Top 10 Cities in Chhattisgarh: छत्तीसगढ़ के 10 प्रमुख शहर, उनके गठन, विशेषताएँ और सांस्कृतिक महत्व

Top 10 Cities in Chhattisgarh: छत्तीसगढ़ राज्य के प्रमुख शहरों की विस्तृत जानकारी दी गई है, इससे पहले हमने छत्तीसगढ़ के TOP 10 सबसे अमीर विधायक,और उनकी संपत्ति के बारे में बताया था इसी कड़ी में आज छत्तीसगढ़ के 10 प्रमुख शहरों के बारे में जानकारी है जो इस प्रदेश की ऐतिहासिक विरासत, सांस्कृतिक विविधता, औद्योगिक प्रगति और प्रशासनिक संरचना को उजागर करती है। इन शहरों का गठन केवल भौगोलिक सीमाओं तक सीमित नहीं है, बल्कि ये छत्तीसगढ़ की आर्थिक रीढ़, शैक्षिक केंद्र, पर्यटन स्थल, और जनजातीय परंपराओं के संवाहक भी हैं। छत्तीसगढ़ के सबसे विश्वसनीय और सटीक समाचार वेबपोर्टल दक्षिण कोसल पर छत्तीसगढ़ के प्रमुख महापुरुषों की योगदान की कहानी के बारे में भी जिक्र किया गया है। Chhattisgarh Cities हर शहर की अपनी एक विशिष्ट पहचान है — कोई स्टील सिटी के नाम से जाना जाता है, तो कोई न्यायधानी के रूप में विख्यात है; कहीं प्रकृति की गोद में जनजातीय संस्कृति जीवंत है, तो कहीं आधुनिकता और नवाचार का स्वरूप दिखाई देता है। Major Cities of CG इस परिचयात्मक जानकारी के माध्यम से आप जान सकेंगे कि किस तरह ये शहर मिलकर छत्तीसगढ़ की आत्मा को गढ़ते हैं और इसे भारत के महत्वपूर्ण राज्यों में एक विशिष्ट स्थान दिलाते हैं।
1. रायपुर (Raipur)
- स्थापना: 1861 में रायपुर जिले के रूप में स्थापित हुआ।
- विशेषताएँ: राजधानी होने के नाते यह राज्य का प्रशासनिक, शैक्षिक और वाणिज्यिक केंद्र है। यहां भारतीय प्रबंधन संस्थान (IIM) और अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (AIIMS) जैसे प्रमुख संस्थान स्थित हैं। रायपुर में स्टील, कोयला और एल्यूमीनियम उद्योग भी महत्वपूर्ण हैं।
- प्रमुख स्थल: बुढ़ापारा तालाब, ऊर्जा पार्क, महंत घासीदास संग्रहालय, नया रायपुर।
History of Raipur City: रायपुर, छत्तीसगढ़ की राजधानी और सबसे बड़ा शहर है, जो राज्य का प्रशासनिक, सांस्कृतिक, औद्योगिक और शैक्षणिक केंद्र है। ऐतिहासिक दृष्टि से रायपुर का उल्लेख 8वीं शताब्दी में भी मिलता है और यह कभी कलचुरी राजवंश की राजधानी रहा है। रायपुर की आधुनिक पहचान 2000 में बनी, जब यह मध्यप्रदेश से अलग होकर नवगठित छत्तीसगढ़ राज्य की राजधानी घोषित हुआ। यह शहर राज्य का राजनीतिक हृदय है और यहां विधानसभा, सचिवालय, मुख्यमंत्री निवास सहित सभी प्रमुख सरकारी कार्यालय स्थित हैं।

भौगोलिक रूप से रायपुर मैदानी क्षेत्र में बसा है और इसे कई तालाबों और नदियों ने घेर रखा है — जिसमें महानदी प्रमुख है। शहर की नया रायपुर (अटल नगर) परियोजना, भारत के सबसे पहले स्मार्ट सिटी प्रयासों में से एक है, जो आधुनिक नगर नियोजन का उत्कृष्ट उदाहरण है।
औद्योगिक दृष्टि से रायपुर भारत के प्रमुख इस्पात और लोहा उत्पादन केंद्रों में से एक है। यहां अनेक बड़े और मध्यम स्तर के उद्योग स्थित हैं, विशेष रूप से स्टील, एल्यूमिनियम और कृषि-प्रसंस्करण से जुड़े। यह शहर छत्तीसगढ़ का व्यापारिक हब भी है, जहाँ से पूरे राज्य में सामान का वितरण होता है।
शिक्षा और स्वास्थ्य के क्षेत्र में भी रायपुर अग्रणी है। यहां IIM रायपुर, AIIMS रायपुर, राष्ट्रीय विधि विश्वविद्यालय, NIT सहित कई प्रतिष्ठित संस्थान हैं। साथ ही, यह रेल, सड़क और वायु मार्ग से देशभर से अच्छी तरह जुड़ा हुआ है — स्वामी विवेकानंद हवाई अड्डा मध्य भारत के प्रमुख हवाई अड्डों में से एक है।
संस्कृति और पर्यटन की दृष्टि से रायपुर में महंत घासीदास संग्रहालय, विवेकानंद आश्रम, पुरखौती मुक्तांगन, ऊर्जा पार्क, और बुढ़ातालाब जैसे स्थल आकर्षण का केंद्र हैं। यहाँ छत्तीसगढ़ी संस्कृति, आदिवासी परंपरा और आधुनिकता का अद्भुत संगम देखने को मिलता है।
संक्षेप में, रायपुर एक ऐसा शहर है जो इतिहास, आधुनिक विकास, प्रशासनिक प्रभाव, शिक्षा और संस्कृति — इन सभी पहलुओं में छत्तीसगढ़ का नेतृत्व करता है और इसे पूरे राज्य का “चेहरा” कहा जा सकता है।
2. भिलाई (Bhilai)
- स्थापना: 1901 में नगर निगम का दर्जा प्राप्त किया।
- विशेषताएँ: “स्टील सिटी” के नाम से प्रसिद्ध, यहां भिलाई स्टील प्लांट स्थित है, जो देश के प्रमुख इस्पात उत्पादक संयंत्रों में से एक है।
- प्रमुख स्थल: मैत्री बाग, उषा किरण वाटिका, चंटी मंदिर।
History of Bhilai City: भिलाई, छत्तीसगढ़ राज्य का एक प्रमुख औद्योगिक नगर है, जिसे भारत की “स्टील सिटी” (Steel City of India) के नाम से जाना जाता है। यह दुर्ग जिले में स्थित है और रायपुर और दुर्ग के साथ मिलकर छत्तीसगढ़ के सबसे बड़े शहरी क्षेत्रों में से एक बनाता है। भिलाई की ख्याति का मुख्य कारण यहाँ स्थित भिलाई इस्पात संयंत्र (Bhilai Steel Plant) है, जिसकी स्थापना 1955 में भारत और तत्कालीन सोवियत संघ के सहयोग से की गई थी। यह संयंत्र भारत के सबसे बड़े और प्रमुख स्टील प्लांट्स में से एक है, जो रेल ट्रैक, इस्पात उत्पादों और भारी इंजीनियरिंग में अग्रणी भूमिका निभाता है।

भिलाई न केवल औद्योगिक रूप से समृद्ध है, बल्कि यह शिक्षा और तकनीकी विकास का भी केंद्र है। यहां स्थित भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान – भिलाई (IIT Bhilai) और भिलाई इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी (BIT) जैसे संस्थान इसे उच्च शिक्षा का हब बनाते हैं। इसके अलावा भिलाई नगर, एक सुव्यवस्थित और योजनाबद्ध शहर है, जिसे आधुनिक शहरी योजना का उदाहरण माना जाता है — चौड़ी सड़कों, हरित क्षेत्रों और आवासीय कॉलोनियों के साथ।
भिलाई का मैत्री बाग (चिड़ियाघर और उद्यान), जिसे भारत और रूस की मैत्री का प्रतीक माना जाता है, एक प्रमुख पर्यटन स्थल है। यहाँ की जनसंख्या विविध सांस्कृतिक पृष्ठभूमियों से आई हुई है, जिससे यह शहर एक बहु-सांस्कृतिक समाज का प्रतीक बन गया है।
संक्षेप में, भिलाई एक ऐसा नगर है जो औद्योगिक प्रगति, शैक्षिक उन्नति, और सामाजिक समरसता का सुंदर संगम है। यह छत्तीसगढ़ की आर्थिक रीढ़ है और देश के औद्योगिक नक्शे पर इसकी एक महत्वपूर्ण पहचान है।
3. बिलासपुर (Bilaspur)
- स्थापना: 1861 में रतनपुर के कलचुरी राजवंशों का हिस्सा था।
- विशेषताएँ: “न्यायधानी” के नाम से प्रसिद्ध, यहां छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय स्थित है। यह शहर चावल और रेशम उत्पादन के लिए भी जाना जाता है।
- प्रमुख स्थल: रतनपुर महमाया मंदिर, कानन पेंडारी जू, रतनपुर किला।
History of Bilaspur City: बिलासपुर, छत्तीसगढ़ का एक प्रमुख ऐतिहासिक, न्यायिक और व्यापारिक नगर है, जिसे राज्य की “न्यायधानी” कहा जाता है। यह शहर बिलासपुर जिले का मुख्यालय है और यहां छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय (High Court of Chhattisgarh) स्थित है, जिसके कारण इसका न्यायिक महत्व अत्यधिक है। बिलासपुर राज्य का दूसरा सबसे बड़ा शहर है और सांस्कृतिक, शैक्षणिक व औद्योगिक दृष्टि से भी अत्यंत महत्वपूर्ण है।

बिलासपुर का इतिहास कलचुरी राजवंश से जुड़ा हुआ है, जिनकी राजधानी पहले रतनपुर (वर्तमान में बिलासपुर जिले में स्थित) हुआ करती थी। इस ऐतिहासिक संबंध के चलते यहां अनेक मंदिर, किले और धार्मिक स्थल हैं, जिनमें महमाया मंदिर (रतनपुर) अत्यंत प्रसिद्ध है। बिलासपुर की भौगोलिक स्थिति इसे रेल और सड़क मार्ग से छत्तीसगढ़ का एक महत्वपूर्ण जंक्शन बनाती है — यह दक्षिण पूर्व मध्य रेलवे (SECR) का मुख्यालय है, जो इसे देश के सबसे व्यस्त रेलवे केंद्रों में से एक बनाता है।
बिलासपुर की अर्थव्यवस्था कृषि, व्यापार और औद्योगिक क्षेत्रों पर आधारित है। इसे धान की बोरियों का शहर (City of Paddy Fields) भी कहा जाता है, क्योंकि यह क्षेत्र छत्तीसगढ़ के बड़े धान उत्पादक इलाकों में आता है। इसके अलावा, यहां कोरबा और रायगढ़ जैसे ऊर्जा क्षेत्रों की निकटता के कारण व्यापारिक गतिविधियाँ भी बहुत तेज़ हैं।
शैक्षणिक दृष्टि से भी बिलासपुर अग्रणी है। यहां गुरु घासीदास केंद्रीय विश्वविद्यालय, मेडिकल और इंजीनियरिंग कॉलेज, और अनेक निजी शिक्षण संस्थान हैं जो पूरे प्रदेश से विद्यार्थियों को आकर्षित करते हैं। शहर में अरपा नदी बहती है, जो इसे एक सुंदर प्राकृतिक स्वरूप देती है और आने वाले वर्षों में नदी किनारे विकास योजनाओं का केंद्र बनने जा रही है।
संक्षेप में, बिलासपुर छत्तीसगढ़ का एक ऐसा शहर है जो इतिहास, न्याय, शिक्षा और आधुनिकता का संतुलन प्रस्तुत करता है, और राज्य के तेजी से उभरते महानगरों में से एक है।
4. कोरबा (Korba)
- स्थापना: 1998 में जिला गठन हुआ।
- विशेषताएँ: “पावर हब” के नाम से प्रसिद्ध, यहां कोयला खदानों और बिजली उत्पादन के लिए प्रमुख उद्योग स्थित हैं।
- प्रमुख स्थल: सतरेंगा जलप्रपात, देवपहरी गुफाएं, बांगो बांध।
History of Korba City: कोरबा, छत्तीसगढ़ का एक प्रमुख औद्योगिक नगर है, जिसे राज्य का “ऊर्जा नगर” (Power Capital of Chhattisgarh) कहा जाता है। यह कोरबा जिले का मुख्यालय है और मध्य भारत के सबसे बड़े कोयला भंडारों में से एक गेवरा, कुसमुंडा और दीपका खदानों के लिए प्रसिद्ध है, जो SECL (साउथ ईस्टर्न कोलफील्ड्स लिमिटेड) द्वारा संचालित हैं। यहां देश की बड़ी ताप विद्युत परियोजनाएं जैसे NTPC (नेशनल थर्मल पावर कॉरपोरेशन) और चर्मवुड विद्युत संयंत्र स्थित हैं, जो छत्तीसगढ़ ही नहीं, बल्कि देश के कई हिस्सों में बिजली की आपूर्ति करते हैं।

कोरबा की भौगोलिक स्थिति — मैकाल पर्वतमाला और हरे-भरे वनों से घिरा हुआ क्षेत्र — इसे प्राकृतिक दृष्टि से भी समृद्ध बनाती है। यहां की प्रमुख नदी हसदेव है, जो महानदी की एक सहायक नदी है और कोरबा की जीवनरेखा मानी जाती है। इस नदी पर बना हसदेव बांगो बांध न केवल सिंचाई और जल आपूर्ति में सहायक है, बल्कि यह एक सुंदर पर्यटन स्थल भी है।
कोरबा में विविध जनजातीय आबादी निवास करती है, जिनमें गोंड, उरांव, और बैगा प्रमुख हैं। ये समुदाय अपनी परंपरागत संस्कृति, वेशभूषा, लोक नृत्य और त्योहारों के लिए जाने जाते हैं। कोरबा का शहरी विकास तेज़ी से हो रहा है, जिसमें शिक्षा, स्वास्थ्य और परिवहन के क्षेत्र में निरंतर सुधार देखा जा रहा है।
संक्षेप में, कोरबा छत्तीसगढ़ का एक ऐसा शहर है जहाँ ऊर्जा उत्पादन, औद्योगिक विकास, और प्राकृतिक संसाधनों का अनोखा समन्वय देखने को मिलता है, जो इसे राज्य के सबसे महत्वपूर्ण शहरों में शामिल करता है।
5. दुर्ग (Durg)
- स्थापना: 1906 में नगर निगम का दर्जा प्राप्त किया।
- विशेषताएँ: कृषि और उद्योग का प्रमुख केंद्र, यहां शिवनाथ नदी और सियादेई मंदिर जैसे धार्मिक स्थल स्थित हैं।
- प्रमुख स्थल: सियादेई मंदिर, शिवनाथ नदी, दुर्ग किला।
History of Durg City: दुर्ग, छत्तीसगढ़ राज्य का एक प्रमुख ऐतिहासिक, औद्योगिक और शैक्षणिक नगर है, जो राज्य के मध्य-पश्चिमी भाग में स्थित है। यह दुर्ग जिले का मुख्यालय है और छत्तीसगढ़ की औद्योगिक राजधानी भिलाई के साथ जुड़ा हुआ एक ट्विन सिटी के रूप में जाना जाता है। दुर्ग का इतिहास अत्यंत प्राचीन है और इसका नाम संभवतः यहां स्थित एक पुराने किले (दुर्ग) से पड़ा है। यह क्षेत्र कभी हैहय वंश और मराठा शासन के अधीन रहा, और यहां की ऐतिहासिक विरासत में शिवनाथ नदी, प्राचीन मंदिर और धार्मिक स्थल शामिल हैं।

दुर्ग एक महत्वपूर्ण कृषि विपणन केंद्र भी है, और साथ ही औद्योगिक गतिविधियों में तेजी से बढ़ता शहर है। यहां का शिवनाथ नदी तट, प्राकृतिक सौंदर्य और धार्मिक महत्व दोनों के लिए प्रसिद्ध है। शहर में स्थित श्री उग्रनारायण मंदिर, बंजारी माता मंदिर, और सियादेई मंदिर जैसे स्थल धार्मिक आस्था के प्रमुख केंद्र हैं।
शैक्षणिक दृष्टि से भी दुर्ग एक महत्वपूर्ण स्थान रखता है — यहां दुर्ग विश्वविद्यालय, इंजीनियरिंग और मेडिकल कॉलेज जैसे उच्च शिक्षण संस्थान हैं। इसके अलावा, यहां की शांति और सांस्कृतिक गतिविधियाँ इसे रहने और अध्ययन करने के लिए आदर्श बनाती हैं।
दुर्ग की सबसे बड़ी विशेषता यह है कि यह भिलाई स्टील प्लांट के करीब स्थित होने के कारण एक औद्योगिक बैकबोन के रूप में कार्य करता है, और रायपुर, भिलाई व दुर्ग मिलकर छत्तीसगढ़ की प्रमुख शहरी तिकड़ी (Raipur-Bhilai-Durg Urban Triangle) बनाते हैं। इस प्रकार दुर्ग आधुनिकता, इतिहास और संस्कृति का सुंदर संगम प्रस्तुत करता है।
6. राजनांदगांव (Rajnandgaon)
- स्थापना: 1973 में जिला गठन हुआ।
- विशेषताएँ: “स्पोर्ट्स कैपिटल” के नाम से प्रसिद्ध, यह शहर खेलों और सांस्कृतिक गतिविधियों के लिए जाना जाता है।
- प्रमुख स्थल: शिवनाथ नदी, शीतला मंदिर, दिग्विजय कॉलेज।
History of Rajnandgaon City: राजनांदगांव, छत्तीसगढ़ का एक ऐतिहासिक और सांस्कृतिक रूप से समृद्ध शहर है, जो राज्य के पश्चिमी भाग में स्थित है और राजनांदगांव जिले का मुख्यालय है। यह नगर कभी राजनांदगांव रियासत की राजधानी था और यहां के शासकों ने शिक्षा, साहित्य और कला को बढ़ावा देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। विशेष रूप से राजा महंत घासीदास और राजा दिग्विजय दास के योगदान को आज भी सम्मान से याद किया जाता है। इस शहर का विकास शैक्षिक और साहित्यिक दृष्टि से उल्लेखनीय रहा है, और यह छत्तीसगढ़ के प्रमुख शिक्षण केंद्रों में से एक माना जाता है।

राजनांदगांव की भौगोलिक स्थिति इसे व्यापार और आवागमन के लिए उपयुक्त बनाती है। यह राष्ट्रीय राजमार्ग 6 (अब NH 53) पर स्थित है, जिससे यह रायपुर और महाराष्ट्र के नागपुर जैसे बड़े शहरों से अच्छी तरह जुड़ा हुआ है। यह शहर खेलों में भी अग्रणी रहा है, और इसे छत्तीसगढ़ की “स्पोर्ट्स कैपिटल” के रूप में भी देखा जाता है — यहाँ से कई राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय खिलाड़ी निकले हैं।
शहर के प्रमुख आकर्षणों में दिग्विजय स्टेडियम, शीतला मंदिर, गायत्री मंदिर, और आसपास के प्राकृतिक स्थल शामिल हैं। राजनांदगांव जिले में विविध जनजातीय संस्कृति भी देखने को मिलती है, जिसमें गोंड और अन्य आदिवासी समुदाय शामिल हैं, जो अपनी पारंपरिक कलाओं, नृत्यों और जीवनशैली के लिए प्रसिद्ध हैं। यह शहर आधुनिकता और परंपरा का संतुलित मिश्रण प्रस्तुत करता है।
7. रायगढ़ (Raigarh)
- स्थापना: 1948 में जिला गठन हुआ।
- विशेषताएँ: कोयला भंडार और बिजली उत्पादन के लिए प्रसिद्ध, यह शहर कथक नृत्य और शास्त्रीय संगीत के लिए भी जाना जाता है।
- प्रमुख स्थल: राम झरना, कोसमर वन, रायगढ़ किला।
History of Raigarh City: रायगढ़, छत्तीसगढ़ का एक प्रमुख औद्योगिक, सांस्कृतिक और ऐतिहासिक शहर है, जो राज्य के पूर्वी भाग में स्थित है। यह रायगढ़ जिले का मुख्यालय है और महानदी की एक सहायक नदी के किनारे बसा हुआ है। यह शहर पहले रायगढ़ रियासत की राजधानी हुआ करता था, जिसके शासक कला, संगीत और संस्कृति के संरक्षक थे। रायगढ़ को “सांस्कृतिक नगरी” के रूप में जाना जाता है क्योंकि यह कथक नृत्य और हिंदुस्तानी शास्त्रीय संगीत की एक समृद्ध परंपरा का केंद्र रहा है।

यहां हर साल संगीत और नृत्य से संबंधित कई सांस्कृतिक उत्सव आयोजित किए जाते हैं। आधुनिक काल में रायगढ़ ने एक औद्योगिक हब के रूप में भी तेज़ी से विकास किया है — विशेष रूप से कोयला खनन, बिजली उत्पादन और इस्पात उद्योग के क्षेत्र में। जेएसपीएल (Jindal Steel & Power Limited) जैसे बड़े उद्योग यहां स्थित हैं, जिनकी वजह से यह शहर आर्थिक रूप से महत्वपूर्ण हो गया है। रायगढ़ अपनी झींगा मछली, लकड़ी के हस्तशिल्प, और बाजार संस्कृति के लिए भी जाना जाता है। साथ ही, यहां के राम झरना, कोसमर वन, और आसपास के झरने एवं जंगल पर्यटकों को आकर्षित करते हैं। रायगढ़ शिक्षा और स्वास्थ्य सेवाओं में भी क्षेत्रीय केंद्र के रूप में उभर रहा है।
8. अंबिकापुर (Ambikapur)
- स्थापना: महाभारत काल और नंद साम्राज्य (4 ईसा पूर्व) से जुड़ा हुआ है। हालांकि, इसकी आधिकारिक स्थापना तिथि को लेकर कोई स्पष्ट रूप से दर्ज नहीं है, हालांकि अंबिकापुर को 1956 में छत्तीसगढ़ के नगर निगम के रूप में मान्यता मिली, जब यह मध्य प्रदेश का हिस्सा था।
- विशेषताएँ: स्वच्छता और पर्यटन के लिए प्रसिद्ध, यह शहर मैनपाट और टाइगर पॉइंट जैसे खूबसूरत पर्यटक स्थलों के लिए जाना जाता है।
- प्रमुख स्थल: मैनपाट, टाइगर पॉइंट, अंबिकापुर मंदिर।
History of Ambikapur City: अंबिकापुर, छत्तीसगढ़ राज्य के सरगुजा जिले का मुख्यालय है, जो अपने प्राचीन इतिहास, प्राकृतिक सौंदर्य और आदिवासी संस्कृति के लिए प्रसिद्ध है। यह शहर छत्तीसगढ़ के उत्तरी भाग में स्थित है और समुद्र तल से लगभग 623 मीटर की ऊँचाई पर बसा हुआ है। अंबिकापुर का नाम देवी अंबिका के नाम पर पड़ा है, जिनका मंदिर शहर के मध्य में स्थित है और जिनकी पूजा यहां की सांस्कृतिक पहचान का हिस्सा है।

यह नगर कभी सरगुजा रियासत की राजधानी था और इसके राजाओं का इतिहास आज भी किलों और महलों के रूप में देखा जा सकता है। अंबिकापुर को देश के स्वच्छ शहरों में गिना जाता है — यह कई वर्षों तक स्वच्छता रैंकिंग में शीर्ष 10 शहरों में शामिल रहा है। यहाँ की भौगोलिक बनावट — पहाड़, जंगल और झरने — इसे एक सुंदर पर्यटन स्थल बनाते हैं। निकटवर्ती स्थल जैसे मैनपाट को छत्तीसगढ़ का “शिमला” कहा जाता है, जो अपनी ठंडी जलवायु और बौद्ध संस्कृति (तिब्बती शरणार्थी शिविरों के कारण) के लिए प्रसिद्ध है। अंबिकापुर, शिक्षा और स्वास्थ्य सेवाओं के क्षेत्र में भी उत्तरी छत्तीसगढ़ का प्रमुख केंद्र बन चुका है।
9. जगदलपुर (Jagdalpur)
- स्थापना: बस्तर रियासत की स्थापना लगभग 14वीं शताब्दी में मानी जाती है, और जगदलपुर को राजधानी के रूप में स्थापित किया गया था संभवतः 16वीं से 17वीं शताब्दी के बीच, जब बस्तर के राजाओं ने इसे शासकीय और सांस्कृतिक केंद्र के रूप में विकसित किया।
- विशेषताएँ: बस्तर जिले का प्रमुख शहर, यह अपने जंगलों, गुफाओं और जलप्रपातों के लिए प्रसिद्ध है।
- प्रमुख स्थल: चित्रकोट जलप्रपात, तीरथगढ़ जलप्रपात, कांगेर घाटी राष्ट्रीय उद्यान।
History of Jagdalpur City: जगदलपुर, छत्तीसगढ़ के बस्तर जिले का मुख्यालय और ऐतिहासिक नगर है, जो अपनी सांस्कृतिक विरासत, प्राकृतिक सौंदर्य और जनजातीय परंपराओं के लिए प्रसिद्ध है। यह शहर बस्तर संभाग का प्रमुख प्रशासनिक, व्यापारिक और पर्यटन केंद्र है, जिसकी स्थापना ब्रिटिश शासन काल में हुई थी और जो कभी बस्तर रियासत की राजधानी भी रहा है। समुद्र तल से लगभग 552 मीटर की ऊँचाई पर स्थित जगदलपुर हरे-भरे जंगलों, पहाड़ों, और जलप्रपातों से घिरा हुआ है।

यहाँ का चित्रकोट जलप्रपात, जिसे भारत का “नियाग्रा फॉल्स” भी कहा जाता है, विश्व प्रसिद्ध है। इसके अलावा तीरथगढ़ जलप्रपात, कांगेर घाटी राष्ट्रीय उद्यान, कोटमसर गुफाएं और दलपत सागर जैसे दर्शनीय स्थल इसे प्रकृति प्रेमियों और पर्यटकों के लिए आदर्श गंतव्य बनाते हैं। जगदलपुर का बस्तर दशहरा पर्व भारत के सबसे लंबे चलने वाले त्योहारों में से एक है, जो स्थानीय आदिवासी संस्कृति, देवी आराधना और सामाजिक एकता का प्रतीक है। यहाँ की प्रमुख जनजातियाँ मुरिया, गोंड और हल्बा हैं, जो अपनी अनोखी जीवनशैली, नृत्य और हस्तशिल्प के लिए जानी जाती हैं। जगदलपुर ना केवल पर्यटन, बल्कि राज्य के पूर्वी हिस्से में शिक्षा और स्वास्थ्य सेवाओं का भी एक उभरता हुआ केंद्र है।
10. धमतरी (Dhamtari)
- स्थापना: 1998 में जिला गठन हुआ।
- विशेषताएँ: प्राकृतिक सुंदरता और पर्यटन स्थलों के लिए प्रसिद्ध, यहां के गंगरेल बांध और सिहावा पर्वत पर्यटकों को आकर्षित करते हैं।
- प्रमुख स्थल: गंगरेल बांध, सिहावा पर्वत, धमतरी मंदिर।

History of Dhamtari City: धमतरी “धम्म” + “तराई” का संक्षिप्त रूप है। यह जिला छत्तीसगढ़ क्षेत्र के उपजाऊ मैदानों में स्थित है। यह जिला 20° 42′ 36″ उत्तरी अक्षांश और 81° 33′ 0″ पूर्वी देशांतर के बीच स्थित है। धमतरी जिले का आधिकारिक रूप से गठन 6 जुलाई 1998 को छत्तीसगढ़ की वर्तमान राजधानी रायपुर जिले को महासमुंद से विभाजित करके किया गया था। परिणामस्वरूप रायपुर जिले की सीमाएं रायपुर, महासमुंद और धमतरी जैसे जिलों में परिवर्तित हो गईं। धमतरी, कुरुद, मगरलोड और नगरी को धमतरी जिले में तहसील के रूप में और धमतरी, कुरुद, मगरलोड और नगरी को ब्लॉक के रूप में शामिल किया गया है। जिले का कुल क्षेत्रफल 4084 वर्ग किमी है और समुद्र तल से 457 मीटर ऊपर है। यह जिला उत्तर में रायपुर जिले और दक्षिण में कांकेर जिले के साथ-साथ बस्तर, पूर्व में उड़ीसा राज्य का हिस्सा और पश्चिम में दुर्ग, बालोद और कांकेर जिलों से घिरा हुआ है। महानदी इस जिले की प्रमुख नदी है और महानदी को अब तक कंकणनदी, चित्रोत्पला, नीलोत्पला, मंदवाहिनी, जैरथ आदि नामों से जाना जाता है।
इसकी सहायक नदियाँ सेंदुर, पैरी, सोंदुर, जोन, खारुन और शिवनाथ हैं। धमतरी जिले की भूमि की उर्वरता का श्रेय इन नदियों को जाता है। इस क्षेत्र की मुख्य फसल धान है। मध्य भारत की प्रमुख नदियों में से एक महानदी सिहावा की पहाड़ियों से निकलती है और पूर्व दिशा में बंगाल की खाड़ी में बहती है।
धमतरी जिला दो लोकसभा क्षेत्रों (कांकेर और महासमुंद) और तीन विधानसभा क्षेत्रों (धमतरी, कुरुद और सिहावा) के बीच पड़ता है। राष्ट्रीय राजमार्ग संख्या 30 (पहले NH 43) रायपुर – विजयनगरम (आंध्र प्रदेश) धमतरी से होकर गुजरता है। रायपुर 78 कि.मी. है। धमतरी से.

पूर्व में सतपुड़ा पर्वतमाला स्थित है। इसे सिहावा पहाड़ के नाम से जाना जाता है। पश्चिम में कांकेर जिला स्थित है। उत्तर में छत्तीसगढ़ का हृदय और राजधानी रायपुर स्थित है। दक्षिण की ओर ओडिशा राज्य की सीमा स्थित है। रविशंकर सागर बांध जो लगभग 57000 हेक्टेयर भूमि की सिंचाई करता है और राज्य की राजधानी रायपुर के लिए सुरक्षित पेयजल संसाधन की मुख्य आपूर्ति इकाई के रूप में भी कार्य करता है और साथ ही भिलाई इस्पात संयंत्र को भी पानी की आपूर्ति करता है, जिला राजधानी से लगभग 11 किलोमीटर दूर है।
एशिया का पहला साइफन बांध 1914 में माडमसिल्ली में बनाया गया था। माडमसिल्ली के अलावा सोंढूर बांध, दुधावा बांध प्रमुख परियोजनाएं हैं।
Also Read: Mahapurush Of Chhattisgarh: छत्तीसगढ़ के प्रमुख महापुरुष: जिनके योगदान ने राज्य को नई दिशा दी