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छत्तीसगढ़ के स्कूलों में अब होगी ऑनलाइन हाजिरी, सरकार ने डेवलप किया GPS आधारित मोबाइल ऐप, जानिए क्या होंगे फायदे?

रायपुर, CG Govt School Online Attendance: 15 अप्रैल 2025: छत्तीसगढ़ के स्कूलों में अब शिक्षक और छात्रों की उपस्थिति ऑनलाइन दर्ज की जाएगी। इसके लिए राज्य शिक्षा विभाग ने एक नई मोबाइल ऐप लॉन्च की है, जिसे आईआईटी भिलाई की टीम ने तैयार किया है। यह ऐप खासतौर पर GPS (अक्षांश-देशांतर) तकनीक पर आधारित है, जिससे स्कूल के परिसर में ही शिक्षक अपनी उपस्थिति दर्ज कर सकेंगे। इस नई व्यवस्था से स्कूलों में अनुशासन और पारदर्शिता को बढ़ावा मिलने की उम्मीद है।

GPS आधारित ऐप से फर्जी हाजिरी पर लगेगी रोक

CG School Online Attendance Mobile App: इस ऐप की प्रमुख विशेषता यह है कि यह GPS तकनीक से जुड़ा हुआ है, यानी जब शिक्षक स्कूल परिसर में मौजूद होंगे तभी यह ऐप सक्रिय होगा। शिक्षक और विद्यार्थी दोनों की उपस्थिति तभी दर्ज की जा सकेगी। अगर शिक्षक स्कूल से बाहर रहकर हाजिरी दर्ज करने की कोशिश करेंगे तो ऐप काम नहीं करेगा, जिससे फर्जी हाजिरी की पूरी संभावना समाप्त हो जाएगी।

ट्रायल हुआ आरडी तिवारी स्कूल में

इस नई प्रणाली का ट्रायल बुधवार को रायपुर के आरडी तिवारी स्कूल से शुरू हुआ। इस मौके पर विद्या समीक्षा केंद्र के प्रदेश नोडल अधिकारी और तकनीकी टीम स्कूल में उपस्थित थी। उन्होंने शिक्षकों के मोबाइल में ऐप डाउनलोड कराकर उसका लाइव डेमो दिया। इस ऐप के जरिए शिक्षक अपनी उपस्थिति दर्ज करने के साथ-साथ अपनी कक्षा के छात्रों की हाजिरी भी रिकॉर्ड कर सकेंगे।

क्या होंगे फायदे?

  1. समय पर उपस्थिति सुनिश्चित होगी: शिक्षक और छात्रों की समय पर उपस्थिति सुनिश्चित होगी, जिससे स्कूलों में अनुशासन बढ़ेगा।
  2. डिजिटल रिकॉर्डिंग: अब छात्रों और शिक्षकों की उपस्थिति का डिजिटल रिकॉर्ड रखा जाएगा, जो भविष्य में फर्जीवाड़े को रोकने में मदद करेगा।
  3. फर्जी अटेंडेंस पर रोक: इस व्यवस्था के लागू होने से फर्जी अटेंडेंस की संभावना पूरी तरह से खत्म हो जाएगी।
  4. सीधी निगरानी: शिक्षा विभाग को स्कूलों की गतिविधियों की सीधी निगरानी करने का अवसर मिलेगा, जिससे वे योजनाओं के सही तरीके से क्रियान्वयन को सुनिश्चित कर सकेंगे।

राज्य के अन्य स्कूलों में लागू होगी व्यवस्था

शिक्षा विभाग का कहना है कि इस नई व्यवस्था को जल्द ही राज्य के अन्य सरकारी स्कूलों में भी लागू किया जाएगा। अधिकारियों का मानना है कि इससे स्कूलों में अधिक पारदर्शिता आएगी और विद्यार्थियों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्राप्त होगी।

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