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पद्मश्री पंडी राम मंडावी l Pandi Ram Mandavi Biography

Pandi Ram Mandavi Biography: 12 साल की उम्र में सीखा हुनर, गरीबी में गुजरा बचपन

पंडी राम मंडावी: एक कड़ी मेहनत की कहानी, जिसने गरीबी से लड़कर कला की दुनिया में पहचान बनाई

कहते हैं, “सपने बड़े देखो और मेहनत से उन्हें पूरा करो।” लेकिन अगर आप पंडी राम मंडावी की कहानी सुनेंगे तो यह कहावत बिल्कुल जिंदा होती नजर आएगी। एक ऐसे शख्स, जिनकी कला ने उन्हें न सिर्फ भारत, बल्कि दुनियाभर में पहचान दिलाई।

गरीबी में बीता बचपन, फिर भी कला के प्रति जुनून

नारायणपुर जिले के एक छोटे से गांव में पंडी राम मंडावी का जन्म हुआ। बचपन में जहां कई बच्चे खेलने-कूदने में व्यस्त रहते हैं, वहीं पंडी राम ने 12 साल की उम्र में अपनी कला की शुरुआत की। गरीबी ने उनके कदमों को थामने की कोशिश की, लेकिन उन्होंने अपनी मेहनत और कला के प्रति जुनून से उसे हराया।

अपने पूर्वजों से उन्होंने बांसुरी बनाने की कला सीखी थी, जो बस्तर की खासियत मानी जाती है। इसे ‘सुलुर’ कहा जाता है। यही बांसुरी, जिसने उन्हें न सिर्फ अपनी जमीन पर, बल्कि दुनिया भर में एक पहचान दिलाई।

‘सुलुर’ और लकड़ी की शिल्पकला: बस्तर की सांस्कृतिक धरोहर

Padma Awards 2025 Pandi Ram Mandavi: पंडी राम मंडावी ने अपनी कला को न केवल संजोया बल्कि उसे नई ऊंचाइयों तक भी पहुंचाया। बस्तर बांसुरी ‘सुलुर’ के निर्माण में उन्होंने महारत हासिल की, लेकिन सिर्फ यही नहीं, लकड़ी के पैनलों पर उकेरे गए चित्र, मूर्तियां और शिल्पकृतियां भी उनकी पहचान बन गईं। यह कला सिर्फ बस्तर की नहीं, बल्कि पूरी दुनिया की सांस्कृतिक धरोहर बन गई।

दुनिया भर में बिखेरा बस्तर की कला का रंग

यह अद्वितीय कला सिर्फ छत्तीसगढ़ तक ही सीमित नहीं रही। पंडी राम मंडावी ने अपनी कला का प्रदर्शन 8 से ज्यादा देशों में किया और भारत का नाम रोशन किया। उन्होंने अपनी कला को न केवल एक कलाकार के रूप में, बल्कि एक सांस्कृतिक प्रतिनिधि के तौर पर पेश किया। यह देखकर दुनिया ने न केवल बस्तर की कला को सराहा, बल्कि इस क्षेत्र की पारंपरिक शिल्पकला के महत्व को भी समझा।

एक शिक्षक और मार्गदर्शक: मंडावी का योगदान

पंडी राम मंडावी सिर्फ एक कलाकार ही नहीं, बल्कि एक शिक्षक भी हैं। उन्होंने हजारों कारीगरों को प्रशिक्षित किया है ताकि बस्तर की अनमोल कला नई पीढ़ी तक पहुंचे। उनकी कार्यशालाएं न सिर्फ कारीगरों के लिए प्रेरणा का स्रोत बनीं, बल्कि बस्तर की सांस्कृतिक धरोहर को जीवित रखने का महत्वपूर्ण जरिया भी बनीं। मंडावी ने यह सुनिश्चित किया कि यह कला केवल एक पीढ़ी तक सीमित न रहे, बल्कि हर नए कलाकार को इससे जोड़कर एक नई दिशा मिले।

Padma Awards 2025: पद्मश्री सम्मान: एक नई उपलब्धि

पंडी राम मंडावी की मेहनत और समर्पण का फल अब मिल चुका है। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने उन्हें 2025 के पद्मश्री सम्मान के लिए चुना है। यह सम्मान उन्हें उनकी अद्भुत कला और बस्तर की संस्कृति को संरक्षित करने के लिए दिया जाएगा। यह एक ऐसे कलाकार की कड़ी मेहनत और संघर्ष का परिणाम है, जो न केवल अपनी कला को जीवित रखे हुए हैं, बल्कि उसे पूरी दुनिया में फैलाने का काम भी कर रहे हैं।

कला के प्रति जुनून: पंडी राम मंडावी की जीवन यात्रा

पंडी राम मंडावी की कहानी हमें यह सिखाती है कि अगर इरादे मजबूत हों और कला के प्रति सच्ची श्रद्धा हो, तो कोई भी मुश्किल आपको रोक नहीं सकती। आज, जब बस्तर की कला को पहचान मिल रही है, तो इसके पीछे पंडी राम मंडावी का अपार योगदान है। उनकी मेहनत और समर्पण ने उन्हें सिर्फ एक कलाकार नहीं, बल्कि बस्तर के सांस्कृतिक दूत बना दिया है।

नए सपने और उम्मीदें: मंडावी का अगला कदम

आज, पंडी राम मंडावी का नाम सिर्फ बस्तर में ही नहीं, बल्कि पूरी दुनिया में लिया जाता है। लेकिन उनका यह सफर अभी खत्म नहीं हुआ। उनका सपना है कि बस्तर की कला को और भी व्यापक स्तर पर पहचान मिले और आने वाली पीढ़ियों के लिए एक स्थायी धरोहर बने। उन्होंने जो रास्ता दिखाया है, वह सिर्फ कला के लिए नहीं, बल्कि हर उस व्यक्ति के लिए प्रेरणा है जो अपनी कड़ी मेहनत और समर्पण से दुनिया में कुछ बड़ा करना चाहता है। पंडी राम मंडावी के इस योगदान को न केवल सम्मानित किया जा रहा है, बल्कि यह आने वाली पीढ़ियों के लिए एक अमिट छाप छोड़ने की ओर बढ़ रहा है।

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