Gariband CMHO Sister Controversy: गरियाबंद जिला अस्पताल में बवाल: ‘CMHO मेरी बहन है’ वाली धमकी से भड़के डॉक्टर, 48 घंटे में कार्रवाई नहीं तो होगा कार्य बहिष्कार

Gariband CMHO Sister Controversy: छत्तीसगढ़ के गरियाबंद जिला अस्पताल में इन दिनों इलाज से ज़्यादा प्रशासनिक ‘इलाज’ की ज़रूरत महसूस हो रही है। यहां डॉक्टरों और स्टाफ ने सीधा मोर्चा खोल दिया है। वजह है—CMHO डॉ. गार्गी यदु की बहन सृष्टि यदु। स्टाफ का आरोप है कि सृष्टि का बर्ताव तानाशाही भरा है और वो आए दिन धमकी देकर कर्मचारियों का मनोबल गिरा रही हैं।
कौन हैं सृष्टि यदु और क्यों मचा बवाल?
Gariband CMHO Sister Controversy: सृष्टि यदु, तंबाकू नियंत्रण कार्यक्रम के अंतर्गत संविदा पर काउंसलर के तौर पर नियुक्त हैं, लेकिन अस्पताल कर्मचारियों के मुताबिक उन्होंने खुद को ‘सुपर बॉस’ बना लिया है। आरोप है कि सृष्टि अस्पताल आकर स्टाफ को खुलेआम धमकाती हैं—
“तुम्हारा वेतन कटवा दूंगी, CMHO मेरी बहन है। नौकरी से निकलवा दूंगी।”
स्टाफ का कहना है कि यह सिलसिला अब रोज़मर्रा की बात हो गई है और उन्होंने अब चुप बैठने से इनकार कर दिया है।
डॉक्टरों का आरोप: काम नहीं, बस दबाव और अपमान
अस्पताल के डॉक्टरों और नर्सिंग स्टाफ का कहना है कि सृष्टि आए दिन चिकित्सकों को बेवजह फटकारती हैं। यहां तक कि मरीजों और उनके परिजनों के सामने भी अपमानित किया जाता है। स्टाफ का यह भी कहना है कि उनसे ऐसे काम कराए जा रहे हैं जिनका इलाज और स्वास्थ्य सेवा से कोई लेना-देना नहीं है।
48 घंटे का अल्टीमेटम: CMHO और बहन हटें वरना ठप होगा अस्पताल
स्थिति गंभीर हो गई है। 60 से अधिक डॉक्टरों और कर्मचारियों ने जिला प्रशासन को पत्र लिखकर साफ कहा है—अगर 48 घंटे के भीतर डॉ. गार्गी यदु और उनकी बहन सृष्टि यदु को अस्पताल से नहीं हटाया गया, तो आपातकालीन सेवाओं को छोड़कर पूरा स्टाफ कार्य बहिष्कार पर चला जाएगा।
क्या अस्पताल बना परिवार का अखाड़ा?
सवाल अब यह उठ रहा है कि क्या गरियाबंद जिला अस्पताल अब चिकित्सा केंद्र नहीं, बल्कि पारिवारिक नियंत्रण का मंच बन चुका है? क्या संविदा पर नियुक्त एक काउंसलर को इतनी शक्तियां दी जा सकती हैं कि वो डॉक्टरों को नौकरी से निकालने की धमकी दे?
प्रशासन की अग्निपरीक्षा शुरू
अब सारा ध्यान गरियाबंद कलेक्टर और स्वास्थ्य विभाग पर टिका है। प्रशासन के पास अब दो ही विकल्प हैं—या तो कर्मचारियों की बात सुनी जाए या फिर नातेदारी के नाम पर चुप्पी साध ली जाए। कलेक्टर की कार्यशैली को लेकर आम धारणा है कि वे शिकायतों पर तुरंत कार्रवाई करते हैं। अब देखना है कि इस हाई प्रोफाइल मामले में क्या रुख अपनाया जाता है।