छत्तीसगढ़

Caste Census: मोदी सरकार कराएगी जातिगत जनगणना, सियासी गलियारों में हलचल तेज़

Caste Census: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अगुवाई में केंद्र सरकार ने एक बड़ा सियासी दांव चला है। बुधवार को हुई कैबिनेट कमेटी ऑन पॉलिटिकल अफेयर्स की बैठक में तय हुआ कि अगली जनगणना में जातियों की गिनती भी होगी। यानी अब देश में जाति आधारित जनगणना का रास्ता साफ हो गया है।

सरकार की ओर से क्या कहा गया?

बैठक के बाद केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव ने प्रेस को जानकारी दी कि प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में राजनीतिक मामलों की कैबिनेट कमेटी ने यह ऐतिहासिक फैसला लिया है। उनके मुताबिक़, “अब अगली जनगणना में जातियों की भी गिनती की जाएगी।”

इस कमेटी में मोदी के साथ-साथ रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, गृह मंत्री अमित शाह, वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण, सड़क परिवहन मंत्री नितिन गडकरी और वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल शामिल हैं।

किसने क्या कहा? नेताओं की प्रतिक्रियाएं

जातिगत जनगणना के ऐलान के बाद नेताओं की प्रतिक्रियाएं भी आने लगी हैं।

राजनीतिक विश्लेषक योगेंद्र यादव ने कहा कि यह एक बड़ी घोषणा है। “हम जैसे लोग जो सालों से इसकी मांग कर रहे थे, आज राहत की सांस लेंगे। मोदी सरकार ने वही किया जिसकी जरूरत थी,” उन्होंने कहा।

बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने केंद्र के फैसले का स्वागत किया और कहा कि इससे योजनाएं बनाने में मदद मिलेगी। वहीं यूपी के डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य ने इसे “ऐतिहासिक” बताया। मौर्य बोले, “जाति भारतीय राजनीति की सच्चाई है। मोदी जी ने लोगों का दिल जीत लिया है।”

CM साय ने कहा – सामाजिक न्याय की दिशा में बड़ा कदम है जातीय जनगणना का फैसला

छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने केंद्र सरकार के जातीय जनगणना से जुड़े फैसले का स्वागत किया है। उन्होंने इसे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की दूरदर्शी सोच और समावेशी विकास की दिशा में एक ऐतिहासिक पहल बताया।

मुख्यमंत्री साय ने कहा, “यशस्वी प्रधानमंत्री मोदी जी द्वारा जनगणना में जातियों की गिनती को शामिल करने का फैसला न केवल सराहनीय है, बल्कि सामाजिक न्याय की बुनियाद को और मजबूत करेगा। इससे नीति निर्माण को ठोस दिशा मिलेगी और वंचित तबकों के लिए असरदार योजनाएं बनाना संभव होगा।”

विपक्ष भी बोला, लेकिन सवाल भी उठाए

कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने कहा कि वो इस फैसले का समर्थन करते हैं लेकिन सरकार को टाइमलाइन भी बतानी चाहिए। राहुल बोले, “जब हमने मांग की तो कहा गया था कि केवल चार जातियां हैं, अब अचानक सरकार को क्या सूझा?”

कांग्रेस प्रवक्ता जयराम रमेश ने पार्टी के हालिया प्रस्ताव का हवाला देते हुए इसे “देर आए, दुरुस्त आए” बताया।

आरजेडी नेता तेजस्वी यादव ने दावा किया कि मोदी सरकार ने उनकी पार्टी की लाइन अपना ली है। तेजस्वी बोले, “पहले विरोध करते थे, अब मान गए। ये हमारी जीत है।”

समाजवादी पार्टी के फखरुल हसन ने कहा कि बीजेपी जो बोलती है और करती है, उसमें ज़मीन-आसमान का फर्क होता है।

जानकारों की राय: राजनीति का मास्टरस्ट्रोक?

वरिष्ठ पत्रकार रशीद किदवई का मानना है कि सरकार ने विपक्ष से मुद्दा छीनकर उसे “डिफेंस” में डाल दिया है। उनके मुताबिक़, “बीजेपी शायद लोकसभा में 400 सीटों के लक्ष्य तक न पहुंच पाने की टीस को इस तरह कवर कर रही है।”

वहीं टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ सोशल साइंसेज़ के प्रोफेसर पुष्पेंद्र कुमार ने कहा कि ये फैसला पूरी तरह से राजनीतिक है। उनका कहना है कि बीजेपी को अगड़ी जातियों के दम पर सत्ता में रहना मुश्किल लग रहा है, इसलिए अब ओबीसी और दलित वोटों को साधने की कोशिश की जा रही है।

जातिगत जनगणना: विपक्ष की पुरानी मांग

जाति जनगणना की मांग पहली बार नहीं उठी है। 2024 के लोकसभा चुनावों से पहले I.N.D.I.A गठबंधन लगातार ये मुद्दा उठा रहा था। बिहार में नीतीश सरकार ने पहले ही राज्य स्तर पर जातिगत सर्वे कराया था।

हालांकि, पीएम मोदी खुद गरीबी और अमीरी की बात करते रहे हैं, जाति की नहीं। लेकिन अब केंद्र सरकार ने भी इस दिशा में कदम बढ़ा दिया है।

आगे क्या?

अब सबसे बड़ा सवाल ये है कि जातियों की गिनती के बाद सरकार करेगी क्या? क्या आबादी के अनुपात में आरक्षण मिलेगा? नौकरियों और शिक्षण संस्थानों में हिस्सेदारी बढ़ेगी?

वरिष्ठ पत्रकारों और शिक्षाविदों की राय में गिनती कर लेना एक बात है, लेकिन उसके बाद जो फैसला होंगे, वही असली मायने रखेंगे।

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