छत्तीसगढ़

CG Anti Naxal Operation: कर्रेगुट्टा की पहाड़ियों में जवानों को मिली बड़ी कामयाबी, नक्सलियों की खुफिया ‘गुफा-महल’ का खुलासा – 1 हजार से ज्यादा लोग रह सकते है, गुफा में सुरंग, शिवलिंग और विशाल मैदान भी- देखिये वीडियो

CG Anti Naxal Operation: छत्तीसगढ़ और तेलंगाना की सरहद पर जंगल के बीचोबीच मौजूद है एक ऐसा इलाका, जिसे लोग ‘ब्लैक फॉरेस्ट’ कहते हैं। वजह? यहां सूरज भी दिन में जल्दी ढल जाता है और रात के अंधेरे जैसी कालिख दोपहर 4 बजे ही छा जाती है। ये कोई आम गुफा नहीं, बल्कि ऐसा अड्डा है जो नक्सलियों के ‘सीक्रेट ऑपरेशन बेस’ की तरह इस्तेमाल होता रहा। सुरक्षाबलों द्वारा इन दिनों देश का सबसे बड़ा एंटी-नक्सल ऑपरेशन के दौरानको जब इस गुफा का पता चला, तो आंखें फटी की फटी रह गईं। यहीं पर छिपा था नक्सलियों का सबसे सुरक्षित अड्डा – एक ऐसी विशाल गुफा, जो अब सुरक्षाबलों के कब्जे में है।

एक हजार लोगों के रहने लायक विशाल संरचना

बताया जा रहा है कि इस गुफा के अंदर एक साथ 1,000 से ज्यादा लोग आराम से कई दिनों तक रह सकते हैं। अंदर इतनी जगह है कि वहां कई ‘कक्ष’ जैसे भाग दिखाई देते हैं। गुफा की छतें ऊंची और दीवारें चौड़ी हैं, जिससे यह किसी बंकर या अंडरग्राउंड बेस जैसा लगता है।

अंदर है मैदान, पानी और आराम की सुविधा

गुफा के अंदर ही एक बड़ा खुला मैदान मौजूद है, जहां नक्सली बैठकें कर सकते थे या रणनीति बना सकते थे। इसके अलावा, वहां प्राकृतिक स्रोत से रिसता हुआ पानी भी है, जो पेयजल का साधन बनता था। यानी पूरी तरह से आत्मनिर्भर सेटअप—न कोई जरूरत बाहर जाने की, न कोई खतरा।

गुफा से निकलती है सुरंग, जो दूसरी तरफ ले जाती है

इस गुफा की सबसे चौंकाने वाली बात है इसकी छिपी हुई सुरंग, जो पहाड़ी के एक सिरे से दूसरे सिरे तक जाती है। यानी अगर एक तरफ से फोर्स घुसी, तो नक्सली दूसरी तरफ से आसानी से निकल सकते थे। यही वजह है कि फोर्स जब पहुंची, तब तक नक्सली वहां से भाग चुके थे।

गुफा में मिला शिवलिंग, क्या करते थे पूजा?

गुफा में एक शिवलिंग भी मिला है, जिस पर सिंदूर और गुलाल लगा हुआ है। इससे अंदाजा लगाया जा रहा है कि नक्सली यहां रुकते ही नहीं थे, बल्कि धार्मिक गतिविधियां भी करते थे। ये शिवलिंग इस बात का संकेत है कि उनके बीच आस्था और संगठन दोनों का मेल देखने को मिलता है। चूंकि यह इलाका बेहद दुर्गम है, इसलिए ये साफ है कि यह पूजा किसी ग्रामीण की नहीं, बल्कि नक्सलियों की ही रही होगी।

रणनीतिक लिहाज़ से परफेक्ट लोकेशन

कर्रेगुट्टा की यह गुफा इतनी गहराई और दूरी पर है कि वहां तक कोई सीधा रास्ता नहीं जाता। चारों तरफ घना जंगल, ऊंची-नीची चट्टानें और किलोमीटरों तक मानव बस्ती का नामोनिशान नहीं। इसलिए यह जगह नक्सलियों के लिए सुरक्षित स्वर्ग बनी रही।

5 दिन का ऑपरेशन, 45 डिग्री तापमान और पहाड़ की खाक छानती फोर्स

जगदलपुर जिले के बीजापुर इलाके की कर्रेगुट्टा पहाड़ियों में सुरक्षाबलों ने पिछले 5 दिनों से लगातार ऑपरेशन चला रखा है। तापमान 45 डिग्री, लेकिन हौसला 100 डिग्री पर। DRG, STF, CRPF, कोबरा और बस्तर फाइटर्स ने मिलकर पहाड़ों की घेराबंदी की और आखिरकार एक बड़ी गुफा तक पहुंच गए।

गुफा में घुसते ही जवानों के होश उड़ गए। अंदर एक नहीं, बल्कि कई कमरों जैसी संरचनाएं थीं। साथ में पानी, आराम की जगह और एक बड़ा खुला मैदान भी। यानी नक्सलियों के लिए ये ‘पलायनगृह’ नहीं, बल्कि उनका अस्थायी मुख्यालय था।

नक्सली मौके से पहले ही निकल लिए, लेकिन सबूत छोड़ गए

जवान जब वहां पहुंचे तो नक्सली पहले ही रफूचक्कर हो चुके थे। लेकिन उनके निशान, इस्तेमाल किए हुए सामान और रास्ते भर बिछे जुगाड़ से ये साफ था कि यहां कभी सैकड़ों नक्सली रहा करते थे।

गुफा के अंदर एक संकरी सुरंग भी मिली, जो पहाड़ी के दूसरे छोर तक जाती है। मतलब, अगर जवान एक तरफ से घुसते तो नक्सली दूसरी तरफ से निकल जाते।

12 हजार जवान और 1500 नक्सलियों की घेराबंदी

इस ऑपरेशन को देश का अब तक का सबसे बड़ा नक्सल ऑपरेशन कहा जा रहा है। करीब 12,000 जवानों ने कर्रेगुट्टा, दुर्गमगुट्टा और पुजारी कांकेर की पहाड़ियों को घेर रखा है। रिपोर्ट्स के मुताबिक, यहां करीब 1,500 नक्सली मौजूद हैं, जिनमें से कई टॉप लीडर भी शामिल हैं।

जवानों ने अब तक 5 नक्सलियों को मुठभेड़ में मार गिराया है। इनमें से 3 के शव और हथियार बरामद कर लिए गए हैं। हेलीकॉप्टर से बमबारी और फायरिंग लगातार जारी है।

कौन-कौन है नक्सली गैंग में?

यहां सक्रिय हैं – माड़वी हिड़मा, दामोदर, आजाद, पापाराव, अभय जैसे कुख्यात नाम। ये सभी सेंट्रल कमेटी और जोनल कमेटी के सदस्य हैं।

माड़वी हिड़मा

माड़वी हिड़मा नक्सल संगठन का कुख्यात नेता है, जिस पर 1 करोड़ रुपये का इनाम है। यह नक्सलियों की बटालियनों का संचालन करता था और कई बड़े हमलों का मास्टरमाइंड रहा है।

दामोदर

दामोदर तेलंगाना का रहने वाला नक्सली है और 50 लाख का इनामी है। इसे दामोदर दादा के नाम से जाना जाता है, जो कई मुठभेड़ों में बचकर भाग चुका है और बड़े हमलों का योजनाकार रहा है।

पापाराव

पापाराव नक्सलियों का जोनल कमेटी मेंबर था, जिसने आदिवासी इलाकों में नक्सल विचारधारा फैलाने और हमले करने का कार्य किया।

आजाद: आजाद नक्सल संगठन के सेंट्रल कमेटी मेंबर है, जो नक्सलियों के सैन्य रणनीतियों और हमलों की योजना बनाता था। इसके नेतृत्व में कई हमले हुए हैं।

अभय: अभय एक प्रमुख नक्सली कमांडर था, जो सैन्य हमलों की योजना बनाता था और ग्रामीण इलाकों में नक्सलियों का समर्थन बढ़ाने का काम करता था।

क्या है TCOC और क्यों है ये वक्त इतना अहम?

मार्च से जून तक नक्सलियों का TCOC यानी टैक्टिकल काउंटर अफेंसिव कैंपेन का टाइम होता है। इस दौरान नक्सली संगठन में नए लोगों की भर्ती, हथियारों की ट्रेनिंग और बड़े हमलों की योजना बनाते हैं। सुरक्षा बलों ने इसी समय को चुनकर उनकी कमर तोड़ने का प्लान बनाया है।

देखें नक्सलियों के खूफिया ठिकाने के VIDEO:

अमित शाह की डेडलाइन और फोर्स को ‘फ्री हैंड’

केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने एक बड़ा एलान किया है कि 31 मार्च 2026 तक भारत को नक्सलवाद से पूरी तरह मुक्त कर दिया जाएगा! यह घोषणा न केवल देश की सुरक्षा की दिशा में अहम कदम है, बल्कि इसे नक्सलवाद के खिलाफ निर्णायक लड़ाई के रूप में भी देखा जा रहा है।

अब सबसे खास बात ये है कि सुरक्षा बलों को ‘फ्री हैंड’ मिल चुका है, यानी वे अब नक्सलियों के खिलाफ बिना किसी रोक-टोक के कार्रवाई कर सकते हैं। इसका मतलब है कि उन्हें किसी भी स्थिति में तत्काल निर्णय लेने की पूरी आज़ादी होगी, जिससे नक्सलियों के खिलाफ ऑपरेशन तेज़ी से चल पाएंगे। यह एक गेम-चेंजर कदम साबित हो सकता है, क्योंकि अब सुरक्षा बलों के पास पूरी स्वतंत्रता है, जो नक्सलवाद से निपटने में मदद करेगी और देश को इस खतरनाक समस्या से जल्द छुटकारा दिला सकेगी।

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