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PM मुद्रा लोन योजना ,सरकार ने बांटे 52 करोड़ से अधिक लोन, जानिए इस स्कीम के बारे में…

PM मुद्रा लोन योजना, जो 2015 में शुरू हुई थी, भारत में छोटे और सूक्ष्म उद्यमियों को वित्तीय सहायता प्रदान करने के लिए एक महत्वपूर्ण कदम साबित हुई है। इसके तहत बहुत से लोगों को अपने छोटे-छोटे व्यवसायों को शुरू करने या विस्तार करने का अवसर मिला। इस योजना के 10 वर्षों के दौरान कई महत्वपूर्ण उपलब्धियां हासिल की गई हैं:

उपलब्धियां:

  1. लाभार्थी संख्या: अब तक इस योजना के तहत 52 करोड़ से अधिक लाभार्थियों को ऋण वितरित किया जा चुका है।
  2. ऋण राशि: कुल 32.61 लाख करोड़ रुपये से अधिक की ऋण राशि स्वीकृत की जा चुकी है।
  3. महिलाओं को लाभ: कुल लाभार्थियों में से लगभग 68% से 70% महिलाएं हैं, जो इस योजना की सफलता और महिला सशक्तिकरण को दर्शाता है।
  4. वर्ग आधारित वितरण: करीब 51% से अधिक लोन एससी, एसटी और ओबीसी वर्ग के उद्यमियों को दिए गए हैं।
  5. नौकरियों का सृजन: इस योजना के माध्यम से लाखों नौकरियां पैदा हुई हैं और इसके सकारात्मक प्रभाव ग्रामीण और शहरी दोनों क्षेत्रों में देखा गया है।
  6. डिजिटल लेन-देन: मुद्रा कार्ड की मदद से कार्यशील पूंजी की जरूरतें पूरी होती हैं और लेन-देन की प्रक्रिया को डिजिटल बनाया गया है।

लोन की श्रेणियां:

PM मुद्रा योजना के तहत ऋण की चार प्रमुख श्रेणियां दी जाती हैं:

  1. शिशु लोन: नए उद्योगों के लिए ₹50,000 तक का लोन।
  2. किशोर लोन: ₹50,000 से ₹5,00,000 तक का लोन।
  3. तरुण लोन: ₹5,00,000 से ₹10,00,000 तक का लोन व्यवसाय के विस्तार हेतु।
  4. तरुण प्लस लोन: तरुण योजना को बढ़ाकर ₹20,00,000 तक किया गया है।

लोन के लिए आवेदन www.udyamimitra.in पर ऑनलाइन या नजदीकी बैंक शाखा के माध्यम से किया जा सकता है।

कई लोगों के लिए बनी है वरदान:

यह योजना उन छोटे उद्यमियों के लिए वरदान साबित हुई है, जिन्हें पहले बैंक से ऋण प्राप्त करने में कठिनाई होती थी या जिनके पास गिरवी रखने के लिए कुछ नहीं था। इस योजना ने भारत के सूक्ष्म उद्यम क्षेत्र को औपचारिक वित्तीय प्रणाली से जोड़ने में अहम भूमिका निभाई है। खासकर दुकानदारों, फल-सब्ज़ी विक्रेताओं, ऑटो रिक्शा चालकों, दर्जी, और छोटे मैन्युफैक्चरिंग यूनिट्स को इस योजना से बड़ा लाभ हुआ है।

चुनौतियां और भविष्य की योजनाएं:

हालांकि इस योजना ने काफी सफलता प्राप्त की है, लेकिन अभी भी कई ग्रामीण इलाकों में लोगों को इस योजना की पूरी जानकारी नहीं है। इसके अलावा, तकनीकी जानकारी की कमी के कारण ऑनलाइन आवेदन में कठिनाई होती है।

सरकार इस योजना को डिजिटल तकनीक से जोड़कर और प्रभावी बनाने की दिशा में काम कर रही है। इसके अलावा, स्टार्टअप इंडिया और स्किल इंडिया जैसी योजनाओं को भी मुद्रा योजना से जोड़ने का प्रयास किया जा रहा है, ताकि और अधिक लोग इस योजना का लाभ उठा सकें।

यह योजना छोटे उद्यमियों के लिए वित्तीय समावेशन और विकास का एक महत्वपूर्ण साधन बन गई है, और इसके निरंतर विस्तार से भारत की आर्थिक स्थिति को और मजबूत किया जा सकता है।
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