CG Naxal Peace Talks: नक्सलियों की पांचवीं अपील: माओवादी बोले – शांति वार्ता को तैयार हैं, सरकार बताएं अपनी स्थिति

CG Naxal Peace Talks: बीजापुर में चल रहे एंटी-नक्सल ऑपरेशन के बीच माओवादी संगठन ने एक बार फिर सरकार से शांति वार्ता की पेशकश की है। ऑपरेशन कर्रेगुट्टा के ठीक पहले माओवादियों की ओर से प्रेस नोट जारी कर केंद्र और राज्य सरकारों को जवाब देने की मांग की गई है। यह शांति वार्ता की उनकी पांचवीं अपील है।

प्रेस नोट में माओवादियों ने क्या कहा?

माओवादी संगठन की केंद्रीय कमेटी के प्रवक्ता ‘अभय’ की ओर से जारी किए गए प्रेस नोट में लिखा गया है कि संगठन शांति वार्ता के लिए तैयार है। उन्होंने कहा कि माओवादी संगठन अब हथियार छोड़कर मुख्यधारा में आने की बात कर रहा है, लेकिन सरकार को भी अपनी मंशा स्पष्ट करनी चाहिए।

उन्होंने मांग की कि इस मामले में गृहमंत्री अमित शाह खुद प्रतिक्रिया दें, ताकि केंद्र की स्थिति साफ हो सके। प्रवक्ता अभय के मुताबिक, कर्रेगुट्टा की पहाड़ियों पर हुई मुठभेड़ में 26 माओवादी मारे गए हैं, और इस घटना के बाद संगठन को भारी नुकसान हुआ है।

सरकार की प्रतिक्रिया से नाराज़ माओवादी

प्रेस नोट में माओवादियों ने केंद्र और छत्तीसगढ़ सरकार की प्रतिक्रिया पर नाराजगी जताई है। उन्होंने कहा कि तेलंगाना सरकार की ओर से जहां सकारात्मक संकेत मिला, वहीं छत्तीसगढ़ और केंद्र सरकार की प्रतिक्रियाएं चिंता जनक हैं।

माओवादियों के मुताबिक, गृह राज्य मंत्री बंडी संजय और छत्तीसगढ़ के गृहमंत्री विजय शर्मा की तरफ से साफ कर दिया गया है कि “युद्धविराम का कोई सवाल ही नहीं उठता”, और हथियार डाले बिना किसी भी प्रकार की वार्ता नहीं हो सकती।

‘बिना शर्त’ शांति वार्ता की बात अब शर्तों में उलझी

माओवादी प्रवक्ता का कहना है कि सरकार की ओर से पहले दावा किया गया था कि वह बिना शर्त शांति वार्ता के लिए तैयार है, लेकिन अब हथियार डालने की शर्त रख दी गई है। माओवादियों ने सवाल उठाया है कि अगर सरकार वार्ता को लेकर गंभीर है, तो वह पहले युद्ध विराम की घोषणा करे।

उन्होंने यह भी कहा कि माओवादी संगठन अपने इलाकों में सुरक्षा बलों की भारी मौजूदगी (करीब 7 लाख जवान) के चलते कोई भी बैठक तक नहीं कर पा रहे हैं।

माओवादी संगठन की ओर से जारी प्रेस नोट

तो अब आगे क्या?

माओवादियों का कहना है कि उन्होंने पहले भी 25 अप्रैल को एक अपील की थी कि सरकार जनसमस्याओं के स्थायी हल के लिए वार्ता करे। अब वे फिर से तैयार हैं, लेकिन गेंद अब सरकार के पाले में है।
सरकार की ओर से क्या जवाब आता है, यह देखना दिलचस्प होगा।

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