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Mock Drill in CG: हमले से बचने छत्तीसगढ़ के इस जिले में आज शाम 4 बजे मॉकड्रिल, अगर सायरन बजे या अचानक लाइट चली जाए, तो घबराइए मत — ये वॉर प्रैक्टिस का हिस्सा है… तैयार रहें, सतर्क रहें

दुर्ग। Mock Drill: भारत-पाकिस्तान के बीच बढ़ते तनाव के बीच अब देशभर में युद्ध जैसी स्थितियों से निपटने की तैयारी तेज हो गई है। इसी कड़ी में बुधवार 7 मई को देश के 244 जिलों में एयर अटैक और युद्धकालीन हालात से निपटने की मॉकड्रिल की जाएगी। इस लिस्ट में छत्तीसगढ़ का दुर्ग भी शामिल है। यहां आज शाम ठीक 4 बजे मॉकड्रिल की शुरुआत होगी, जिसमें लोगों को एयर स्ट्राइक जैसी परिस्थिति में कैसे खुद को सुरक्षित रखा जाए, इसकी प्रैक्टिकल ट्रेनिंग दी जाएगी। भिलाई स्टील प्लांट के कारण दुर्ग को अलर्ट जोन में रखा गया

दुर्ग को देश के संवेदनशील जिलों में शामिल किया गया है, खासकर भिलाई स्टील प्लांट जैसे अहम औद्योगिक ठिकानों के कारण। सिविल डिफेंस ने पूरे देश को तीन कैटेगरी में बांटा है — सबसे संवेदनशील कैटेगरी-1, मध्यम संवेदनशील कैटेगरी-2, और कम संवेदनशील कैटेगरी-3। दुर्ग को कैटेगरी-2 में रखा गया है।

शाम 4 बजे बजेगा सायरन, फिर होगी मॉकड्रिल

कलेक्टर कार्यालय से मिली जानकारी के अनुसार, शाम 4 बजे शहर में जगह-जगह सायरन बजाया जाएगा, जो हवाई हमले की चेतावनी होगी। इसके बाद ब्लैकआउट और लोगों को सुरक्षित स्थानों तक पहुंचाने जैसी गतिविधियों की प्रैक्टिस होगी। आम नागरिकों, छात्रों, फैक्ट्री कर्मचारियों और आपात सेवाओं से जुड़े लोगों को ट्रेनिंग दी जाएगी।

कलेक्ट्रेट में हुई तैयारी बैठक, अफसरों को दिए गए निर्देश

ड्रिल से पहले कलेक्ट्रेट सभागार में संभागायुक्त, कलेक्टर और IG की मौजूदगी में बैठक हुई। इसमें सिविल डिफेंस, पुलिस, सेन्ट्रल फोर्स और आपदा प्रबंधन से जुड़े अधिकारियों ने हिस्सा लिया। बताया गया कि कैसे पैनिक सिचुएशन में आम लोग और प्रशासन को मिलकर काम करना होगा। साथ ही एक वीडियो प्रेजेंटेशन के जरिए ब्लैकआउट और एयर अटैक की सिचुएशन को समझाया गया।

8 स्टेप्स में होगी मॉकड्रिल, आम लोगों की भागीदारी जरूरी

  1. सायरन बजाकर हवाई हमले की चेतावनी दी जाएगी।
  2. नागरिकों को बताया जाएगा कि ऐसे समय में क्या करें और क्या न करें।
  3. ब्लैकआउट किया जाएगा — बिजली बंद कर पूरा इलाका अंधेरे में रहेगा।
  4. जरूरी सरकारी, औद्योगिक और सामरिक ठिकानों को ढंका जाएगा।
  5. नागरिकों को सुरक्षित स्थानों पर भेजने की प्रैक्टिस होगी।
  6. बंकरों की सफाई और उपयोग की तैयारी की जाएगी।
  7. कंट्रोल रूम और शैडो कंट्रोल रूम एक्टिव किए जाएंगे।
  8. इंडियन एयरफोर्स से रेडियो और हॉटलाइन से संपर्क किया जाएगा।

1971 के बाद अब इतनी बड़ी तैयारी

भारत में इस स्तर की मॉकड्रिल 1971 के भारत-पाक युद्ध के दौरान हुई थी। इसके बाद पहली बार इतने बड़े पैमाने पर युद्ध जैसी स्थिति के लिए तैयारी की जा रही है। हाल ही में जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले में 26 लोगों की मौत के बाद सरकार अलर्ट मोड में है। मॉकड्रिल का मकसद है — अगर दुश्मन देश हमला करे तो जनता, सिस्टम और सुरक्षा एजेंसियां कितनी जल्दी और सही तरीके से रिएक्ट करती हैं।

क्या होता है ब्लैकआउट और मॉकड्रिल?

मॉकड्रिल यानी एक रिहर्सल — जिसमें यह देखा जाता है कि किसी भी इमरजेंसी सिचुएशन में जनता और प्रशासन कैसे प्रतिक्रिया देते हैं।
ब्लैकआउट का मतलब होता है — कुछ समय के लिए पूरे इलाके की लाइटें बंद कर देना ताकि दुश्मन को एयर अटैक में निशाना साधने में मुश्किल हो।

इस ड्रिल से क्या होगा फायदा?

  • लोगों को हवाई हमले के समय सुरक्षित रहने के उपाय पता चलेंगे।
  • रेस्क्यू ऑपरेशन और इमरजेंसी सर्विस की कार्यक्षमता परखने का मौका मिलेगा।
  • आम नागरिकों को मानसिक और व्यवहारिक रूप से तैयार किया जा सकेगा।
  • सिस्टम में कहां सुधार की जरूरत है, वो भी सामने आएगा।

तो आज शाम 4 बजे अगर आपके इलाके में सायरन बजे या अचानक लाइट चली जाए, तो घबराइए मत — ये वॉर प्रैक्टिस का हिस्सा है। तैयार रहें, सतर्क रहें और सिस्टम का साथ दें।

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