Raigarh Marine Drive Project: रायगढ़ में बुलडोजर बवाल: विरोध के बीच निगम ने तोड़े घर, भारी पुलिस बल तैनात, देर रात हुआ कलेक्टर बंगले का घेराव

रायगढ़ – Raigarh Marine Drive Project: छत्तीसगढ़ के रायगढ़ जिले में मरीन ड्राइव परियोजना को लेकर बड़ा विवाद खड़ा हो गया है। शुक्रवार से शुरू हुए इस बवाल ने शनिवार सुबह और तूल पकड़ लिया, जब नगर निगम की टीम बुलडोजर लेकर जेलपारा और प्रगति नगर पहुंची। भारी पुलिस बल और अधिकारियों की मौजूदगी के बीच कई घरों पर बुलडोजर चला दिया गया, जिससे इलाके में जबरदस्त तनाव का माहौल है।

विरोध के बावजूद टूटा आशियाना, निगम की टीम सुबह-सुबह पहुंची

Raigarh Marine Drive Project: नगर निगम द्वारा 100 से अधिक घरों को अवैध बताते हुए तोड़ने का नोटिस पहले ही जारी किया जा चुका था। शनिवार तड़के निगम की टीम भारी पुलिस बल के साथ जब क्षेत्र में पहुंची, तो स्थानीय लोग भड़क उठे। लोगों ने तोड़फोड़ का विरोध किया, लेकिन इसके बावजूद अब तक करीब तीन दर्जन से अधिक घरों को ढहा दिया गया है।

महिला कांग्रेस और स्थानीय लोग उतरे विरोध में

घर उजड़ते देख महिलाओं का गुस्सा भी फूट पड़ा। महिला कांग्रेस ने मोर्चा संभाल लिया है और कार्यकर्ताओं ने निगम की कार्रवाई के खिलाफ विरोध प्रदर्शन किया। जेलपारा और प्रगति नगर में भारी तनाव की स्थिति बनी हुई है, जहां हर मोड़ पर पुलिस तैनात है और लोग लगातार विरोध कर रहे हैं।

बिना सूचना उजाड़ा जा रहा: मोहल्लेवासियों का आरोप

स्थानीय निवासियों का आरोप है कि उन्हें किसी तरह की स्पष्ट पूर्व सूचना नहीं दी गई। वर्षों से जिस जमीन पर वे रह रहे थे, वहां अचानक मरीन ड्राइव प्रोजेक्ट के नाम पर उनके घर तोड़े जा रहे हैं। बताया जा रहा है कि यह ड्राइव नया शनि मंदिर से होते हुए जेलपारा और जूट मिल के पीछे छठ पूजा स्थल तक प्रस्तावित है, जिसकी चपेट में 100 से ज्यादा घर आ रहे हैं।

देर रात कलेक्टर बंगले का हुआ घेराव

गुरुवार की रात मोहल्लेवासियों का गुस्सा इस कदर भड़का कि वे सीधे कलेक्टर बंगले पहुंच गए और वहां जमकर नारेबाजी की। भारी भीड़ को देखते हुए पुलिस प्रशासन तुरंत हरकत में आया और मौके पर भारी फोर्स तैनात कर दी गई। रायगढ़ SDM महेश शर्मा खुद मौके पर पहुंचे और लोगों को समझाने-बुझाने की कोशिश करते रहे।

अवैध कब्जा हटाना जरूरी: अरुण साव का बयान

इस मामले पर उपमुख्यमंत्री अरुण साव ने कहा कि “सरकारी जमीनों पर अवैध कब्जा करने वालों को नोटिस देकर पहले समझाइश दी जाती है। जब कब्जा नहीं हटाया जाता, तो कार्रवाई जरूरी होती है। आम लोगों को इससे दिक्कत होती है, इसलिए अतिक्रमण हटाना जरूरी है।” हालांकि स्थानीय लोगों का कहना है कि वे सालों से वहां रह रहे हैं और उन्हें न कोई विकल्प दिया गया, न कोई मुआवज़ा।

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Ravi Pratap Pandey

रवि पिछले 7 वर्षों से छत्तीसगढ़ में सक्रिय पत्रकार हैं। उन्होंने राज्य के सामाजिक, राजनीतिक और सांस्कृतिक पहलुओं पर गहराई से रिपोर्टिंग की है। जमीनी हकीकत को उजागर करने और आम जनता की आवाज़ को मंच देने के लिए वे लगातार लेखन और रिपोर्टिंग करते रहे हैं।

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