छत्तीसगढ़

CG Teacher Yuktiyuktikaran: शिक्षकों के युक्तियुक्तकरण की प्रक्रिया शुरू: काउंसलिंग में संगठन पदाधिकारियों को भी मिलेगी वरीयता, ज़िला और विकासखंड स्तर पर बनीं समितियाँ

रायपुर: CG Teacher Yuktiyuktikaran: छत्तीसगढ़ में शिक्षकों और स्कूलों के युक्तियुक्तकरण (Rationalization) की प्रक्रिया अब तेजी पकड़ चुकी है। राज्य सरकार के निर्देश पर जिला और विकासखंड स्तर पर समितियों का गठन कर लिया गया है, जो इस पूरी कवायद की निगरानी करेंगी। इसके तहत अतिशेष शिक्षकों का समयोजन (redeployment) पारदर्शिता और तय दिशा-निर्देशों के अनुसार किया जाएगा।

जिला स्तर पर बनी समिति में शामिल होंगे:

  • कलेक्टर (अध्यक्ष)
  • जिला पंचायत CEO
  • नगर निगम कमिश्नर
  • जिला शिक्षा अधिकारी
  • जिला कार्यक्रम अधिकारी

विकासखंड स्तर पर समिति में होंगे:

  • SDM
  • BEO
  • ABEO
  • विकासखंड स्रोत समन्वयक
  • परियोजना पदाधिकारी

सरकार ने साफ निर्देश दिए हैं कि कोई भी योग्य विद्यालय या शिक्षक इस प्रक्रिया से बाहर न छूटे। अगर कोई गलती हुई, तो पूरी ज़िम्मेदारी विकासखंड स्तर की समिति की होगी।

शर्तें और नियम – कौन पाएगा प्राथमिकता?

शिक्षकों के पुनर्समायोजन के लिए काउंसलिंग के दौरान वरीयता क्रम इस प्रकार रहेगा:

  1. जिन शिक्षकों की सेवानिवृत्ति में दो वर्ष या उससे कम समय बचा है।
  2. महिला शिक्षक, वरिष्ठता के आधार पर।
  3. सरकार से मान्यता प्राप्त शिक्षक संगठनों के पदाधिकारी।
  4. संकुल शैक्षिक समन्वयक, वरिष्ठता सूची के आधार पर।
  5. अन्य शिक्षक, वरिष्ठता सूची के आधार पर।

क्या होगा अगला कदम?

  • रिक्त पदों की सूची तैयार की जाएगी जिसमें सबसे पहले उन स्कूलों को शामिल किया जाएगा जहां कोई शिक्षक नहीं है।
  • इसके बाद एकल शिक्षक विद्यालय और अंत में अन्य रिक्त पद वाले स्कूलों को जोड़ा जाएगा।
  • इस पूरी प्रक्रिया में शाला वार पदों की सटीक गणना और रिकॉर्डिंग ज़रूरी होगी।

क्यों ज़रूरी है युक्तियुक्तकरण?

शिक्षा विभाग का मानना है कि अतिशेष शिक्षक जिस जगह कम ज़रूरत है, वहां पदस्थ हैं, और दूसरी जगह स्कूल बिना शिक्षक के चल रहे हैं। युक्तियुक्तकरण से शिक्षा व्यवस्था को संतुलित करने की कोशिश की जा रही है, ताकि हर बच्चे को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा मिले और किसी स्कूल में स्टाफ की कमी न हो।


छत्तीसगढ़ सरकार का यह कदम शिक्षा के क्षेत्र में व्यवस्थागत सुधार की दिशा में एक बड़ा और जरूरी प्रयास है। संगठन पदाधिकारियों को वरीयता देना न सिर्फ पारदर्शिता को बढ़ाएगा, बल्कि शिक्षा व्यवस्था में भागीदारी की भावना को भी मजबूत करेगा।

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