SuShasan Tihar: धमतरी में सुशासन तिहार के समाधान शिविर में पुलिस का अनोखा तरीका, स्टॉल लगाकर दी सड़क सुरक्षा की सीख

SuShasan Tihar: छत्तीसगढ़ के धमतरी ज़िले में सुशासन तिहार के समाधान शिविर में कुछ अलग ही नजारा देखने को मिला। यहां पुलिस सिर्फ कानून-व्यवस्था संभालने नहीं, बल्कि लोगों को सड़क सुरक्षा सिखाने आई थी। सिहावा और आमदी में लगे इस शिविर में धमतरी पुलिस और ट्रैफिक स्टाफ ने मिलकर यातायात जागरूकता का स्टॉल लगाया, जहां आने-जाने वालों को नियम-कायदों से लेकर हेलमेट और सीट बेल्ट की अहमियत तक सब कुछ समझाया गया।
सड़क सुरक्षा पर सीधी बात, आमजन को किया जागरूक
Dhamtari News: हर दिन हो रही सड़क दुर्घटनाओं को देखते हुए धमतरी ट्रैफिक पुलिस ने तय किया कि अब जागरूकता को मैदान में उतारना होगा। समाधान शिविर में लगाए गए ट्रैफिक स्टॉल में लोगों को बताया गया कि—
- ट्रैफिक संकेतों की पहचान कैसे करें
- हेलमेट और सीट बेल्ट क्यों जरूरी हैं
- ट्रैफिक नियम तोड़ने पर कितना जुर्माना देना पड़ता है
यह जानकारी पंपलेट, बैनर और सीधी बातचीत के ज़रिए दी गई, ताकि हर कोई बात को आसानी से समझ सके।
पुलिस अधीक्षक ने लिया स्टॉल का जायज़ा
Traffic Awareness: धमतरी एसपी खुद सिहावा में लगे स्टॉल पर पहुंचे और वहां हो रही गतिविधियों का निरीक्षण किया। उन्होंने ट्रैफिक पुलिस को ज़रूरी दिशा-निर्देश दिए और जाना कि आम लोगों को किस तरह की जानकारी दी जा रही है। एसपी ने कहा कि ऐसे अभियानों का उद्देश्य सिर्फ कागज़ी नहीं, जमीनी असर लाना है — ताकि सड़क पर उतरते ही हर कोई सुरक्षा को लेकर सजग रहे।

नियम तोड़ने वालों को दी कड़ी हिदायत
स्टॉल पर पहुंचने वालों को समझाया गया कि—
- शराब पीकर गाड़ी न चलाएं
- दोपहिया वाहन पर तीन सवारी न बैठाएं
- बिना लाइसेंस वाहन चलाना कानूनन अपराध है
- ओवरस्पीडिंग से जान को खतरा है
- मालवाहक गाड़ियों में सवारी न करें
- नाबालिग बच्चों को गाड़ी चलाने न दें
- मोबाइल पर बात करते हुए गाड़ी न चलाएं
- गलत दिशा में वाहन चलाने से बड़ी दुर्घटना हो सकती है
कौन-कौन रहा मौजूद?
इस कार्यक्रम में प्रआर दौलत मरकाम, पेमन साहू और आर. बालमुकुंद रात्रे की अहम भूमिका रही। इन्होंने मिलकर लोगों को ट्रैफिक नियमों की बारीकियों से रूबरू कराया।
सुशासन में सिर्फ सुनवाई नहीं, समझाइश भी जरूरी
धमतरी पुलिस का यह प्रयास दिखाता है कि गवर्नेंस का मतलब सिर्फ शिकायत सुनना नहीं, लोगों को जागरूक करना भी है। समाधान शिविर अब सिर्फ आवेदन और आश्वासन तक सीमित नहीं, सड़क पर जीवन बचाने का जरिया भी बनते जा रहे हैं।