Demand for Education Minister: 12 दिन के लिए देश का शिक्षा मंत्री बना दो, सब सुधार के रख दूंगा, छत्तीसगढ़ के सोनचंद ने PM मोदी से की मांग

रायपुर, छत्तीसगढ़ – Demand for Education Minister: छत्तीसगढ़ के रायपुर जिले के तुलसी नेवरा गांव से एक चौंकाने वाली लेकिन दिलचस्प खबर सामने आई है। यहां रहने वाले सोनचंद जलक्षत्री ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से देश का शिक्षा मंत्री बनने की मांग की है — वो भी सिर्फ 12 दिनों के लिए। उनका दावा है कि इतने समय में ही वे भारत की शिक्षा व्यवस्था की दशा और दिशा बदल सकते हैं।
पीएम और राष्ट्रपति को भेजा आवेदन
Indian Education System: सोनचंद जलक्षत्री ने अपना बाकायदा आवेदन छत्तीसगढ़ के राजस्व मंत्री टंकराम वर्मा को सौंपा है, जिसकी एक प्रति राष्ट्रपति को भी भेजी गई है। इस मांग में उनका तर्क है कि स्वतंत्रता के 78 वर्षों के बाद भी शिक्षा की गुणवत्ता में अपेक्षित सुधार नहीं हो पाया है।
“96 घंटे में शिक्षा सुधार का ट्रेलर दिखा दूंगा”
सोनचंद का कहना है कि यदि उन्हें प्रतिदिन 8 घंटे के हिसाब से कुल 96 घंटे (यानि 12 दिन) मिल जाएं, तो वे अपने अनुभव और तकनीकी समझ के आधार पर शिक्षा के स्तर में सार्थक सुधार करके दिखा सकते हैं।
उनके मुताबिक, उनके पास 35 वर्षों का रिसर्च एंड डेवलपमेंट का अनुभव है, जिसमें उन्होंने शिक्षा प्रणाली से जुड़ी समस्याओं और समाधान पर गहन काम किया है। उनका दावा है कि वे आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) का इस्तेमाल करके, कम समय में भी अधिक प्रभावी परिणाम ला सकते हैं।
“3 घंटे की फिल्म में पूरी ज़िंदगी दिखती है, तो 96 घंटे क्यों नहीं?”
सोनचंद ने उदाहरण देते हुए कहा, “जैसे किसी व्यक्ति की पूरी ज़िंदगी की कहानी एक 3 घंटे की फिल्म में दिखाई जा सकती है, वैसे ही मेरी तकनीक भी कुछ घंटों में समझी और अपनाई जा सकती है।”
उन्होंने यह भी जोड़ा कि केंद्रीय विद्यालयों में शिक्षकों के लिए हर साल 50 घंटे का प्रशिक्षण अनिवार्य होता है। ऐसे में यदि उन्हें 96 घंटे मिलते हैं, तो वह देश की शिक्षा व्यवस्था को एक नई दिशा दे सकते हैं।
सोनचंद जलक्षत्री की यह मांग अब सोशल मीडिया और स्थानीय राजनीति में चर्चा का विषय बन चुकी है। कुछ लोग इसे ‘क्रांतिकारी सोच’ मान रहे हैं, तो कुछ इसे सिर्फ एक जुनूनी ख्वाब बता रहे हैं। लेकिन एक बात तय है—सोनचंद ने वो सवाल उठाया है, जो अक्सर न्यूज़ चैनलों और रिपोर्ट्स से गायब रहता है: क्या वाकई हमारी शिक्षा व्यवस्था में सुधार हुआ है?
अब देखना यह होगा कि सोनचंद की इस मांग पर सरकार का क्या रुख होता है। लेकिन एक बात तो है—सवाल पूछने की हिम्मत होनी चाहिए, और वो सोनचंद ने दिखा दी है।