CG Electricity Bill Hike: छत्तीसगढ़ में बिजली उपभोक्ताओं को दोहरा झटका, सरचार्ज वापस और टैरिफ बढ़ोतरी भी तय

CG Electricity Bill Hike: छत्तीसगढ़ के करीब 65 लाख बिजली उपभोक्ताओं को एक बार फिर से बिजली बिल के रूप में बड़ा झटका लगा है। जहां एक ओर नया टैरिफ लागू होने की तैयारी चल रही है, वहीं दूसरी ओर मई के बिल में फिर से FPPAS (फ्यूल पॉवर परचेज एडजस्टमेंट सरचार्ज) जोड़ा गया है। उपभोक्ताओं को अब बिजली खपत पर 7.32% अतिरिक्त राशि देनी होगी।
अप्रैल महीने में उपभोक्ताओं को इस सरचार्ज से एक बार के लिए राहत मिली थी, लेकिन वह राहत टिक नहीं पाई। अब उत्पादन लागत में बदलाव के चलते FPPAS फिर से लागू कर दिया गया है।
पहले VCA था, अब FPPAS—फॉर्मूला बदला, बोझ वही
पहले बिजली कंपनियां VCA (वेरिएबल कॉस्ट एडजस्टमेंट) के जरिए उपभोक्ताओं से अतिरिक्त राशि लेती थीं। लेकिन अब इसकी जगह FPPAS फॉर्मूला लागू किया गया है, जो बिजली की उत्पादन लागत पर आधारित होता है। इस व्यवस्था की शुरुआत अप्रैल 2023 से हुई थी, और तब से हर महीने उपभोक्ताओं को इसका बोझ उठाना पड़ रहा है।
विशेषज्ञों का कहना है कि जब तक उत्पादन लागत में उतार-चढ़ाव रहेगा, तब तक FPPAS उपभोक्ताओं की जेब पर असर डालता रहेगा।
टैरिफ बढ़ना भी तय माना जा रहा है
बिजली कंपनी ने छत्तीसगढ़ राज्य विद्युत नियामक आयोग को वित्तीय वर्ष 2025-26 के लिए नया टैरिफ प्रस्ताव सौंपा है। इस प्रस्ताव में अनुमान लगाया गया है कि कंपनी को इस साल 24,652 करोड़ की बिजली बिक्री से आमदनी होगी, जबकि खर्च 23,082 करोड़ तक सीमित रहेगा। यानी 1,570 करोड़ रुपये का लाभ होने का दावा किया गया है।
लेकिन बीते वित्तीय वर्ष 2023-24 में कंपनी को 6,130 करोड़ रुपये का घाटा हुआ था। ऐसे में इस अंतर को पाटने के लिए टैरिफ बढ़ोतरी की मांग की गई है। अब गेंद आयोग के पाले में है, लेकिन संकेत साफ हैं कि बिजली की दरें बढ़ना लगभग तय है।
अप्रैल में मिली थी छूट, लेकिन सिर्फ एक बार के लिए
अप्रैल 2024 के बिल में उपभोक्ताओं को FPPAS से करीब 12.61% की राहत मिली थी। इसकी वजह यह थी कि एनटीपीसी लारा प्लांट से ली गई पुरानी देनदारी उस महीने पूरी हो गई थी। लेकिन अब मई के बिल में 7.32% FPPAS शुल्क दोबारा लागू कर दिया गया है। यह शुल्क अप्रैल की खपत पर आधारित है, जिसका असर जून में आने वाले बिलों पर पड़ रहा है।
क्या आगे और बढ़ेगा बिल?
ऊर्जा विशेषज्ञों का मानना है कि FPPAS पूरी तरह से प्रोडक्शन कॉस्ट यानी बिजली उत्पादन लागत पर आधारित होता है। अगर लागत बढ़ती है, तो उपभोक्ताओं को हर महीने नए सिरे से सरचार्ज देना होगा। यानी यह शुल्क कम या ज्यादा हो सकता है, लेकिन खत्म नहीं होगा—कम से कम तब तक, जब तक सिस्टम में स्थिरता न आए।
छत्तीसगढ़ में बिजली के नाम पर उपभोक्ताओं पर बोझ कम होने का नाम नहीं ले रहा। एक तरफ सरचार्ज का झटका, दूसरी तरफ टैरिफ बढ़ने की तैयारी। आम जनता के लिए ये सिर्फ आंकड़े नहीं, बल्कि जेब पर सीधा असर है। ऐसे में सवाल यही उठता है—कब तक बिजली की कीमतों पर अस्थिरता बनी रहेगी?