Ajit Jogi Statue Controversy: अजीत जोगी की प्रतिमा विवाद में नया मोड़, रेणु और अमित जोगी ने कलेक्टर को सौंपा ज्ञापन, CMO पर लगाए गंभीर आरोप

गौरेला-पेंड्रा-मरवाही: Ajit Jogi Statue Controversy: छत्तीसगढ़ के पहले मुख्यमंत्री स्व. अजीत जोगी की प्रतिमा को लेकर शुरू हुआ विवाद अब तूल पकड़ चुका है। मामला अब सिर्फ प्रतिमा तक सीमित नहीं रहा, बल्कि नगरपालिका प्रशासन, पुलिस, और राजनीतिक बयानबाजी के बीच उलझ गया है।

प्रतिमा का अनावरण नहीं, विवाद सामने

सोमवार को पूर्व विधायक डॉ. रेणु जोगी और जनता कांग्रेस छत्तीसगढ़ अध्यक्ष अमित जोगी गौरेला कलेक्टर लीना कमलेश मंडावी से मिले। उन्होंने एक ज्ञापन सौंपकर मांग की कि अजीत जोगी की प्रतिमा का विधिवत अनावरण जल्द से जल्द कराया जाए।

रेणु जोगी ने बताया कि उन्होंने पहले ही नगर पंचायत और कलेक्टर से अनुमति मांगी थी, ताकि युवाओं को अजीत जोगी से प्रेरणा मिल सके। सबसे चौंकाने वाली बात यह थी कि कलेक्टर को पहली बार यह जानकारी मिली कि जिस भूमि पर प्रतिमा स्थापित है, वह सरकारी नहीं बल्कि निजी है।

“मेरी ज़मीन पर कौन सी मूर्ति लगेगी, ये मैं तय करूंगा” – अमित जोगी

इस मुलाकात के दौरान अमित जोगी ने नाराजगी जताते हुए कहा कि वह ज़मीन उनकी निजी संपत्ति है और

“मैं अपनी ज़मीन पर किसकी प्रतिमा लगाऊं या न लगाऊं, यह नगरपालिका तय नहीं कर सकती।”

उन्होंने 2020 में जारी अनापत्ति प्रमाण पत्र (NOC) का हवाला देते हुए दावा किया कि प्रतिमा की स्थापना पूरी तरह कानूनी प्रक्रिया के तहत की गई थी।

CMO पर “गुंडों को दारू पिलाकर भेजने” का आरोप

अमित जोगी ने नगरपालिका CMO नारायण साहू पर गंभीर आरोप लगाए। उनका कहना है कि साहू ने

“दारू पिलाकर गुंडों को भेजा, जिन्होंने प्रतिमा को चुराया।”

उन्होंने दावा किया कि ये लोग इलाहाबाद और बनारस से बुलाए गए थे।

अमित ने यह भी बताया कि उन्होंने CMO को पद से हटाने के लिए शासन को शिकायत सौंपी है और कलेक्टर ने भी इस पर सहमति जताई है। उन्होंने पुलिस पर भी आरोप लगाया कि

“हम CMO की लाइव लोकेशन ट्रैक कर सकते हैं, तो पुलिस क्यों नहीं?”

मूर्ति चोरी या राजनीतिक चाल?

इस पूरे विवाद की जड़ यही है कि मूर्ति चोरी हुई या हटाई गई? अमित जोगी का कहना है कि मूर्ति उनके ही अधिपत्य की ज़मीन पर स्थापित की गई थी और मुख्यमंत्री की मौजूदगी में उसका लोकार्पण होना था। लेकिन इससे पहले ही उसे रातों-रात उठा लिया गया।

वहीं कुछ अधिकारी यह तर्क दे रहे हैं कि वहां श्यामा प्रसाद मुखर्जी की मूर्ति लगनी थी। अमित जोगी ने इसे भ्रम फैलाने की साजिश बताया।

CMO बोले – हमारा कोई लेना-देना नहीं

इस मामले में घिरते नजर आ रहे CMO नारायण साहू ने अपनी सफाई दी है। उन्होंने कहा कि

“इस घटना की मुझे कोई जानकारी नहीं है, ना ही हम इसमें शामिल हैं। जो भी लोग शामिल होंगे, वे अपने विवेक से काम कर रहे होंगे।”

उन्होंने यह भी कहा कि CCTV फुटेज की जांच चल रही है और दोषियों पर कार्रवाई की जाएगी।

अमित जोगी का अल्टीमेटम

अमित जोगी ने प्रशासन को खुली चेतावनी दी है कि अगर आरोपियों की गिरफ्तारी जल्द नहीं हुई, तो वे आंदोलन शुरू करेंगे।

उन्होंने छत्तीसगढ़ शासन के 2003 और 2015 के शहरी दिशा-निर्देशों का हवाला देते हुए कहा कि ये नियम केवल सार्वजनिक भूमि पर लागू होते हैं, जबकि यह मामला निजी संपत्ति से जुड़ा है।

उनका कहना है कि प्रतिमा की ऊंचाई महज ढाई मीटर है, जो नियमों के अनुसार है।

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