CG Teacher Yuktiyuktkaran Protest: “युक्तियुक्तकरण नहीं, ये तो शिक्षकों का उत्पीड़न है!” रायपुर में गरजे शिक्षक, वार्ता विफल, अब संभागवार हड़ताल की तैयारी

CG Teacher Yuktiyuktkaran Protest: छत्तीसगढ़ में शिक्षकों का आंदोलन थमने का नाम नहीं ले रहा। राज्य सरकार के स्कूलों के युक्तियुक्तकरण (मर्जर) के फैसले के खिलाफ प्रदेश भर के शिक्षक अब खुलकर विरोध कर रहे हैं। राजधानी रायपुर में सोमवार को सर्व शिक्षक साझा मंच के नेतृत्व में 23 शिक्षक संगठनों ने मंत्रालय का घेराव किया। हालांकि, शिक्षा सचिव से बातचीत भी हुई, लेकिन वह नतीजा नहीं दे पाई। इसके बाद साझा मंच ने आंदोलन को और तेज करने का ऐलान किया है।
क्या है पूरा मामला?
CG Teacher Rationalization: दरअसल, राज्य सरकार ने 10,463 स्कूलों को मर्ज करने यानी युक्तियुक्तकरण करने का फैसला लिया है। सरकार का तर्क है कि इससे शिक्षा व्यवस्था बेहतर होगी और संसाधनों का सही उपयोग हो सकेगा। लेकिन शिक्षक संगठनों का कहना है कि यह केवल आंकड़ों का खेल है और इससे करीब 30,000 स्कूलों की स्वतंत्र पहचान खत्म हो जाएगी। साथ ही, 40,000 से अधिक शिक्षक प्रभावित होंगे।

युक्तियुक्तकरण से क्या नुकसान?
CG Teacher Union Protest: शिक्षकों के मुताबिक, युक्तियुक्तकरण से कई स्कूल बंद हो जाएंगे, जिससे खासकर ग्रामीण क्षेत्रों में बच्चों की पढ़ाई बुरी तरह प्रभावित होगी। छोटे-छोटे गांवों में जहां पहले से ही संसाधनों की कमी है, वहां स्कूलों का मर्जर शिक्षा के अधिकार को ही कमजोर कर देगा।
अब क्या होगा आंदोलन का अगला कदम?
शिक्षकों ने सरकार को दो दिन का अल्टीमेटम दिया है। यदि इस दौरान समाधान नहीं निकलता, तो 31 मई से रायपुर से शुरू होकर दुर्ग, बिलासपुर, बस्तर और सरगुजा में संभागवार क्रमिक धरना शुरू किया जाएगा। आंदोलन तब तक जारी रहेगा जब तक सरकार अपना फैसला वापस नहीं लेती।
साझा मंच ने क्या कहा?
साझा मंच के नेताओं ने साफ कहा है कि यह आंदोलन सिर्फ किसी तबके का नहीं बल्कि शिक्षा व्यवस्था को बचाने की लड़ाई है। उनका कहना है कि अगर सरकार ने जल्द फैसला वापस नहीं लिया, तो यह जनांदोलन का रूप ले सकता है।
किन नेताओं ने रखा पक्ष?
Raipur Tuta Dharna sthal: इस आंदोलन में मनीष मिश्रा, संजय शर्मा, वीरेंद्र दुबे, केदार जैन, विकास राजपूत, भूपेंद्र बनाफर, जाकेश साहू, कृष्ण कुमार नवरंग, राजनारायण द्विवेदी, शंकर साहू, कमल दास, अनिल टोप्पो, विक्रम राय, धरम बंजारे, भूपेंद्र गिलहरे, चेतन कुमार बघेल, विष्णु प्रसाद साहू, प्रीतम कोसले, गिरीश केशकर, प्रदीप पांडे, राजकिशोर तिवारी, प्रदीप लहरे, लैलून भारद्वाज, गिरजा शंकर शुक्ला, जितेंद्र शर्मा, धर्मेश शर्मा, ओपी बघेल, अखिलेश शर्मा और राधेश्याम टंडन जैसे नेताओं ने मंच से सरकार को चेताया।
Siege of the Ministry: शिक्षक संगठनों का कहना है कि यह युक्तियुक्तकरण नहीं, बल्कि शिक्षकों और शिक्षा प्रणाली का सीधा उत्पीड़न है। सरकार अगर समय रहते इस पर पुनर्विचार नहीं करती, तो आने वाले दिनों में आंदोलन और व्यापक हो सकता है। अब देखना होगा कि सरकार इस जनप्रतिरोध को कैसे संभालती है।
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