CG D.Ed Candidates Protest: रायपुर में डीएड अभ्यर्थियों का BJP कार्यालय के बाहर प्रदर्शन: नियुक्ति की मांग को लेकर फूटा आक्रोश, जानिए क्या है पूरा मामला?

CG D.Ed Candidates Protest: राजधानी रायपुर में आज छत्तीसगढ़ डीएड अभ्यर्थियों ने भारतीय जनता पार्टी (BJP) के प्रदेश कार्यालय के बाहर जोरदार विरोध प्रदर्शन किया। उनका आरोप है कि शिक्षा विभाग ने सहायक शिक्षक (Assistant Teacher) के पदों पर केवल आधे अभ्यर्थियों की नियुक्ति की है और बाकी को नजरअंदाज किया है।

अभ्यर्थियों ने शिक्षा विभाग से मांग की है कि 300 से अधिक रिक्त पदों पर जल्द से जल्द छठे चरण की काउंसलिंग कराई जाए और योग्य उम्मीदवारों की नियुक्ति 1:2 के अनुपात में की जाए, ताकि अपात्र अभ्यर्थियों को छांटकर केवल योग्य उम्मीदवारों को नियुक्ति मिल सके।

क्या है पूरा मामला?

CG D.Ed Candidates Protest Today: शिक्षा विभाग ने कुल 6285 सहायक शिक्षक पदों पर भर्ती प्रक्रिया को सुप्रीम कोर्ट और हाईकोर्ट के आदेशों के तहत शुरू किया था। लेकिन कोर्ट के आदेशों के बावजूद, अब तक पांच चरणों में केवल 3979 अभ्यर्थियों को ही नियुक्ति दी जा सकी है। इस दौरान 2300 से अधिक पद अभी भी रिक्त हैं, जिनमें से 984 पद बिना किसी विवाद के खाली पड़े हैं।

पंचम चरण की काउंसलिंग के बाद भी 1316 पदों पर नियुक्ति नहीं हो सकी, जिसका कारण प्रक्रिया में अपात्र अभ्यर्थियों का शामिल होना बताया जा रहा है।

समस्या कहाँ अटकी है?प्रदर्शन कर रहे अभ्यर्थियों का आरोप है कि पांचवें चरण की काउंसलिंग में कई अपात्र उम्मीदवारों ने भाग लिया, जिनके पास डीएड की अनिवार्य योग्यता नहीं थी। इसके कारण वास्तविक पात्र उम्मीदवार बाहर रह गए और सीटें खाली रह गईं।

सुप्रीम कोर्ट ने 28 अगस्त 2024 को इस मामले में अंतिम आदेश पारित कर हाईकोर्ट के निर्णय को सही ठहराया था। इसके बावजूद, शिक्षा विभाग अब तक 984 रिक्त पदों पर कोई नियुक्ति प्रक्रिया शुरू नहीं कर सका है। विभाग का तर्क है कि मामला सुप्रीम कोर्ट में लंबित है, जबकि कोर्ट का आदेश पहले ही आ चुका है।

अभ्यर्थियों की मुख्य मांगें

  1. छठे चरण की काउंसलिंग शीघ्र शुरू की जाए।
  2. काउंसलिंग में 1:2 अनुपात लागू किया जाए ताकि अपात्रों को छांटा जा सके।
  3. दस्तावेजों का सत्यापन कर पात्र अभ्यर्थियों को जल्द स्कूल आवंटित किए जाएं।
  4. परीक्षा परिणाम की वैधता 1 जुलाई 2025 तक है, इसलिए पूरी नियुक्ति प्रक्रिया उसी अवधि के भीतर समाप्त की जाए।

अभ्यर्थियों का कहना है कि जब सरकार ने कोर्ट के आदेशों का हवाला देकर प्रक्रिया शुरू की थी, तो अब उसे नजरअंदाज करना न्यायसंगत नहीं है।
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