मुख्यमंत्री साय और अरविंद नेताम की मुलाकात, RSS कार्यक्रम में आदिवासी मुद्दों पर विमर्श, नक्सलवाद-मतांतरण पर हुआ चर्चा

छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर में हाल ही में एक अहम मुलाकात हुई जिसने राजनीतिक से ज़्यादा सामाजिक चर्चा बटोरी। मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने पूर्व केंद्रीय मंत्री और वरिष्ठ आदिवासी नेता अरविंद नेताम से सौजन्य मुलाकात की। ये केवल एक शिष्टाचार भेंट नहीं थी, बल्कि इसमें नक्सलवाद, आदिवासी अधिकार और मतांतरण जैसे गंभीर मुद्दों पर गहन चर्चा हुई।
आदिवासी आवाज़ बने अरविंद नेताम की बात
मुख्यमंत्री ने अरविंद नेताम को राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के हालिया कार्यक्रम में बतौर मुख्य अतिथि आमंत्रित किए जाने पर बधाई दी और इसे समाज के लिए गर्व का क्षण बताया।
साय ने कहा कि नेताम जैसे अनुभवी आदिवासी नेताओं की मौजूदगी ऐसे मंचों पर समाज की मुख्यधारा से जुड़ाव को मजबूत करती है।
नक्सलवाद पर नेताम ने कही बड़ी बात
RSS के मंच पर नेताम ने स्पष्ट कहा कि नक्सलवाद कोई एक संगठन या सरकार का अकेले हल करने लायक मुद्दा नहीं है। इसके लिए सरकार, समाज और संघ—तीनों को मिलकर काम करना होगा।
उन्होंने केंद्र सरकार के प्रयासों की तारीफ तो की, लेकिन यह भी दोहराया कि जब तक स्थानीय लोगों की भागीदारी नहीं होगी, तब तक नक्सलवाद जड़ से खत्म नहीं होगा।
विकास में आदिवासी भागीदारी जरूरी: नेताम
अरविंद नेताम ने आदिवासी विकास और भूमि अधिकारों का मुद्दा भी बेबाकी से उठाया। उन्होंने मांग की कि:
- विकास कार्यों में आदिवासियों को बराबर की भागीदारी मिले।
- भूमि अधिग्रहण की जगह लीज व्यवस्था को तरजीह दी जाए।
- Delisting Movement जैसे विषयों पर सरकार को स्पष्ट और ठोस कानून बनाना चाहिए।
मुख्यमंत्री ने जताया समर्थन
मुख्यमंत्री साय ने नेताम की बातों को सराहा और कहा कि उनकी सरकार समाज के हर तबके, खासकर आदिवासी समुदाय, के हक की रक्षा के लिए प्रतिबद्ध है।
उन्होंने कहा कि संवाद ही वह जरिया है जिससे जमीनी समस्याओं का समाधान निकलेगा।
मुलाकात में कौन-कौन रहा मौजूद?
इस मुलाकात के दौरान नेताम की पत्नी डॉ. प्रीति नेताम और युवा सामाजिक कार्यकर्ता विनोद नागवंशी भी मौजूद रहे। मुख्यमंत्री ने सभी से समाजहित में मिलकर काम करने का आह्वान किया।
सामाजिक विमर्श का नया दौर
मुख्यमंत्री और अरविंद नेताम की ये मुलाकात सिर्फ राजनीतिक नहीं, सामाजिक चेतना को मजबूत करने वाली रही। जब सरकार और समाज के अनुभवी लोग मिलकर आदिवासी हितों, नक्सलवाद और मतांतरण जैसे विषयों पर खुलकर बात करते हैं, तो यह आने वाले समय के लिए सकारात्मक संकेत है।
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