बड़ी लापरवाही: गेवरा स्टेशन की जगह कोल साइडिंग पहुंच गई मेमू ट्रेन, अफरा-तफरी के बाद स्टेशन मास्टर पर गिरी गाज

CG Train: छत्तीसगढ़ के कोरबा में रेलवे की एक भारी चूक सामने आई है। बिलासपुर से गेवरा रोड की ओर जाने वाली मेमू लोकल ट्रेन यात्रियों को लेकर सीधे कोल साइडिंग पहुंच गई। घटना से ट्रेन में सवार लोग घबरा गए। कुछ देर तक किसी को समझ ही नहीं आया कि आखिर ये गाड़ी कहां पहुंच गई। बाद में पता चला कि ये गलती स्टेशन मास्टर की लापरवाही से हुई है, जिसने यात्री ट्रेन को स्टेशन प्लेटफॉर्म पर लाने की बजाय गलत ट्रैक पर भेज दिया।

स्टेशन की बजाय कोल साइडिंग की ओर दौड़ गई ट्रेन

शनिवार दोपहर को लगभग 12 बजे गेवरा रोड पहुंचने वाली मेमू ट्रेन जब कोरबा रेलवे स्टेशन से रवाना हुई तो उसका रास्ता कुछ और ही था। ट्रेन गेवरा रोड की तरफ जाने के बजाय न्यू कुसमुंडा साइडिंग की ओर मुड़ गई, जिसे कमका साइडिंग भी कहा जाता है। यहां कोयला लदान का काम होता है और करीब 11 लाइनें हैं। जब लोको पायलट को अहसास हुआ कि ट्रेन गलत दिशा में जा रही है, तो उसने ट्रेन की रफ्तार कम कर दी और तुरंत स्टेशन मास्टर को इसकी जानकारी दी।

ट्रेन पहुंच गई कोयला लोडिंग प्वाइंट, फिर ली गई पीछे की चाल

गाड़ी के साइडिंग में पहुंचते ही रेलवे के कर्मचारियों में हड़कंप मच गया। मामले की जानकारी जब रेलवे के उच्च अधिकारियों को दी गई, तब जाकर ट्रेन को वापस बुलाया गया और फिर गेवरा रोड स्टेशन की तरफ भेजा गया। यह सब हुआ तब तक ट्रेन करीब एक घंटे लेट हो चुकी थी और यात्रियों को भारी असुविधा का सामना करना पड़ा।

स्टेशन मास्टर पर हुई कार्रवाई, सोशल मीडिया पर भी चर्चा

रेलवे प्रबंधन ने पूरे मामले में गड़बड़ी के लिए गेवरा रोड स्टेशन मास्टर को जिम्मेदार ठहराया और तत्काल प्रभाव से उसे हटा दिया गया। इस घटना को लेकर सोशल मीडिया पर भी खूब चर्चा हो रही है और यात्रियों में रेलवे की लापरवाही को लेकर नाराजगी देखी जा रही है।

अधिकारी मौन, यात्री परेशान

इस घटना ने एक बार फिर से दिखा दिया है कि रेलवे में सब कुछ ठीक नहीं चल रहा। जब बात कोयले की होती है, तो लोडिंग से लेकर लाइन मैनेजमेंट तक सब चुस्त नजर आता है, लेकिन जब आम यात्रियों की सुविधा की बात होती है, तो अफसरों के पास कोई जवाब नहीं होता। कोरबा और बिलासपुर दोनों ही जगह के रेलवे अधिकारी इस मसले पर चुप्पी साधे नजर आए।

गलत सिग्नल ने बढ़ाई टेंशन, सिस्टम पर उठे सवाल

इस पूरी घटना ने रेलवे के सिग्नलिंग सिस्टम और स्टेशन प्रबंधन पर सवाल खड़े कर दिए हैं। अगर वक्त रहते पायलट सतर्क नहीं होता, तो यह हादसा भी बन सकता था। गनीमत रही कि किसी की जान नहीं गई, लेकिन यह जरूर साबित हो गया कि यात्रियों की सुरक्षा अब सिर्फ रेल कर्मियों की सजगता पर निर्भर है, न कि सिस्टम पर।

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Ravi Pratap Pandey

रवि पिछले 7 वर्षों से छत्तीसगढ़ में सक्रिय पत्रकार हैं। उन्होंने राज्य के सामाजिक, राजनीतिक और सांस्कृतिक पहलुओं पर गहराई से रिपोर्टिंग की है। जमीनी हकीकत को उजागर करने और आम जनता की आवाज़ को मंच देने के लिए वे लगातार लेखन और रिपोर्टिंग करते रहे हैं।

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