CG Teacher Yuktiyuktkaran: युक्तियुक्तकरण में गड़बड़ी का आरोप: हाईकोर्ट में छुट्टी के दिन सुनवाई, शिक्षकों की याचिकाएं खारिज

CG Teacher Yuktiyuktkaran: छत्तीसगढ़ में युक्तियुक्तकरण को लेकर शिक्षा विभाग और शिक्षकों के बीच जबरदस्त टकराव चल रहा है। हालात इतने बिगड़े कि रविवार जैसे छुट्टी के दिन भी हाईकोर्ट को सुनवाई करनी पड़ी। मामला था शिक्षकों की ओर से दायर की गई याचिकाओं का, जिसमें उन्होंने युक्तियुक्तकरण की प्रक्रिया को असंवैधानिक बताते हुए सवाल खड़े किए थे।

CG Teacher Rationalization: याचिकाकर्ताओं का कहना था कि सरकार ने बिना दावा-आपत्ति का मौका दिए सीधे काउंसलिंग कर डाली, जो नियमों के पूरी तरह खिलाफ है। इस पर जस्टिस अरविंद कुमार वर्मा की वेकेशन बेंच में सुनवाई हुई, जिसमें ज्यादातर याचिकाएं कोर्ट ने खारिज कर दीं। हालांकि, एक मामले में 10 दिन का स्टे जरूर दिया गया है।

क्या है शिक्षकों की शिकायत?

CG School Rationalization: राज्य के विभिन्न जिलों के शिक्षक लगातार इस बात को लेकर नाराज़ हैं कि युक्तियुक्तकरण की प्रक्रिया में न तो पारदर्शिता बरती गई और न ही नियमों का पालन हुआ। उनका आरोप है कि जिला प्रशासन और शिक्षा विभाग ने मिलकर मनमर्जी से शिक्षकों को अतिशेष घोषित कर दूरदराज स्कूलों में ट्रांसफर कर दिया।

शिक्षकों ने यह भी बताया कि युक्तियुक्तकरण के लिए शासन ने जो गाइडलाइन जारी की थी, उसमें दावा-आपत्ति का प्रावधान है, लेकिन अधिकारियों ने इसकी अनदेखी की। यही वजह है कि दुर्ग, महासमुंद, रायपुर और बिलासपुर समेत कई जिलों के शिक्षकों ने अलग-अलग याचिकाएं हाईकोर्ट में दायर की थीं।

महासमुंद की शिक्षिका को मिली 10 दिन की राहत

CG Teacher Union Protest: महासमुंद जिले के गवर्नमेंट अभ्यास प्राइमरी स्कूल में पदस्थ शिक्षिका कल्याणी थेकर ने हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की। वकील अवध त्रिपाठी के माध्यम से दायर इस याचिका में कहा गया कि स्कूल में 91 छात्र पंजीकृत हैं, लेकिन अधिकारियों ने रिकॉर्ड में छात्र संख्या घटाकर 88 दिखा दी।

इसी के आधार पर उन्हें “अतिशेष” घोषित कर दिया गया और दूरस्थ विद्यालय में ट्रांसफर कर दिया गया। शासन की तरफ से कोर्ट में यह स्वीकार भी किया गया कि छात्र संख्या के आंकड़ों में गलती हुई है।

इस पर हाईकोर्ट ने साफ कहा कि बिना दावा-आपत्ति का मौका दिए युक्तियुक्तकरण की प्रक्रिया शुरू करना असंवैधानिक है। कोर्ट ने मामले की गंभीरता को देखते हुए शिक्षिका को 10 दिन की अंतरिम राहत देते हुए ट्रांसफर पर रोक लगा दी।

हालांकि बाकी याचिकाएं कोर्ट ने निरस्त कर दी हैं, लेकिन इस एक फैसले से कई और शिक्षकों को कानूनी लड़ाई के लिए उम्मीद जरूर मिली है। अब देखने वाली बात ये होगी कि सरकार इस पूरे मामले में सुधारात्मक कदम उठाती है या नहीं।

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