Fake Caste Certificate: फर्जी आदिवासी जाति प्रमाण पत्र से बनीं टीचर, 18 साल बाद बर्खास्त! हाईकोर्ट और जांच समिति के फैसले के बाद कार्रवाई

Fake Caste Certificate: छत्तीसगढ़ के बिलासपुर हाईकोर्ट से एक बड़ा फैसला सामने आया है। एक महिला शिक्षक, जिसने आदिवासी (ST) का फर्जी जाति प्रमाण पत्र लगाकर नौकरी पाई थी, आखिरकार अपनी नौकरी से हाथ धो बैठी। लगभग 18 साल तक सेवा देने के बाद अब उसे शिक्षा विभाग ने बर्खास्त कर दिया है। मामला जाति प्रमाण पत्र की फर्जीवाड़े से जुड़ा हुआ है, जिसमें जांच और कोर्ट दोनों ने ही उसे दोषी पाया।
2006 में लगी थी नौकरी, 2024 में आई बर्खास्तगी
मामला बिल्हा ब्लॉक के गवर्नमेंट मिडिल स्कूल में पदस्थ शिक्षिका उर्मिला बैगा से जुड़ा है। वर्ष 2006 में उन्होंने बैगा (अनुसूचित जनजाति) जाति का प्रमाण पत्र लगाकर शिक्षक की नौकरी प्राप्त की थी, जबकि असल में वे ओबीसी वर्ग की ‘ढीमर’ जाति से आती थीं।
फर्जी जाति प्रमाण पत्र का खुलासा
शिकायत मिलने के बाद रायपुर के पंडित रविशंकर शुक्ल विश्वविद्यालय की जाति छानबीन समिति ने मामले की जांच की। जांच में यह स्पष्ट हो गया कि उर्मिला ने फर्जी जाति प्रमाण पत्र बनवाया था। उनके पारिवारिक अभिलेखों में जाति ‘ढीमर’ दर्ज थी, जो ओबीसी में आती है।
11 दिसंबर 2006 को समिति ने उनका एसटी प्रमाण पत्र निरस्त कर दिया था और जिला शिक्षा अधिकारी (DEO) ने 7 फरवरी 2007 को उनकी सेवा समाप्ति का आदेश जारी कर दिया।
कोर्ट से स्टे, फिर याचिका वापसी
उर्मिला बैगा ने इस आदेश को हाईकोर्ट में चुनौती दी थी, जहां से उन्हें 1 मार्च 2007 को स्टे मिल गया। इसके बाद वो लगातार नौकरी करती रहीं। लेकिन केस की सुनवाई के दौरान उन्होंने खुद ही याचिका वापस ले ली, जिसे कोर्ट ने खारिज कर दिया और स्थगन आदेश भी खत्म कर दिया।
जाति छानबीन समिति की पुष्टि, अब हुई कार्रवाई
24 जुलाई 2024 को उच्च स्तरीय जाति छानबीन समिति ने भी स्पष्ट कर दिया कि उर्मिला द्वारा प्रस्तुत किया गया बैगा जाति का प्रमाण पत्र फर्जी है। इसके आधार पर शिक्षा विभाग के संयुक्त संचालक आरपी आदित्य ने उन्हें तत्काल प्रभाव से बर्खास्त करने का आदेश जारी किया।
सिस्टम पर सवाल, लेकिन अब कार्रवाई सख्त
18 साल तक एक फर्जी प्रमाण पत्र के दम पर सरकारी नौकरी करना, सिस्टम की बड़ी खामी को दिखाता है। लेकिन अब कोर्ट और जांच एजेंसियां सख्त हो गई हैं। यह फैसला उन लोगों के लिए बड़ा संदेश है, जो फर्जीवाड़े से सरकारी नौकरी में घुसने की फिराक में रहते हैं।