छत्तीसगढ़

छत्तीसगढ़ में मोहब्बत ने तोड़ी दीवारें: बंगाल से भागकर आयी मुस्लिम युवती ने अपनाया हिंदू धर्म, हिंदू युवक संग रचाई शादी, बोलीं- हमारे पूर्वज भी थे हिंदू

पखांजूर: कहते हैं न, इश्क न सरहद जानता है, न मजहब, और न ही समाज की बनाई दीवारें। छत्तीसगढ़ के पखांजूर में ऐसा ही एक मामला सामने आया है, जहाँ मोहब्बत ने ना सिर्फ धर्म की लकीरें मिटाईं, बल्कि समाज को एक नई सोच का आईना भी दिखाया।

यह कहानी है पश्चिम बंगाल के 24 परगना की रहने वाली मुस्लिम युवती रुममीन मालो और पखांजूर निवासी एक हिंदू युवक की। दोनों के बीच लंबे समय से प्रेम था, और जब साथ जीने का फैसला लिया तो बिना किसी दिखावे या तामझाम के सीधे पहुंचे कोर्ट।

न्यायालय में रचाई शादी, फिर अपनाया हिंदू धर्म

जानकारी के अनुसार, रुममीन और उनके प्रेमी ने पखांजूर न्यायालय में अधिवक्ताओं की मौजूदगी में वैधानिक तरीके से शादी की। इसके बाद रुममीन ने अपनी इच्छा से हिंदू धर्म अपनाने का निर्णय लिया। उन्होंने कहा कि उनके पूर्वज हिंदू थे और अब वे खुद भी पूर्ण निष्ठा के साथ हिंदू धर्म को अपनाना चाहती हैं।

काली मंदिर में पूरे रीति-रिवाज से हुई शादी

कोर्ट मैरिज के बाद दोनों पखांजूर स्थित काली मंदिर पहुँचे, जहाँ वैदिक मंत्रों के उच्चारण और हिंदू रीति-रिवाजों के अनुसार विवाह की सभी रस्में निभाई गईं। रुममीन ने सिंदूर और मंगलसूत्र धारण कर अपनी नई पहचान को स्वीकार किया और पूरे गर्व के साथ खुद को नवविवाहिता हिंदू महिला के रूप में प्रस्तुत किया।

समाज में बनी मिसाल, लोग कर रहे तारीफ

इस शादी को लेकर पखांजूर में खूब चर्चा हो रही है। अधिवक्ताओं और सामाजिक कार्यकर्ताओं ने इस विवाह को धार्मिक सौहार्द, प्रेम की ताकत और व्यक्तिगत स्वतंत्रता का प्रतीक बताया है। लोगों का कहना है कि आज जब समाज में छोटी-छोटी बातों पर दीवारें खड़ी हो जाती हैं, ऐसे उदाहरण सबको इंसानियत और प्यार का रास्ता दिखाते हैं।

रुममीन की साफ बात – कोई दबाव नहीं, सबकुछ प्यार से

रुममीन ने मीडिया से बातचीत में साफ कहा कि उन्होंने यह फैसला पूरी तरह से अपने दिल की आवाज पर लिया है। इस फैसले में न कोई दबाव था, न डर। उन्होंने समाज से अपील की कि जब दो लोग आपसी समझ, प्यार और विश्वास से साथ रहना चाहते हैं, तो धर्म और जाति जैसी चीजों को बीच में नहीं लाना चाहिए।

लव, फेथ और फ्रीडम – यही है असली कहानी

इस कहानी में नफरत के लिए कोई जगह नहीं है। यहाँ सिर्फ मोहब्बत है, आपसी सम्मान है और एक-दूसरे की आस्था का सम्मान करते हुए साथ जीने की चाहत है। रुममीन और उनके पति की ये प्रेम कहानी उन सबके लिए एक सीख है, जो धर्म के नाम पर रिश्तों में दीवारें खड़ी करते हैं।

प्यार अगर सच्चा हो, तो ना सीमाएं रोकती हैं, ना समाज। रुममीन और उनके जीवनसाथी ने यही दिखा दिया।

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