CG Congress District President Interview: अब सिफारिश नहीं चलेगी, कांग्रेस में जिलाध्यक्ष बनने के लिए देना होगा इंटरव्यू

CG Congress District President Interview: कांग्रेस संगठन में बदलाव की बयार बह रही है। अब पद मिलना केवल नेताओं की सिफारिश पर नहीं, बल्कि कड़े मानकों को पूरा करने और इंटरव्यू पास करने पर ही संभव होगा। जी हां, कांग्रेस में जिलाध्यक्ष बनने के लिए अब बाकायदा इंटरव्यू देना होगा। गुजरात में इस प्रक्रिया की शुरुआत हो चुकी है और अब छत्तीसगढ़ व राजस्थान में भी यही मॉडल लागू किया जा रहा है।

अब संगठन में एंट्री आसान नहीं

कांग्रेस संगठन अब नियुक्तियों को लेकर पूरी तरह प्रोफेशनल मोड में आ गया है। जिला स्तर पर पदाधिकारी बनने के लिए अब केवल पुराने नेताओं की कृपा या आपसी समीकरण काम नहीं आएंगे। पार्टी ने तय किया है कि अब उम्मीदवारों को इंटरव्यू की प्रक्रिया से गुजरना होगा। यानी संगठन में एंट्री अब किसी प्रतियोगी परीक्षा से कम नहीं होगी।

ICC और PCC के ऑब्जर्वर बनाए जाएंगे

नई व्यवस्था के तहत अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी (ICC) और प्रदेश कांग्रेस कमेटी (PCC) की ओर से ऑब्जर्वर नियुक्त किए जाएंगे। ये ऑब्जर्वर ब्लॉक स्तर पर जाकर स्थानीय नेताओं और कार्यकर्ताओं से बातचीत करेंगे और फिर एक सूची तैयार करेंगे। इस लिस्ट में शामिल लोगों को इंटरव्यू के लिए बुलाया जाएगा और सफल उम्मीदवार को ही जिला अध्यक्ष या अन्य संगठनात्मक पद सौंपा जाएगा।

पहले गुजरात, अब छत्तीसगढ़ और राजस्थान की बारी

इस नई भर्ती प्रक्रिया की शुरुआत सबसे पहले गुजरात में हुई है, जहां कांग्रेस के पूर्व मंत्री शिवकुमार डहरिया को ऑब्जर्वर नियुक्त किया गया है। डहरिया के मुताबिक, पार्टी ऐसे लोगों को चुन रही है जो संगठन के प्रति वफादार हों और जमीनी स्तर पर काम कर सकें। अब यही प्रक्रिया छत्तीसगढ़ और राजस्थान में भी लागू होने जा रही है।

संगठन के लिए निष्ठा और क्षमता सबसे जरूरी

कांग्रेस इस प्रक्रिया के ज़रिए यह सुनिश्चित करना चाहती है कि संगठन के पदों पर ऐसे लोग आएं जो वाकई में जनता और कार्यकर्ताओं के बीच मजबूत पकड़ रखते हों। पार्टी अब निष्ठा, कार्यक्षमता और जमीनी अनुभव को सबसे ऊपर रख रही है।

डिप्टी सीएम अरुण साव का तंज

हालांकि कांग्रेस की इस नई पहल पर सियासी तंज भी शुरू हो गए हैं। छत्तीसगढ़ के डिप्टी मुख्यमंत्री अरुण साव ने कहा कि कांग्रेस “शून्यता की ओर बढ़ रही है”। उनका कहना है कि चाहे कांग्रेस जो भी प्रक्रिया अपना ले, लेकिन अंततः फैसले तो हाईकमान और वरिष्ठ नेताओं के ही होंगे।


कांग्रेस की यह नई व्यवस्था पार्टी में एक सकारात्मक और लोकतांत्रिक बदलाव की ओर इशारा करती है। इससे संगठन में योग्य और समर्पित लोगों को आगे आने का मौका मिलेगा। लेकिन यह देखना दिलचस्प होगा कि इस मॉडल से कांग्रेस को कितनी मजबूती मिलती है और क्या यह पुरानी सिफारिशी संस्कृति को वाकई खत्म कर पा

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