CG Transfer News: छत्तीसगढ़ में ट्रांफसर आवेदनों की सुनवाई के लिए वरिष्ठ सचिवों की समिति का गठन, देखिये आदेश

CG Transfer News: छत्तीसगढ़ सरकार ने तबादला बैन हटाते ही ट्रांसफर नीति 2025 प्रक्रिया को लेकर बड़ा कदम उठाया है। अब अधिकारियों और कर्मचारियों के ट्रांसफर से जुड़ी शिकायतों की सुनवाई के लिए एक तीन सदस्यीय उच्चस्तरीय समिति बना दी गई है। इस समिति की अध्यक्षता करेंगे अपर मुख्य सचिव (ACS) मनोज कुमार पिंगुआ। यह आदेश सामान्य प्रशासन विभाग ने जारी किया है।
ट्रांसफर नीति 2025 के तहत कमेटी का गठन
सामान्य प्रशासन विभाग ने 5 जून 2025 को स्थानांतरण नीति वर्ष 2025 जारी करते हुए तबादलों पर लगे प्रतिबंध को आंशिक रूप से हटा दिया था। इसके बाद से विभागों में तबादलों के आदेश जारी होने लगे। लेकिन कई मामलों में कर्मचारियों और अधिकारियों को यह लगा कि ट्रांसफर नीति का पालन नहीं हुआ है।

ऐसे में कई कर्मचारी अपने ट्रांसफर ऑर्डर को लेकर हाईकोर्ट की शरण लेने लगे। इस पृष्ठभूमि में छत्तीसगढ़ सरकार ने हाईकोर्ट के पुराने आदेशों और पिछले अनुभवों को देखते हुए एक नई समिति का गठन किया है, जो ट्रांसफर से संबंधित शिकायतों की निष्पक्ष सुनवाई करेगी।
कौन-कौन है समिति में?
सरकार द्वारा गठित इस समिति में तीन वरिष्ठ अधिकारी शामिल किए गए हैं:
- मनोज कुमार पिंगुआ – अपर मुख्य सचिव, गृह एवं जेल विभाग (अध्यक्ष)
- सिद्धार्थ कोमल परदेशी – सचिव, स्कूल शिक्षा विभाग
- भारसाधक सचिव – सदस्य सचिव, सामान्य प्रशासन विभाग
यह कमेटी ट्रांसफर नीति 2025 के उल्लंघन से जुड़ी शिकायतों पर विचार करेगी, बशर्ते कि संबंधित अधिकारी या कर्मचारी अपने ट्रांसफर ऑर्डर की तारीख से 15 दिनों के भीतर आवेदन दे।
15 दिन का टाइम, वरना कोर्ट का सहारा
सरकार ने साफ कर दिया है कि ट्रांसफर से असहमति जताने वाले अधिकारी-कर्मचारी केवल 15 दिनों के भीतर ही अपनी शिकायत दर्ज करा सकते हैं। इसके बाद सिर्फ कोर्ट के आदेश के अनुसार ही मामले की सुनवाई की जाएगी। यानी अब ट्रांसफर पर सवाल उठाने वालों को या तो समय रहते कमेटी में अपील करनी होगी, या फिर कोर्ट का रुख करना पड़ेगा।
क्यों जरूरी था ये कदम?
छत्तीसगढ़ में हर साल ट्रांसफर सीजन आते ही कई बार नियमों की अनदेखी के आरोप लगते हैं। अधिकारी-कर्मचारी अदालतों तक पहुंचते हैं और सरकार को बैकफुट पर आना पड़ता है। ऐसे में इस बार सरकार ने पहले से ही ट्रांसफर नीति का पालन सुनिश्चित करने और विवाद सुलझाने के लिए यह समिति बनाई है।
अब देखना होगा कि यह समिति किस हद तक कर्मचारियों की उम्मीदों पर खरी उतरती है और ट्रांसफर प्रक्रिया को पारदर्शी बना पाती है या नहीं।