छत्तीसगढ़

Good Governance Tihar: सुशासन तिहार में भूपेश बघेल के विधानसभा से सबसे ज्यादा आवेदन, अब तक पहुंचे 40 हजार से ज़्यादा अरजी

रायपुर, 10 अप्रैल 2025: Good Governance Tihar: छत्तीसगढ़ में इन दिनों सुशासन तिहार की धूम मची है। शासन-प्रशासन लोगों के बीच पहुंचकर उनकी समस्याएं सुन रहा है और समाधान का भरोसा भी दे रहा है। दुर्ग जिले में इस अभियान का आगाज़ 8 अप्रैल से हुआ था और पहले ही चरण में जबरदस्त रिस्पॉन्स देखने को मिला है।

सिर्फ तीन दिन में पहुंचे 40 हज़ार से ज्यादा आवेदन

8 से 10 अप्रैल 2025 तक, यानी सिर्फ तीन दिन के भीतर, कुल 40,923 आवेदन मिले हैं। इनमें से 39,829 आवेदन मांगों से जुड़े हैं, जबकि 1,094 शिकायतें दर्ज की गई हैं। सबसे ज्यादा आवेदन जनपद पंचायत पाटन से आए हैं—यह वही विधानसभा क्षेत्र है, जिससे राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री और वर्तमान विधायक भूपेश बघेल आते हैं। यहां से अकेले 20,178 आवेदन मिले हैं।

इसके अलावा जनपद पंचायत दुर्ग से 10,208 और धमधा से 4,937 आवेदन आए हैं।

क्या है सुशासन तिहार?

सरल भाषा में कहें तो सुशासन तिहार सरकार और जनता के बीच एक पुल की तरह काम कर रहा है।
इसका पहला चरण 8 से 11 अप्रैल तक चल रहा है, जिसमें आमजन से आवेदन लिए जा रहे हैं।
दूसरा चरण—आवेदनों का निराकरण और तीसरा चरण 5 मई से 31 मई 2025 तक चलेगा, जिसमें समाधान शिविर लगाए जाएंगे।

नगरीय निकायों से भी अच्छा रिस्पॉन्स

नगर पालिक निगमों और परिषदों की बात करें तो:

  • दुर्ग निगम से 1,040 आवेदन मिले, जिसमें 912 मांगें और 128 शिकायतें रहीं।
  • भिलाई निगम से 740 आवेदन आए—543 मांग और 197 शिकायत।
  • रिसाली निगम से 381 आवेदन, जिसमें 320 मांग और 61 शिकायत।
  • भिलाई-चरोदा निगम से 295 आवेदन—227 मांगें और 68 शिकायतें।

इसके अलावा, कुम्हारी, जामुल, अहिवारा, धमधा, पाटन, उतई और अमलेश्वर जैसे नगर क्षेत्रों से भी बड़ी संख्या में आवेदन पहुंचे हैं।

तहसील और अनुविभागीय स्तर पर भी सक्रियता

अनुविभागीय कार्यालयों और तहसीलों ने भी अपना काम बखूबी निभाया।
उदाहरण के लिए:

  • दुर्ग एसडीएम ऑफिस में 11 आवेदन मिले (1 मांग, 10 शिकायतें)।
  • भिलाई-3 तहसील में 32 आवेदन मिले (23 मांगें, 9 शिकायत)।
  • पाटन तहसील में 8 आवेदन (6 मांगें, 2 शिकायत)।
  • अहिवारा तहसील में 1 आवेदन (सिर्फ मांग)।

लोगों में दिखा भरोसा, पंचायत स्तर पर भी उत्साह

ग्राम पंचायतों और नगरीय निकायों के लोगों में सुशासन तिहार को लेकर काफी उत्साह है। वे न सिर्फ अपनी समस्याएं बता रहे हैं, बल्कि समाधान को लेकर सकारात्मक उम्मीद भी जता रहे हैं। सरकारी दफ्तरों के बाहर लंबी लाइनें इस बात का संकेत हैं कि लोग अब सरकार से संवाद करने को तैयार हैं—बस उन्हें एक मंच चाहिए।

कुल मिलाकर बात साफ है—सरकार अगर सुनने को तैयार हो, तो जनता अपनी बात खुलकर कहती है। अब देखना होगा कि दूसरे और तीसरे चरण में इस भरोसे को समाधान में कैसे बदला जाता है।

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