CG Teacher Rationalization Update: युक्तियुक्तकरण के नाम पर गड़बड़झाला! कलेक्टर के पास पहुंची शिकायत, तो मिला लास्ट अल्टीमेटम, पढ़िए कैसे हो रहा युक्तियुक्तकरण में गडबड़ी

CG Teacher Rationalization Update: छत्तीसगढ़ के मुंगेली जिले से एक बार फिर शिक्षा विभाग के शिक्षक युक्तियुक्तकरण को लेकर बवाल मचा है। आरोप हैं कि कुछ अफसरों ने नियमों की ऐसी-तैसी कर दी है। मामला अब जिले के कलेक्टर तक पहुंच चुका है और चेतावनी मिल चुकी है – विभागीय कार्रवाई बाद में, कानूनी पहले!

युक्तियुक्तकरण यानी व्यवस्था या फिर मनमर्जी?

CG Teacher Yuktiyuktkaran: शिक्षा विभाग हर साल शिक्षकों की तैनाती को लेकर एक प्रक्रिया चलाता है, जिसे युक्तियुक्तकरण कहते हैं। इसका मकसद ये होता है कि जहां ज़्यादा बच्चे हैं, वहां ज़्यादा शिक्षक हों और जहां बच्चे कम हैं, वहां से शिक्षकों को हटाया जाए। लेकिन मुंगेली में यही सिस्टम कुछ अधिकारियों की खेल का मैदान बन गया है।

क्या है खेल? गिनिए गड़बड़ियों की लिस्ट

सूत्रों और स्थानीय शिकायतों के मुताबिक, ये हैं गड़बड़ियों के मुख्य तरीके:

1. बच्चों की संख्या में गोलमाल

कई स्कूलों में छात्रों की संख्या बढ़ा-चढ़ाकर दिखाई जा रही है ताकि ज़्यादा शिक्षकों को वहीं रोका जा सके।

2. स्कूल की दूरी का गड़बड़ गणित

विद्यालयों के बीच की दूरी गलत बताकर नियमों के तहत बदलाव किए जा रहे हैं।

3. अतिरिक्त शिक्षकों को गायब दिखाना

जिन स्कूलों में शिक्षक पहले से ही अतिशेष हैं, उन्हें छुपाकर वहीं बनाए रखने की जुगत की जा रही है।

4. गायब बच्चे, लेकिन हाजिर रजिस्टर में

ऐसे छात्र जो महीनों से स्कूल नहीं आए, उन्हें भी उपस्थिति में दिखाया जा रहा है ताकि शिक्षक पद की ज़रूरत बनी रहे।

कलेक्टर ने दे दिया अल्टीमेटम – पारदर्शिता नहीं, तो FIR पक्की

मुंगेली के कलेक्टर कुंदन कुमार को जैसे ही यह शिकायतें मिलीं, उन्होंने सख्त तेवर दिखा दिए। उनका साफ कहना है:

“अगर गड़बड़ी पाई गई, तो विभागीय कार्रवाई बाद में होगी, पहले FIR होगी। ये आखिरी चेतावनी है।”

कलेक्टर ने DEO चन्द्र कुमार धृतलहरे और DMC प्रभारी अजय नाथ को निशाने पर लिया है। इसके अलावा उन्होंने BEO और BRC अफसरों को भी अलर्ट रहने को कहा है।

विभाग में मची हलचल, बचाव की कोशिशें तेज

कलेक्टर की सख्ती के बाद मुंगेली के शिक्षा दफ्तर में खलबली मच गई है। कई अधिकारी अब खुद को बचाने की कोशिश में लगे हैं। लेकिन बात साफ है – युक्तियुक्तकरण जैसे संवेदनशील और प्रशासनिक काम में गड़बड़ी पाई गई तो इसका अंजाम अब गंभीर होगा।

अब सबकी नजरें इस पर टिकी हैं:

  • क्या DEO और DMC पर कार्रवाई होगी?
  • क्या FIR दर्ज होगी या मामला फिर ठंडे बस्ते में जाएगा?
  • क्या इस पूरे सिस्टम को पारदर्शी बनाया जाएगा?

युक्तियुक्तकरण एक ज़रूरी प्रक्रिया है, जो बच्चों को बेहतर शिक्षा और शिक्षकों को सही जगह देने के लिए होती है। लेकिन अगर यही व्यवस्था घोटाले और हेराफेरी का जरिया बन जाए, तो सवाल उठना लाज़मी है। कलेक्टर कुंदन कुमार ने जिस सख्ती से कदम उठाया है, वो एक मिसाल बन सकती है – अगर मामला आगे भी उतनी ही ईमानदारी से निपटाया जाए।

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