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Balod Sand Mafia Attack: छत्तीसगढ़ में रेत माफिया का तांडव, पत्रकार पर जानलेवा हमला, धमतरी अस्पताल में भर्ती पत्रकार

Balod Sand Mafia Attack: छत्तीसगढ़ में रेत माफिया बेलगाम होते जा रहे हैं। बलरामपुर के बाद अब बालोद जिले से एक चौंकाने वाली घटना सामने आई है, जहां अवैध रेत खनन की जांच करने पहुंची राजस्व विभाग की टीम के सामने ही पत्रकार पर जानलेवा हमला कर दिया गया। ये वारदात पुरुर थाना क्षेत्र की है और इसमें मीडियाकर्मी कृष्णा गंजीर गंभीर रूप से घायल हो गए हैं।

जांच की कवरेज कर रहा था पत्रकार, माफिया के गुर्गों ने किया हमला

घटना उस वक्त हुई जब गुरुर तहसील के पटवारी डोमेंद्र मंडावी अवैध रेत भंडारण की शिकायत पर मौके पर जांच के लिए पहुंचे थे। उसी समय पत्रकार कृष्णा गंजीर भी कवरेज के लिए वहां मौजूद थे।

जैसे ही पटवारी और टीम ने जांच शुरू की, माफिया के लोगों ने अचानक हमला कर दिया। पत्रकार पर लोहे की रॉड से वार किया गया और फिर उसे हाईवा वाहन से कुचलने की कोशिश की गई। हालात बेकाबू होते देख पटवारी और राजस्व टीम मौके से भागकर किसी तरह जान बचा पाए।

घायल पत्रकार की हालत नाजुक, धमतरी के निजी अस्पताल में भर्ती

हमले में गंभीर रूप से जख्मी कृष्णा गंजीर को धमतरी के एक निजी अस्पताल में भर्ती कराया गया है। डॉक्टरों के अनुसार, उनकी हालत फिलहाल नाजुक बनी हुई है। पत्रकार ने बयान में कहा है कि हमलावरों ने उसे जान से मारने की नीयत से हमला किया और उसे वाहन से कुचलने की कोशिश की।

पुलिस ने पांच आरोपियों को दबोचा, मुख्य आरोपी ओमू साहू समेत कई गिरफ्तार

घटना के तुरंत बाद पुलिस हरकत में आई और मुख्य आरोपी उमेश्वर उर्फ ओमू साहू, रविकांत साहू समेत 5 लोगों को गिरफ्तार कर लिया गया है। इस केस में BNS की धारा 109, 190, 191(2), 191(3), 296, 351(2) के तहत मुकदमा दर्ज किया गया है। पुलिस का कहना है कि बाकी फरार आरोपियों की तलाश तेजी से की जा रही है।

खुलेआम हिंसा, फिर उठे कानून व्यवस्था पर सवाल

इस हमले ने एक बार फिर छत्तीसगढ़ की कानून व्यवस्था पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। सवाल यह भी है कि अगर रेत माफिया इतने बेखौफ हैं कि सरकारी अफसरों और पत्रकारों पर खुलेआम हमला कर सकते हैं, तो आम जनता की सुरक्षा का क्या होगा?

रेत माफिया का यह नेटवर्क अब सिर्फ आर्थिक अपराध नहीं, बल्कि हिंसा का संगठित चेहरा बनता जा रहा है। पत्रकारों पर हमला कोई मामूली बात नहीं, यह लोकतंत्र और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर हमला है।

जनता क्या कह रही है?

स्थानीय लोगों में भय और आक्रोश का माहौल है। लोग पूछ रहे हैं कि अगर जांच टीम की मौजूदगी में ऐसा हमला हो सकता है, तो फिर आम लोगों की कौन सुनेगा?

छत्तीसगढ़ में अवैध रेत खनन कोई नया मुद्दा नहीं है, लेकिन अब ये सिर्फ एक पर्यावरणीय चिंता नहीं, बल्कि कानून-व्यवस्था और मीडिया की स्वतंत्रता पर हमला बन चुका है।

राज्य सरकार और पुलिस को चाहिए कि इस मामले में सख्त से सख्त कार्रवाई करे, ताकि माफिया को यह संदेश जाए कि अब “खुलेआम गुंडागर्दी” नहीं चलेगी।

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