छत्तीसगढ़

High Court Summer Vacation Postpone: छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट में समर वेकेशन स्थगित: भारत-पाक तनाव के चलते CJ ने लिया बड़ा फैसला, वकीलों ने जताई नाराज़गी

High Court Summer Vacation Postpone: छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट में इस बार समर वेकेशन तय समय पर शुरू नहीं हो पाएगा। वजह है भारत और पाकिस्तान के बीच बढ़ते तनाव की स्थिति। चीफ जस्टिस रमेश कुमार सिन्हा ने हालात को गंभीर मानते हुए अवकाश की तारीखों में बदलाव का फैसला किया है। पहले जहां 10 मई से समर वेकेशन शुरू होने वाली थी, अब यह 2 जून से लेकर 28 जून तक चलेगी। हाईकोर्ट प्रशासन ने 2025 के समर वेकेशन कैलेंडर में आंशिक संशोधन करते हुए नई तारीखें घोषित की हैं।

रजिस्ट्रार जनरल ने जारी किया आदेश

इस पूरे मामले को लेकर रजिस्ट्रार जनरल मनीष कुमार ठाकुर की ओर से आधिकारिक आदेश जारी किया गया है। आदेश में बताया गया है कि देश की वर्तमान परिस्थितियों को देखते हुए अवकाश की तारीखों में यह बदलाव जरूरी था। लेकिन यह फैसला सभी को रास नहीं आया है।

बार एसोसिएशन ने जताया विरोध, लिखा पत्र

हाईकोर्ट बार एसोसिएशन ने समर वेकेशन में बदलाव का विरोध करते हुए अपनी नाराज़गी जाहिर की है। बार एसोसिएशन के अध्यक्ष उमाकांत सिंह चंदेल और सचिव वरुणेन्द्र मिश्रा ने इस फैसले को लेकर रजिस्ट्रार जनरल को एक औपचारिक पत्र भी सौंपा है। उनका कहना है कि यह बदलाव अचानक और बिना वकीलों से विचार-विमर्श के किया गया है।

वकीलों की क्या है आपत्ति?

बार एसोसिएशन का कहना है कि—

  • कई अधिवक्ताओं ने समर वेकेशन के दौरान मेडिकल ट्रीटमेंट के लिए पहले से अपॉइंटमेंट बुक कर रखे हैं।
  • कुछ वकीलों के पारिवारिक और वैवाहिक कार्यक्रम पहले से तय हैं।
  • छुट्टी के लिए हवाई यात्रा और ट्रेन की महंगी टिकटें पहले ही बुक हो चुकी हैं।
  • अन्य निजी और पारिवारिक कारणों से भी वकील इस बदलाव से परेशान हैं।

पहले क्या था शेड्यूल?

पहले जारी अधिसूचना के मुताबिक हाईकोर्ट में 12 मई से समर वेकेशन शुरू होना था। चूंकि 10 मई को शनिवार और 11 मई को रविवार का अवकाश था, इसलिए 9 मई को अंतिम कार्यदिवस माना जा रहा था। अब नई तारीखों के अनुसार 2 जून से छुट्टियां शुरू होंगी।

हालांकि फिलहाल हाईकोर्ट प्रशासन अपने फैसले पर कायम है, लेकिन वकीलों के विरोध और बार एसोसिएशन के पत्र के बाद यह देखना दिलचस्प होगा कि क्या कोई संशोधन होता है या नहीं। फिलहाल हाईकोर्ट परिसर में इस फैसले को लेकर खूब चर्चा हो रही है।

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