Google के खिलाफ 5 बिलियन पाउंड का मुकदमा, 2.5 लाख व्यवसायों ने लगाए एकाधिकार के आरोप

गूगल फिर विवादों में, इस बार ब्रिटेन से आई कानूनी गूंज
दुनिया की सबसे बड़ी टेक कंपनियों में से एक, Google, फिर से कानूनी पचड़े में फंस गया है। इस बार मामला ब्रिटेन से है, जहां कंपनी पर करीब 5 बिलियन पाउंड (लगभग ₹55,000 करोड़) का क्लास एक्शन मुकदमा दायर किया गया है। आरोप? गूगल ने ऑनलाइन सर्च और डिजिटल विज्ञापन बाजार में अपना दबदबा जमाकर छोटे कारोबारियों को पीछे धकेला।
2.5 लाख बिजनेस बोले — “गूगल ने हमारे हिस्से की कमाई हड़प ली”
इस केस की अगुवाई लीड्स यूनिवर्सिटी की एसोसिएट प्रोफेसर ऑर ब्रूक कर रही हैं। उन्होंने बताया कि यह मुकदमा ब्रिटेन के करीब 2,50,000 छोटे और मध्यम व्यवसायों की तरफ से दाखिल किया गया है। इन कारोबारियों ने 2011 से लेकर अप्रैल 2025 तक गूगल की सर्च विज्ञापन सेवाएं इस्तेमाल की थीं।
इस क्लास एक्शन को Geradin Partners और कई अन्य कानूनी फर्मों का भी समर्थन मिला है, यानी यह मामूली लड़ाई नहीं, बड़े स्तर की कानूनी टक्कर है।
आरोप नंबर 1: डिफॉल्ट ऐप बनाकर मारी सर्च मार्केट पर कब्जा
मुकदमे में सबसे पहला बड़ा आरोप यह है कि गूगल ने मोबाइल कंपनियों से ऐसी डील की, जिससे गूगल सर्च और क्रोम को स्मार्टफोन में डिफॉल्ट ऐप के तौर पर फिक्स करवा दिया गया। इससे Yahoo, Bing और अन्य सर्च इंजनों को बराबरी का मौका ही नहीं मिला।
आरोप नंबर 2: Apple को अरबों देकर Safari में भी कब्जा जमाया
दूसरा आरोप और भी दिलचस्प है। कहा गया है कि गूगल ने Apple को अरबों पाउंड की रकम दी ताकि Safari ब्राउज़र में सिर्फ गूगल ही डिफॉल्ट सर्च इंजन बना रहे। मतलब iPhone यूज़र्स तक पहुंचने के सारे रास्ते Google ने अकेले कब्जा लिए।
आरोप नंबर 3: एडवर्टाइजिंग में भारी चार्ज, मुनाफा सिर्फ गूगल का
तीसरे आरोप में कहा गया है कि गूगल ने ब्रिटिश व्यवसायों से बहुत ज्यादा दरों पर विज्ञापन शुल्क वसूला, जिससे छोटे-छोटे कारोबारों की कमाई पर असर पड़ा। अब इन कंपनियों को नुकसान के एवज में मुआवज़ा चाहिए।
गूगल का बिजनेस मॉडल सवालों के घेरे में
इस मुकदमे के चलते गूगल के बिजनेस मॉडल की पारदर्शिता पर भी उंगलियां उठ रही हैं। अगर अदालत का फैसला व्यवसायों के पक्ष में आता है, तो गूगल को भारी हर्जाना भरना पड़ सकता है। और यही नहीं, कंपनी के वैश्विक बिजनेस स्ट्रक्चर पर भी असर पड़ेगा।
आगे क्या? डिजिटल दुनिया के लिए बदल सकता है खेल
जानकार मानते हैं कि इस केस का असर सिर्फ गूगल तक सीमित नहीं रहेगा। अगर ये मुकदमा गूगल के खिलाफ गया तो भविष्य में डिजिटल विज्ञापन और सर्च मार्केट में नए नियम और सख्त रेगुलेशन लागू हो सकते हैं। यानी टेक दिग्गजों की मनमानी पर लगाम लगना तय है।
अब देखना ये है कि क्या गूगल इस बार भी अपने कानूनी रडार से बच निकलता है या ब्रिटेन की अदालतें उस पर भारी भरकम जुर्माना ठोकती हैं। टेक दुनिया की सबसे बड़ी लड़ाइयों में से एक शुरू हो चुकी है!