिरवाड़े और उनकी पत्नी धनश्री उंदिरवाड़े की यह बेटी शुरू से ही पढ़ाई-लिखाई में रुचि दिखा रही थी। माता-पिता ने उसे किताबों, विजुअल चार्ट और मज़ेदार एक्टिविटीज़ के ज़रिए शुरू से ही ज्ञान की ओर प्रेरित किया।
कौन-कौन से अंगों की पहचान की?
नीचे दी गई तालिका में उन 31 अंगों की सूची है, जिनकी पहचान श्रीनिका ने बिल्कुल सही तरीके से की:
क्रम | अंग का नाम | क्रम | अंग का नाम |
---|---|---|---|
1 | सिर | 17 | हाथ की उंगलियां |
2 | आंखें | 18 | कोहनी |
3 | कान | 19 | पेट |
4 | नाक | 20 | कमर |
5 | मुंह | 21 | घुटना |
6 | जीभ | 22 | पैर |
7 | दांत | 23 | टखना |
8 | बाल | 24 | एड़ी |
9 | गला | 25 | अंगूठा |
10 | गर्दन | 26 | भौंह |
11 | कंधा | 27 | माथा |
12 | छाती | 28 | गाल |
13 | पीठ | 29 | नाभि |
14 | हाथ | 30 | जांघ |
15 | अंगुलियां | 31 | एर |
16 | कलाई |
कम उम्र में असाधारण क्षमता
इस उम्र में जहां बच्चे आमतौर पर बोलना सीख रहे होते हैं, वहां श्रीनिका की यह उपलब्धि उसे एक विशेष प्रतिभा की श्रेणी में रखती है। यह सिर्फ माता-पिता की मेहनत नहीं, बल्कि एक बच्ची की जिज्ञासा, समझ और सीखने की तीव्र गति का प्रमाण है।
श्रीनिका उंदिरवाड़े ने यह दिखा दिया है कि उम्र प्रतिभा की सीमा नहीं होती। अगर सही दिशा और माहौल मिले, तो बच्चे कमाल कर सकते हैं। उनके माता-पिता की जागरूकता और नन्हीं श्रीनिका की लगन इस रिकॉर्ड के पीछे की असली ताकत है।