पीएम आवास का काम जल्द पूरा कराने अच्छी पहल: निर्माण पूरा कराने वालों को सरपंच खुद के पैसे से दे रही पंखा, सीईओ ने की सराहना

गरियाबंद: सरकारी योजनाओं में अक्सर देरी और अनदेखी की शिकायतें मिलती हैं, लेकिन छत्तीसगढ़ के गरियाबंद जिले की एक महिला सरपंच ने पीएम आवास योजना को लेकर मिसाल कायम कर दी है। डूमरपीटा पंचायत की सरपंच रोशनी प्रधान ने अपने खर्च पर उन हितग्राहियों को स्टैंड फैन (पंखा) भेंट करना शुरू किया है, जो बारिश से पहले अपना घर बनाकर गृह प्रवेश कर रहे हैं।
6 हितग्राहियों को मिला सम्मान, बारिश से पहले आवास पूरा करने का टारगेट
रोशनी प्रधान ने अब तक 6 लाभार्थियों को पंखा देकर सम्मानित किया है। गांव के चौराहे पर इन्हें सार्वजनिक रूप से बुलाया गया और सम्मान के साथ पंखा भी भेंट किया गया। सरपंच ने साफ कहा है कि जो भी हितग्राही बारिश से पहले मकान बनाकर गृह प्रवेश करेगा, उसे एक पंखा उनके निजी खर्च पर मिलेगा।
इस पहल का मकसद सिर्फ सम्मान देना नहीं, बल्कि निर्माण कार्य में तेजी लाना है। ईंट, मिस्त्री, पानी या रेत— किसी भी परेशानी में सरपंच खुद हितग्राहियों की मदद कर रही हैं।
सरपंच का संकल्प: हर अधूरे मकान को बनवाना है पूरा
एमए, बीएड जैसी उच्च शिक्षा प्राप्त कर मास्टर की नौकरी छोड़ सरपंच बनीं रोशनी प्रधान, ब्लॉक की सबसे पढ़ी-लिखी महिला सरपंचों में गिनी जाती हैं। उन्होंने बताया कि डूमरपीटा पंचायत में कुल 149 आवास मंजूर हुए हैं, जिनमें से 37 पूरे हो चुके हैं और 66 निर्माणाधीन हैं।
बाकी 46 अधूरे आवासों को जल्द शुरू कराने का संकल्प उन्होंने लिया है। साथ ही यह भी बताया कि आवास प्लस और आवास प्लस-2 सर्वे में करीब 300 और लोग लाभ की कतार में हैं। यानी पहले जो अधूरे मकान पूरे होंगे, तभी योजना के नए लाभार्थियों को मंजूरी मिल सकेगी।
सीईओ भी हुए प्रभावित, पंचायत सचिवों को नोटिस
जनपद सीईओ रवि सोनवानी ने सरपंच रोशनी प्रधान की पहल को “अनुकरणीय” बताया है। उन्होंने कहा कि इस तरह के व्यक्तिगत प्रयासों से योजनाओं में तेज़ी आती है।
वहीं, योजना की धीमी प्रगति पर सख्ती भी दिखाई गई है। एसडीएम तुलसीदास मरकाम ने प्रगति 20% से कम दिखाने वाली 22 पंचायत सचिवों और 19 रोजगार सहायकों को शोकॉज नोटिस थमाया है। 15 दिन का समय दिया गया है— सुधार नहीं हुआ, तो अनुशासनात्मक कार्रवाई होगी।
जब जिम्मेदारी से जुड़ती है संवेदनशीलता
सरपंच रोशनी प्रधान की पहल यह बताती है कि जब किसी पद पर बैठा व्यक्ति जिम्मेदारी के साथ संवेदनशीलता भी रखता है, तो सरकारी योजना भी जनआंदोलन जैसी लगने लगती है।