CG Teacher Yuktiyuktkaran Protest: युक्तियुक्तकरण के खिलाफ 10 जून से ‘पोल खोल रैली’ की चेतावनी: शिक्षकों ने कहा – “शिक्षा को दिशा दो, अन्याय नहीं सहेंगे”

रायपुर, 7 जून 2025: CG Teacher Yuktiyuktkaran Protest: छत्तीसगढ़ में शिक्षा विभाग की शिक्षक एवं स्कूलों के युक्तियुक्तकरण प्रक्रिया पर बवाल मच गया है। रायपुर प्रेस क्लब में आयोजित एक पत्रकार वार्ता में “सर्व शिक्षक साझा मंच” ने सरकार को दो टूक कह दिया – अगर 2 अगस्त 2024 के विवादित निर्देश वापस नहीं लिए गए, तो 10 जून से पूरे राज्य में चरणबद्ध आंदोलन होगा। मंच के प्रांतीय नेताओं मनीष मिश्रा, केदार जैन और विरेंद्र दुबे ने इस प्रक्रिया को न केवल शिक्षकों, बल्कि छात्रों और पूरी शिक्षा व्यवस्था के खिलाफ बताया।

क्या है युक्तियुक्तकरण और क्यों मचा है बवाल?
CG Teacher Rationalization: सरकार ने दावा किया है कि वह स्कूलों में शिक्षकों का समुचित समायोजन कर रही है ताकि शिक्षा की गुणवत्ता सुधरे। मगर शिक्षकों का आरोप है कि युक्तियुक्तकरण के नाम पर मनमानी हो रही है, वरिष्ठता और पारदर्शिता को दरकिनार किया जा रहा है और पुराने कर्मचारियों को ‘अतिशेष’ बताकर हटाया जा रहा है।
शिक्षक बोले – “युक्तियुक्तकरण में भाई-भतीजावाद और अफसरशाही हावी”
CG Teacher Yuktiyuktkaran Today News: मंच का कहना है कि पिछले कुछ वर्षों में हुई 30,000 से अधिक भर्तियों, 25,000 पदोन्नतियों, 10,000 स्थानांतरण और 8,000 प्रतिनियुक्तियों में भारी अनियमितताएं हुई हैं। बिना विषय ज्ञान और सेटअप के शिक्षकों की नियुक्ति की गई और अब उसी गलती को सुधारने के नाम पर पुराने, अनुभवी शिक्षकों को हटाया जा रहा है।
प्राथमिक और पूर्व माध्यमिक स्कूलों पर सबसे ज्यादा मार
प्राथमिक स्कूलों में 3 के बजाय अब 2 पद तय किए जा रहे हैं, जिससे 20,000 शिक्षक ‘अतिशेष’ घोषित हो सकते हैं। वहीं पूर्व माध्यमिक स्कूलों में विषय आधारित समायोजन लागू कर दिया गया है, जबकि पहले बिना विषय बंधन के नियुक्ति दी गई थी। इससे हजारों शिक्षक प्रभावित होंगे और भारी अव्यवस्था की आशंका है।
शिक्षक बोले – “नई भर्ती को बचाया, पुराने को हटाया”
शिक्षकों का आरोप है कि नई भर्ती और पदोन्नति पाने वालों को ‘प्रोबेशन पीरियड’ का हवाला देकर अतिशेष की श्रेणी से बाहर रखा गया है। वहीं वर्षों से कार्यरत शिक्षकों को हटाया जा रहा है। ये न सिर्फ अन्याय है, बल्कि अफसरों की मिलीभगत और भाई-भतीजावाद को बढ़ावा देने वाला कदम है।
सरकार के दावे बनाम शिक्षक संगठन के तथ्य:
सरकार का दावा | शिक्षक संगठन का जवाब |
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कोई पद घटाया नहीं गया | 2008 के सेटअप के मुताबिक दो-दो पद कम किए जा रहे हैं |
गुणवत्ता सुधार के लिए प्रक्रिया जरूरी | 20,000 प्राथमिक और 9,000 पूर्व माध्यमिक स्कूलों में शिक्षक कम होंगे |
सिर्फ समायोजन, कोई स्कूल बंद नहीं किया गया | 30,000 स्कूल मर्ज कर 10,463 स्कूल बना दिए, 20,000 स्कूलों का अस्तित्व मिटा |
काउंसलिंग प्रक्रिया में भी धांधली का आरोप
CG Teacher Counselling: रायपुर सहित कई जिलों में अतिशेष शिक्षकों की सूची समय पर जारी नहीं की गई। कुछ जगह सूचना आधी रात में दी गई। दावा-आपत्ति का मौका नहीं मिला और कई जगह तो वरिष्ठता की अनदेखी भी कर दी गई। कुछ स्कूलों से शिक्षक हटाकर उन्हीं में नए शिक्षक भेजे जा रहे हैं।
मुख्य मांगें जो शिक्षक संगठन ने रखीं
- 2 अगस्त 2024 के आदेशों की तुरंत समीक्षा
- 2008 के सेटअप को बहाल किया जाए
- समायोजन प्रक्रिया में पारदर्शिता, दावा-आपत्ति का मौका और वरिष्ठता का पालन
- संगठन पदाधिकारियों को समायोजन से छूट
- विद्यालयों का एकीकरण रद्द किया जाए
- शिक्षक विहीन विद्यालयों में प्राथमिकता से पदस्थापन किया जाए
आंदोलन का रोडमैप – तारीखें नोट कर लीजिए
- 10 जून: जिला स्तर पर पोल खोल रैली और कलेक्टर को ज्ञापन
- 13 जून: संभागीय रैली और संयुक्त संचालक को ज्ञापन
- 16 जून: ‘शाला प्रवेशोत्सव’ का बहिष्कार
सवाल शिक्षा की गुणवत्ता से भी बड़ा – सिस्टम की नीयत पर
शिक्षकों का कहना है कि युक्तियुक्तकरण की यह प्रक्रिया संवेदनशील, पारदर्शी और जवाबदेह होनी चाहिए थी। मगर सारी ताकत समितियों को सौंप दी गई है, बिना किसी सार्वजनिक सूचना या आपत्ति के अधिकार के। नतीजा – भय, भ्रांति और भ्रष्टाचार।
बस्तर के पोटा केबिन तक अछूते नहीं
सैकड़ों पोटा केबिन, जहां हिंसा प्रभावित बच्चे पढ़ते हैं, उनके लिए कोई सेटअप ही स्वीकृत नहीं है। अब युक्तियुक्तकरण के चलते उनके अस्तित्व पर भी खतरा मंडरा रहा है।
ये सिर्फ समायोजन नहीं, एक बड़ा फेरबदल है
शिक्षकों की बात में दम है। अगर व्यवस्था का उद्देश्य गुणवत्ता सुधार है, तो फिर फैसले शिक्षकों के साथ चर्चा करके लिए जाने चाहिए थे। लेकिन जब नीयत पर सवाल उठते हैं और पारदर्शिता नदारद होती है, तो फिर आंदोलन होना तय है।
अब देखना ये है कि 10 जून को ये ‘पोल खोल रैली’ कितनी असरदार होती है और सरकार इसका क्या जवाब देती है।